मेरठ के वेद व्यासपुरी में जल्द खुलेगा क्रांतिधरा पार्क: 1857 की क्रांति में किसानों के संघर्ष की कहानी दीवारों पर, मियावाकी पद्वति से जंगल तैयार – Meerut News h3>
मेरठ विकास प्राधिकरण ने मेरठ में इतना नायाब और रोमांचक पार्क विकसित किया है कि आप इस पार्क में बच्चों के साथ मस्ती और लुत्फ तो लेंगे ही। साथ ही जंगे आजादी के किरदारों से भी रूबरू होंगे। आप जानेंगे कि किस तरह हमारे वीर बांकुरों ने अपनी जान न्योछावर कर
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मेरठ के वेदव्यासपुरी में बन रहा क्रांतिधरा पार्क जहां लोगों के लिए एक शानदार पिकनिक स्पॉट बनकर उभरेगा। वहीं, 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से लोहा लेने वाले मेरठ और वेस्ट यूपी के किसानों की कहानी भी बयां करेगा। अंग्रेजों के साथ किसानों के संघर्ष को भी पार्क की दीवारों पर चित्रों में उकेरा गया है।
पार्क का 90 प्रतिशत बनकर तैयार 14.50 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे क्रांतिधरा पार्क का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। जून में यहां लोग परिवार के साथ घूम सकेंगे। यहां पर बोटिंग का भी लुत्फ उठाया जा सकेगा। इसके साथ ही यहां से कुछ ही दूरी पर 12 बीघा जमीन में मेडा ने मियावाकी पद्वति से जंगल भी विकसित कर लिया है।
मियावाकी पद्धति से जंगल विकसित।
दिल्ली-देहरादून हाईवे से 500 मीटर दूर वेदव्यासपुरी में पूठा की तरफ जाने वाले रास्ते पर मेडा ने क्रांतिधरा पार्क डेवलेप किया है। मेरठ में ये अब तक का सबसे सुंदर पार्क होगा। क्रांतिधरा पार्क में प्रवेश करते ही सामने एक एल्युमीनियम का प्रेरणा स्तंभ बनाया गया है। ये स्तंभ हवा के चलने पर एक अलग ही अनुभूति का एहसास देता है।
सामने चलते ही बोटिंग एरिया है। गोल घुमावदार तरीके से बनाए गए बोटिंग एरिया के अंदर लाइट एंड साउंड सिस्टम लगाया गया है। जो शाम को बहुत ही शानदार लुक में नजर आएगा। यहां पर समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।
नई पीढ़ी को संदेश देने के लिए क्रिएटिव मोनूमेंट्स
पार्क में ग्रीनरी के बीच सिटिंग एरिया।
यहां की ग्रीनरी लोगों को एक अलग ही अनुभव से सरोबार करेगी। 90 बीघा जमीन में बन रहे इस पार्क की खास बात ये है कि इसके क्रांतिधरा नाम की तरह से ही इसकी पूरी थीम रखी गई है। 1857 की क्रांति के दौरान किस तरह से वेस्ट यूपी के किसानों ने अंग्रेजों के सामने मोर्चा खोला, उसको चित्रों के माध्यम से दीवारों पर उकेरा गया है। किस तरह से अंग्रेज विरोध करने पर किसानों को जेल में डाल देते थे।
किस तरह से फांसी पर लटकाकर उनको ताबूत में रख दिया जाता था। इन सारी बातों का नई पीढ़ी को संदेश देने के लिए जेल एरिया और फांसी एरिया भी प्रतीकात्मक रूप में बनाया गया है। बच्चों-बड़ों के मनोरंजन के लिए कई जगहों पर सिटिंग एरिया बनाया गया है। पार्क में ग्रीनरी का खास ध्यान रखा गया है।
पार्क में वॉल ऑफ वाल्योर पर किसान क्रांतिकारियों की प्रतिमाएं लगाई गई हैं। एंट्री गेट से भीतर जाते ही वाटर बॉडी झरना बनाया गया है। यहां पर पानी चलता रहेगा। पार्क में चार मिनी रेस्टोरेंट की भी सुविधा दी गई। जिसकी वजह से यहां घूमने आने वालों के लिए खाने-पीने की चीजें उपलब्ध रहेंगी।
नई पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए प्रेरणा स्तम्भ
1857 की क्रांति में किसानों-महिलाओं की भूमिका को दर्शाया 10 मई 1857 को मेरठ से शुरू हुई आजादी की क्रांति में सिर्फ सैनिकों की नहीं बल्कि किसानों की भी बड़ी भूमिका थी। महिलाओं ने भी विभिन्न तरीके से इस जन आंदोलन में भाग लिया था। पार्क में वॉल पर चित्रों के माध्यम से इसको उकेरा गया है।
सोहम कंपनी के आर्किटेक्ट मनीष कुमार बताते हैं पार्क के बाये साइड में 1857 की क्रांति के मेरठ और वेस्ट यूपी के नायकों को दर्शाया गया है। राइड साइड में देश में इस दौरान हो रही गतिविधियों की थीम रखी गई थी। इस क्रांति में संघर्षों के साथ कितने ही क्रांतिकारियों को फांसी दी गई। जेल में रखा गया। इन सबको भी थीम से दर्शाया गया है। पार्क काे डिजाइन सौम्या वात्सले ने किया है।
आसपास की कॉलोनियों के लोगों को मिलेगा बड़ा लाभ क्रांतिधरा पार्क जहां पर वेदव्यासपुरी में विकसित गया है। यहां पर मेडा की वेदव्यासपुरी कॉलोनी के अलावा दूसरी भी कॉलोनियां हैं। पार्क से यहां के लोगों को बड़ा लाभ मिलेगा। यहां पर भूड़बराल रैपिड स्टेशन भी ज्यादा दूर नहीं है। इसके अलावा परतापुर तिराहा से दिल्ली-देहरादून हाईवे के साथ ही रिठानी की तरफ से यहां पर आरएएफ हेड क्वार्टर के सामने से होते हुए आया जा सकता है।
दिल्ली रोड के आसपास नहीं था अभी तक कोई बड़ा पार्क मेडा ने 15 एकड़ जमीन में इस पार्क को तैयार किया है। अगर सिटी की बात करें तो दिल्ली रोड और दिल्ली-देहरादून हाईवे के आसपास कोई पार्क नहीं था। दिल्ली रोड पर बिजली बंबा बाईपास के बराबर में संजय वन जरूर है लेकिन उसकी हालत बेहद बदहाल है।
वन विभाग की संपत्ति होने के चलते वहां पर उसके लिए कोई फंड भी नहीं था। ऐसे में क्रांति धरा पार्क से इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को घूमने के लिए एक अच्छी जगह मिलेगी। जहां पर हरियाली के साथ क्रांति के बारे में भी यहां आने वालों को जानने का मौका मिलेगा।
मियावाकी पद्वति से जंगल किया तैयार
क्रांति धारा पार्क से 150 मीटर दूर वेदव्यासपुरी में ही मियावाकी पद्धति से जंगल तैयार किया गया है। 2000 वर्ग मीटर पुराने पार्क 7000 पौधे लगाए गए। 11,612 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाया गए इस पार्क में एक सुंदर मचान बनाया गया है। यहां पर पेड़ों की बात करें तो नीम, आंवला, गुलमोहर, ओक, हरड़, अमलताश व कदंब यहां मौजूद हैं। यहां की हरियानी मन काे अलग ही सुकून का अहसास कराती है। मियावाकी पद्वति के चलते पेड़ों के बीच में घास भी लगाई गई है।