मिल मजदूर की बेटी ओमान में भारत के लिए सोना जीतने के लड़ेगी कुश्ती

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मिल मजदूर की बेटी ओमान में भारत के लिए सोना जीतने के लड़ेगी कुश्ती


मिल मजदूर की बेटी ओमान में भारत के लिए सोना जीतने के लड़ेगी कुश्ती

भीलवाड़ा: भीलवाड़ा: बॉक्स ऑफिस की हिट फिल्म दंगल का एक डायलॉग ‘मारी छोरियां छोरों से कम नहीं’ और ‘सोना तो सोना है चाहे छोरा लावे या छोरी’ यही कहानी चरितार्थ हो रही है राजस्थान के भीलवाड़ा में एक मिल मजदूर की बेटी अश्वनी बिश्नोई की जो सोनीपत में आयोजित कुश्ती की नेशनल चैंपियनशिप में अव्वल रहकर अब 12 से 20 जुलाई तक ओमान के जॉर्डन में आयोजित होने वाली एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में भारत के लिए सोना जीतने के लिए जाने वाली है।मेवाड़ के ख्यातनाम पहलवान हीरा पुरी उस्ताद ने टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा को कुश्ती में देश में एक अपनी नई पहचान दिलवाई थी आज उसी भीलवाड़ा से एक बेटी बेटियों पर पाबंदियों की सभी सीमाएं पार करते हुए देश के लिए सोना जीतने के लिए बेताब है।

दंगल में तो बेटी की कुश्ती के लिए पिता बेताब थे मगर अश्वनी की कहानी ठीक इसके उलट है उसके पिता मुकेश बिश्नोई बेटी को अखाड़े में कुश्ती लड़ते हुए नहीं देखना चाहते थे मगर बेटी की जीत के आगे उन्होंने हार मानी और अश्वनी की कई सालों की मेहनत रंग लाई है और वह देश का प्रतिनिधित्व करने ओमान जा रही है।

देश का मान बढ़ाने वाली पहलवान अश्वनी बिश्नोई कहती है कि मेरे भाई का मेडल आने पर मुझे भी प्रेरणा मिली थी की मुझे भी कुश्ती लड़नी है पहले तो मेरे पापा ने मना कर दिया मगर मैंने जिद की तो वे मान गए मैं जिस अखाड़े में अभ्यास कर रही हूं वहां बहुत सी लड़कियां हैं जिससे मुझे सपोर्ट मिल रहा है पूरा सपोर्ट मिलेगा तो आगे तक जा सकती है।

उन्होंने कहा, ‘मैं चाहती हूं कि जिस तरह से मेरे को साहब और मेरे परिवार ने मुझे सपोर्ट किया है बाकी लड़कियों को भी सपोर्ट करें तो वह भी एक दिन दुनिया में भारत का नाम रोशन करेगी अश्विनी आगे कहती है की देश के लिए लड़ने का सपना तो पूरा ही गया है अब देश के लिए मेडल लाने का सपना भी पूरा करके दिखाऊंगी।’

अश्विनी के पिता मुकेश ने कहा कि, ‘साल 2018 में मेरे भतीजी को कुश्ती में नेशनल मेडल मिला था उसी से उसे प्रेरणा लेकर अश्विनी ने कुश्ति लड़ने की इच्छा जताई थी शुरू में मैंने विरोध किया था मगर बाद में मान गया।’ वहीं की अश्वनी की मां चंचल विषणोई कहती है की, ‘मेरी बेटी अश्वनी का चयन भारतीय कुश्ती टीम में हुआ है जब हमें यह पता लगा हमारे घर पर खुशियां छा गई मुझे इस बात का गर्व है कि मेरी बेटी ने लड़की होने के बावजूद लड़कों का खेल कुश्ती अपनाया और भारतीय कुश्ती टीम में उसका चयन हुआ है अश्वनी ने समाज में दूसरी बेटियों के लिए एक मिसाल कायम की है उसने कड़ी मेहनत की है और उसकी मेहनत से जो परिणाम आया है उससे मुझे मेरी बेटी पर गर्व है।’

पहलवान अश्वनी बिश्नोई के कोच तेजेंद्र गुर्जर कहते हैं की, ‘हमने हमारे अखाड़े में लड़कियों की पहलवानी साल 2014 में शुरू की थी उस समय हमारी सोच यह थी कि लड़कियों का अखड़ा तो शुरू कर रहे हैं चलो नई शुरुआत करते हैं मगर जो इन लड़कियों का रिजल्ट आया है आश्चर्यजनक परिणाम आया है ऐसे परिणाम तो लड़कों में भी आना मुश्किल है अश्वनी और कशिश यह दो लडकिया हमारे अखाड़े की ऐसी पहलवान है जिन्होंने पिछले साल 5-5 मैडल नेशनल लेवल पर जीते हैं,

उन्होंने कहा, ‘इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि पहलवानी में लड़कियों का कितना अच्छा रिजल्ट आया है इन लड़कियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत कर दी है पहली बार भीलवाड़ा का नाम रोशन हो रहा है कुश्ती में इनकी शुरुआत और आगे बढ़ेगी और लड़कियां कुश्ती में इनसे प्रेरणा लेगी।

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