मृत व्यक्ति की समग्र ID से बनवाया फर्जी जाति-प्रमाणपत्र: जबलपुर एसडीएम की जांच में खुलासा, लोकसेवा केंद्र के दो कर्मचारी सहित 5 पर FIR – Jabalpur News h3>
जबलपुर में फर्जी दस्तावेजों के जरिए शासकीय विभागों में नौकरी कर रहे तीन व्यक्तियों सहित कुल पांच लोगों पर रांझी एसडीएम ने एफआईआर दर्ज कराई है। तीनों कर्मचारी लंबे समय से फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे थे। फर्जी जाति प्रमाण पत्र
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पहले जान लीजिए लोक सेवा केंद्र के कर्मचारियों की मिलीभगत से कैसे बने फर्जी जाति प्रमाण पत्र…
तीनों जाति प्रमाण पत्र गलत दस्तावेज, गलत अंकसूची एवं निवास के पते की गलत जानकारी के आधार पर सुनियोजित षड्यंत्र के तहत बनाए गए थे। आवेदकों ने जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति या अपने नाम से मिलते-जुलते किसी व्यक्ति की समग्र आईडी का उपयोग किया। तीनों ने जिस अंकसूची का प्रयोग किया वह अन्य जिलों की है। अनुसूचित जनजाति के लिए अनिवार्य 1950 की स्थिति का निवासी प्रमाण पत्र भी किसी के भी द्वारा संलग्न नहीं किया गया था। फॉर्म के साथ सारे डॉक्यूमेंट लगाने के बाद ही लोकसेवा केन्द्र फॉर्म का रजिस्ट्रेशन कर सकता है। सभी प्रकरणों में लोक सेवा केन्द्र के दो कर्मचारियों ने जानबूझकर जानकारी को अनदेखा किया। अनुविभागीय अधिकारी की जानकारी के बिना ही सर्टिफिकेट जारी कर दिए। आवेदन पत्रों को प्रोसेस करने का दायित्व जाति प्रमाण ऑपरेटर अर्चना दाहिया के पास था।
एसडीएम रांझी रघुवीर सिंह मरावी।
लोकसेवा केंद्र संचालक ने SDOP के डिजिटल साइन से जारी कर दिए सर्टिफिकेट एसडीएम के अनुसार लोकसेवा केंद्र के संचालक अंकित अग्रवाल और कम्प्यूटर ऑपरेटर अर्चना दहिया को आवेदन पत्र अनुविभागीय अधिकारी (SDOP) के समक्ष प्रस्तुत करना थे। अनुविभागीय अधिकारी के निर्णय के अनुसार आवेदन पत्र के संबंध में आदेश जारी करवाना थे। लेकिन अर्चना दहिया ने आवेदन पत्र SDOP के समक्ष प्रस्तुत ही नहीं किए। उनकी जानकारी के बिना डिजिटल साइन का दुरुपयोग कर जाति प्रमाणपत्र जारी कर दिया।
रांझी थाना पुलिस ने पांचों आरोपी मुकेश बर्मन, दिलीप कुमार, सूरज सिंह, अंकित अग्रवाल और अर्चना दाहिया के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 34 के तहत मामला दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी है। मामले पर रांझी थाना प्रभारी मानस त्रिवेदी ने बताया कि एसडीएम रांझी के निर्देश पर कार्यालय कर्मचारी संतोष कुमार यादव ने शिकायत दर्ज करवाई थी। जांच के बाद एफआईआर दर्ज की गई है। सभी की तलाश के लिए तीन टीम बनाई गई है। जल्द ही सभी गिरफ्तार होगें।
अब जानिए उन तीन किरदारों के बारे में जो फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए कर रहे थे नौकरी…
केस नंबर-1 : सूरज कोल (CRPF) –एसडीएम बोले- तुम कोल नहीं हो सकते, इतना सुनते ही घबरा गया
सूरज कोल की दिसंबर 2024 में सीआरपीएफ में नौकरी लगी थी। 8 जनवरी 2025 को वह रांझी एसडीएम के पास डॉक्यूमेंट वेरिफाई कराने खास तौर पर चरित्र प्रमाण-पत्र लेने पहुंचा था। एसडीएम रघुवीर सिंह उसे देखते ही समझ गए कि यह ना तो कोल है और ना ही उसका जाति प्रमाण पत्र सही है। एसडीएम ने दस्तावेजों के सत्यापन के लिए जब ओरिजिनल जाति प्रमाण पत्र मांगा, तो उसने नहीं दिखाया। कहने लगा कि जाति प्रमाण पत्र भोपाल में रखा है। जिसके बाद एसडीएम ने सूरज कोल के डॉक्यूमेंट चेक करवाए। पता चला कि उसने फर्जी मूल निवासी और समग्र आईडी के आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनवाया था।
केस नंबर-2 : मुकेश बर्मन (मप्र बिजली कंपनी)- शहडोल के रहने वाले ने खुद को रांझी का निवासी बताया
मुकेश बर्मन पिछले आठ साल से मध्यप्रदेश बिजली कंपनी में असिस्टेंट इंजीनियर के पद काम कर रहा है। 18 नवंबर 2024 को बिजली विभाग की ओर से मुकेश बर्मन के डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन के लिए रांझी एसडीएम के पास भेजे गए। हालांकि यह पहला मौका नहीं था। विभाग ने इससे पहले भी तीन से चार बार बर्मन के डॉक्यूमेंट्स वैरिफिकेशन के लिए रांझी एसडीएम के पास भेजा था। लेकिन किसी ना किसी कारण से बिना वैरिफिकेशन के ही डॉक्यूमेंट वापस बिजली विभाग को भेज दिए गए।
केस नंबर-3 : दिलीप कुमार (CRPF)- किसी अन्य दिलीप के नाम-पते पर बनवा लिया सर्टिफिकेट
तीसरे आरोपी दिलीप कुमार पुत्र छोटे लाल को सीआरपीएफ में नौकरी करते हुए तीन साल हो चुके हैं। सीआरपीएफ की तरफ से दिलीप के डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन के लिए रांझी एसडीएम के पास भेजे थे। दिलीप ने डॉक्यूमेंट में अपना पता आधारताल का बताया था। वेरिफाई करने से पहले जिला प्रशासन ने पते की जांच करवाई। पता चला कि वह और उसका परिवार कभी आधारताल में रहा ही नहीं। जिस दिलीप की समग्र आईडी का उल्लेख है वह रांझी के सुदर्शन वार्ड का रहने वाला कोई और दिलीप कुमार है।