मुझे गर्व है कि मैं यहां पढ़ा और यहीं डीन रहा | Indore#MedicalCollege | News 4 Social

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मुझे गर्व है कि मैं यहां पढ़ा और यहीं डीन रहा | Indore#MedicalCollege | News 4 Social

इंदौरPublished: Jan 08, 2024 07:26:22 pm

कार्यक्रम में पूर्व डीन व एचओडी ने बताया कॉलेज का इतिहास

मुझे गर्व है कि मैं यहां पढ़ा और यहीं डीन रहा

इंदौर. एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने हमारी यादें संजोकर रखी हैं। मैं 1952 बैच में था, इसके चार साल पहले ही इसे मेडिकल स्कूल से मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिला था। उस समय एमवायएच परिसर और मौजूदा एमटीएच अस्पताल के सामने पुराने भवन में कक्षाएं लगती थीं। आज कई सुविधाएं मिली हैं। मुझे गर्व है कि मैं यहां पढ़ा और यहीं नौकरी कर 1990 से 1996 तक डीन रहा।
यह बात एमजीएम के छात्र व डीन रहे डॉ. केसी शर्मा ने एलुमनी एसोसिएशन द्वारा आयोजित प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम में एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पढ़े व देश-विदेश में सेवा दे रहे लगभग 800 डॉक्टर शामिल हुए। रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया भी आयोजन में मौजूद रहे। डॉ. सतीश शुक्ला ने बताया कि 1956 में मैंने कॉलेज में प्रवेश लिया था। 1993 में सर्जरी विभाग का एचओडी रहा। 2023 में इसे 75 साल हो चुके हैं। पहले ब्रिटिश एजेंट स्कूल को कंट्रोल करते थे। एक मेडिकल कमेटी थी, जिसके सदस्यों में महाराजा यशवंतराव होलकर भी थे। उन्होंने स्कूल को कॉलेज करने का प्रस्ताव रखा। 1940 में प्रस्ताव बनाया गया व 1945 में इसे पास किया। ब्रिटिश एजेंट ने कहा कि इसके लिए जमीन व राशि की व्यवस्था आपको करनी होगी। तब महाराजा यशवंतराव होलकर ने 60 लाख रुपए व जमीन अस्पताल के लिए दी थी। 1948 में मेडिकल कॉलेज व एमवायएच की आधारशिला रखी गई व 1955-56 में तैयार हुआ। कार्यक्रम को पूर्व डीन डॉ. वीके अग्रवाल, डॉ. डीके तनेजा, डॉ. पुष्पा वर्मा, डॉ. एमके राठौर, डॉ. राजकुमार माथुर, डॉ. शरद थोरा, डॉ. ज्योति ङ्क्षबदल ने भी संबोधित किया।
1955 में शुरू हुआ एमवायएच
वर्तमान डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि 1955 में महाराजा यशवंतराव होलकर अस्पताल शुरू किया गया, जो मध्य एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल था। इन 75 वर्षाें में मेडिकल कॉलेज से 14 हजार विद्यार्थी पढक़र डॉक्टर बने। इनमें से 9 हजार विद्यार्थी स्नातक व 5 हजार विद्यार्थी स्नातकोत्तर के हैं। 70 सीटों से शुरू हुए कॉलेज में अब 500 सीटें हैं।
आजादी के पहले था किंग एडवर्ड मेडिकल स्कूल
आजादी के पहले यह किंग एडवर्ड मेडिकल स्कूल के नाम से जाना जाता था। जिसकी स्थापना 1878 में हुई थी। यह एशिया के शुरुआती मेडिकल स्कूलों में से एक था। 1948 में एमजीएम मेडिकल कॉलेज बनने के साथ एमबीबीएस कोर्स प्रारंभ हुआ। उस समय से ही चयन परीक्षा के माध्यम से प्रवेश दिया जाने लगा। 1953 में एमडी व एमएस डिग्रियों की शुरुआत हुई। 1959 में कार्डियोलॉजी विभाग बना, जिसके माध्यम से हृदय के ऑपरेशन भी किए जाने लगे।

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