‘मुख्य सचिव चुनी हुई सरकार की नहीं सुन रहे…’, दिल्ली की मंत्री आतिशी ने एलजी को खत लिख जताया ऐतराज h3>
नई दिल्ली : दिल्ली की सर्विसेज और विजिलेंस मंत्री आतिशी ने एलजी को लिखे खत में आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव नरेश कुमार चुनी हुई सरकार के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने मुख्य सचिव द्वारा सरकार के आदेश की कथित अवहेलना पर ऐतराज जताया है। एलजी वीके सक्सेना को लिखे खत में आतिशी ने कहा है, ‘जीएनसीटीडी संशोधन अधिनियम की धारा 45 J(5) का हवाला देते हुए मुख्य सचिव ने अपने नोट में कहा है कि जीएनसीटीडी एक्ट से सेक्शन 3 ए को हटाने के बावजूद, ‘सर्विसेज़ और विजिलेंस’ से संबंधित सभी मामलों पर प्रभावी कार्यकारी शक्तियां उपराज्यपाल के पास होंगी, न कि चुनी हुई सरकार के पास।’ मंत्री ने इस कानूनी व्याख्या पर असहमति जताई है।
आतिशी ने अपने खत में लिखा है कि जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम, 2023 सर्विसेज इस संबंध में उपराज्यपाल को केवल विशिष्ट शक्तियां प्रदान करता है, जिसका इस्तेमाल एलजी सिर्फ नैशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी की सिफारिशों पर ही कर सकते है। उन्होंने खत में इस बात पर भी जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली सरकार का समर्थन करते हुए कहा है कि एनसीटीडी के पास सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं।
दिल्ली की सर्विसेज मंत्री आतिशी ने खत में एलजी विनय सक्सेना से इस मामले पर पुनर्विचार करने की अपील की है और इस मुद्दे पर उनकी राय भी मांगी है। आतिशी ने अपने पत्र में कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 एए के खंड (3) और (4), राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल सभी मामलों के बारे में पब्लिक ऑर्डर, लैंड और पुलिस को छोड़कर दिल्ली की मंत्रिपरिषद अपनी कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करती है और एलजी उन मामलों को छोड़कर बाकी सभी में मंत्रिपरिषद को केवल सलाह दे सकते है।
दिल्ली में सर्विसेज पर नियंत्रण और अधिकारों को लेकर केंद्र और अरविंद केजरीवाल सरकार में काफी समय से टकराव चल रहा है। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा। मई में शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘सर्विसेज’ पर चुनी हुई सरकार के पास ही विधायी और कार्यकारी शक्तियां रहेंगी। हालांकि, इसके बाद बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सर्विसेज पर एलजी को कंट्रोल दे दिया। मॉनसून सत्र में अध्यादेश की जगह लेने वाले दिल्ली सर्विसेज बिल को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी भी मिल गई। राष्ट्रपति के दस्तखत के साथ ही नया कानून भी लागू हो गया है।
आतिशी ने एलजी के लिखे खत में कहा है कि जीएनसीटीडी (अमेंडमेंट) ऐक्ट में जानबूझकर धारा 3 ए को हटा दिया गया है। उन्होंने खत में दावा किया है कि इसके बावजूद, नया कानून भी सर्विसेज के बारे में एलजी को केवल विशिष्ट शक्तियां प्रदान करता है, जिनका इस्तेमाल राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की तरफ से की गई सिफारिशों पर ही किया जाना है। इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और जीएनसीटीडी संशोधन अधिनियम के तहत सर्विसेज के संबंध में अन्य सभी शक्तियां जो एलजी या अथॉरिटी को प्रदान नहीं की गई हैं, उनका प्रयोग दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कैबिनेट द्वारा किया जाना है।
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आतिशी ने अपने खत में लिखा है कि जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम, 2023 सर्विसेज इस संबंध में उपराज्यपाल को केवल विशिष्ट शक्तियां प्रदान करता है, जिसका इस्तेमाल एलजी सिर्फ नैशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी की सिफारिशों पर ही कर सकते है। उन्होंने खत में इस बात पर भी जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली सरकार का समर्थन करते हुए कहा है कि एनसीटीडी के पास सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं।
दिल्ली की सर्विसेज मंत्री आतिशी ने खत में एलजी विनय सक्सेना से इस मामले पर पुनर्विचार करने की अपील की है और इस मुद्दे पर उनकी राय भी मांगी है। आतिशी ने अपने पत्र में कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 एए के खंड (3) और (4), राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल सभी मामलों के बारे में पब्लिक ऑर्डर, लैंड और पुलिस को छोड़कर दिल्ली की मंत्रिपरिषद अपनी कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करती है और एलजी उन मामलों को छोड़कर बाकी सभी में मंत्रिपरिषद को केवल सलाह दे सकते है।
दिल्ली में सर्विसेज पर नियंत्रण और अधिकारों को लेकर केंद्र और अरविंद केजरीवाल सरकार में काफी समय से टकराव चल रहा है। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा। मई में शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘सर्विसेज’ पर चुनी हुई सरकार के पास ही विधायी और कार्यकारी शक्तियां रहेंगी। हालांकि, इसके बाद बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सर्विसेज पर एलजी को कंट्रोल दे दिया। मॉनसून सत्र में अध्यादेश की जगह लेने वाले दिल्ली सर्विसेज बिल को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी भी मिल गई। राष्ट्रपति के दस्तखत के साथ ही नया कानून भी लागू हो गया है।
आतिशी ने एलजी के लिखे खत में कहा है कि जीएनसीटीडी (अमेंडमेंट) ऐक्ट में जानबूझकर धारा 3 ए को हटा दिया गया है। उन्होंने खत में दावा किया है कि इसके बावजूद, नया कानून भी सर्विसेज के बारे में एलजी को केवल विशिष्ट शक्तियां प्रदान करता है, जिनका इस्तेमाल राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की तरफ से की गई सिफारिशों पर ही किया जाना है। इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और जीएनसीटीडी संशोधन अधिनियम के तहत सर्विसेज के संबंध में अन्य सभी शक्तियां जो एलजी या अथॉरिटी को प्रदान नहीं की गई हैं, उनका प्रयोग दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कैबिनेट द्वारा किया जाना है।
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