मेयर चयन के लिए कांग्रेस की वोटिंग: पूर्व-मेयर गुट को 29 वोट पड़े, पहले हाईकमांड पर छोड़ा था फैसला; गुटबाजी से AAP को फायदा – Amritsar News h3>
कांग्रेस हाई-कमांड दो बार भी बैठकें कर अमृतसर के लिए एक नाम पर सहमति नहीं बना पाई हैं।
नगर निगम चुनावों को आज एक महीना पूरा हो चुका है। इसके बावजूद अमृतसर को अभी तक मेयर नहीं मिला। कांग्रेस गुट-बंदी में फंस चुकी है, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) अपने आप को मजबूत कर रही है। कांग्रेस के 40 पार्षद जीतने के बाद भी 41 के आंकड़े पर फंस चुकी है, ज
.
एक सप्ताह पहले कांग्रेस गुट के 40 पार्षदों ने हाईकमांड को लिखित में दे दिया था कि उनका फैसला सर्वोपरी होगा। इसके बावजूद बीते दिन वोटिंग करवाई गई, जिसके बाद कांग्रेस में गुटबाजी और बढ़ गई है। दरअसल, बीते दिन आब्जर्वर हरीश चौधरी, पंजाब प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा अमृतसर पहुंचे थे। जिन्होंने गुटबंदी से हो रहे नुकसान को कम करने के लिए वोटिंग करवा दी। जिसमें पूर्व मेयर के गुट को 29, सांसद के गुट को 11 और एक वोट दमनदीप सिंह के नाम को पड़ी, जो अभी पार्षद भी नहीं हैं।
इसके बाद हाई-कमांड ने परिणाम सभी के सामने सार्वजनिक तो नहीं किए, लेकिन ढाई-ढाई साल की मेयरशिप का वादा करते हुए सभी को एकजुट रहने का संदेश दिया। लेकिन इस आदेश के बाद सीनियर व कई बार पार्षद बन चुके कांग्रेस खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
सीनियर पार्षदों का मानना है कि एक बार फिर सीनियोरिटी को दरकिनार किया जा रहा है और परिवारवाद को फायदा पहुंचाने की बात हो रही है। इस गुटबाजी का फायदा अब आम आदमी पार्टी उठाने में जुट गई है।
पार्षद नहीं, पार्षदों के पति व रिश्तेदार पहुंचे बैठक में
निगम में इस बार 50 फीसदी आरक्षण महिलाओं को दिया गया था। लेकिन कांग्रेस की मेयर चुनने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक में महिला पार्षद बहुत ही कम नजर आईं। उनके पति या रिश्तेदार ही बैठक में पहुंचे। नाम ना छापने की शर्त पर कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि ये भी एक तरफा वोटिंग का बड़ा कारण है।
AAP लगातार आजाद पार्षदों को अपने हक में कर रही है।
गुटबाजी से कांग्रेस को पहुंचेगा नुकसान
सीनियर कांग्रेस नेता का कहना है कि प्रदेश बॉडी को ऐसे खुले में वोटिंग नहीं करवानी चाहिए थी। इसका नुकसान अब कांग्रेस गुट को होने वाला है। हाई-कमांड की वोटिंग के बाद कम वोट लेकर दूसरे गुट के पार्षद मायूस हो गए हैं। ऐसे में वे नगर निगम हाऊस में वोटिंग के समय अपने फायदे-नुकसान को देखते हुए पलट सकते हैं। जिसका नुकसान कांग्रेस को होगा और AAP हाऊस में मजबूत होगी।
अकाली दल- भाजपा का समर्थन जुटाने में लगी AAP
AAP के पास 24 पार्षदों का समर्थन था। लेकिन अपने विधायक और आजाद पार्षदों को अपने हक में करने के बाद AAP का आंकड़ा 37 पहुंच चुका है। वहीं दूसरी तरफ AAP ने अब भाजपा और अकाली दल के पार्षदों के साथ संपर्क साधा है। उन्हें आश्वासन दिया जा रहा है कि अगर वे AAP के हक में वोटिंग करते हैं तो इसका फायदा सीधे तौर पर शहर को और उनकी वार्डों को होने वाला है।
अगर मेयर AAP का बनता है तो स्टेट में सरकार होने के कारण नए प्रोजेक्ट्स शहर में लाए जाएंगे। इतना ही नहीं, भाजपा और अकाली दल के पार्षदों की वार्डों के काम भी बिना विघन चलेंगे। भाजपा और अकाली दल का अगर साथ AAP जुटा लेती है तो कांग्रेस के सर्वाधिक पार्षद जीत कर भी मेयर नहीं बना पाएंगे।
हाई कोर्ट में अब सुनवाई 27 जनवरी को होगी
नगर निगम अमृतसर के मेयर पद के चुनाव को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की डबल बेंच के जज सुरेशवार ठाकुर और जज विकास सूरी द्वारा दोनों पक्षों को सुना गया। सुनवाई के दौरान नगर निगम अमृतसर मेयर पद के चुनाव नगर निगम हाउस की मीटिंग में बेलट पेपर से या हाथ खड़े करके करवाए जाने हैं और किस तारीख को चुनाव होने हैं, इस पर भी माननीय हाई कोर्ट की डबल बेंच के जजों द्वारा दोनों पक्षों को सुना गया।
हाई कोर्ट के डबल बेंच के न्यायाधीशों द्वारा इस पर सुनवाई करने के लिए अगली 27 जनवरी की तारीख निर्धारित कर दी है। अब देखना यह होगा कि 27 जनवरी को हाई कोर्ट की डबल बैच को राज्य सरकार की ओर से क्या दलील दी जाती है, उस पर ही आगे का निर्णय आएगा।