मिलेट्स कैफे व चौपाटी बंद होने की कगार पर – Balrampur News h3>
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जिला मुख्यालय में लाखों रुपए की लागत से बने मिलेट्स कैफे और चौपाटी अब बंद होने की कगार पर हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार व जिला प्रशासन ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इसे संचालित करने के लिए तैयार किया था। मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इनकी स्थापना की गई थी, लेकिन वर्तमान में स्थिति चिंताजनक हो गई है।
मिलेट्स कैफे और चौपाटी का उद्घाटन कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री, खाद्य मंत्री और गृह मंत्री द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य मोटे अनाज से बने खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देना था, लेकिन अब ये सुविधाएं दम तोड़ रही हैं।
स्थानीय लोगों की इसमें रुचि कम हो गई है, जिससे संचालन में कठिनाइयां आ रही हैं। जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि मुख्य मार्ग पर धूल उड़ने के कारण ग्राहक वहां जाने से बच रहे हैं। इसके अलावा, मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थों की मांग में भी कमी आई है। गढ़ कलेवा चौपाटी जिसे स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित किया जा रहा था, वह प्रोजेक्ट भी फेल साबित हो रहा है। कलेक्टर बलरामपुर ने कहा कि अन्य खाद्य उत्पादों को शामिल कर, स्थान को अधिक आकर्षक बनाने प्रयास किए जाएंगे।
स्वयं सहायता समूहों की आय में आई कमी स्थानीय स्तर पर चौपाटी और मिलेट्स कैफे का संचालन अब मुश्किल होता जा रहा है। स्वयं सहायता समूहों की आय में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे वे इसे जारी रखने में असमर्थ हो गए हैं। ग्राहक न मिलने के कारण चौपाटी पर सन्नाटा पसरा रहता है और यह बंद होने की कगार पर आ गई है। जिला प्रशासन अब ऐसे उपायों पर विचार कर रहा है। इससे इन सुविधाओं को पुनर्जीवित किया जा सके।
व्यवसायिक विकल्पों पर विचार कर रहे: कलेक्टर ^मामले में कलेक्टर बलरामपुर राजेंद्र कुमार कटरा ने कहा कि प्रशासन इस स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थों की मांग कम हो रही है, तो प्रशासन अन्य व्यवसायिक विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसके तहत ऐसी चीजें यहां पर बेची जाएंगी जो आम लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करे, इससे निश्चित रूप से जिला प्रशासन को राजस्व मिलेगा, जिससे मिलेट्स कैफे और चौपाटी के रखरखाव में मदद मिलेगी।
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जिला मुख्यालय में लाखों रुपए की लागत से बने मिलेट्स कैफे और चौपाटी अब बंद होने की कगार पर हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार व जिला प्रशासन ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इसे संचालित करने के लिए तैयार किया था। मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इनकी स्थापना की गई थी, लेकिन वर्तमान में स्थिति चिंताजनक हो गई है।
मिलेट्स कैफे और चौपाटी का उद्घाटन कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री, खाद्य मंत्री और गृह मंत्री द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य मोटे अनाज से बने खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देना था, लेकिन अब ये सुविधाएं दम तोड़ रही हैं।
स्थानीय लोगों की इसमें रुचि कम हो गई है, जिससे संचालन में कठिनाइयां आ रही हैं। जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि मुख्य मार्ग पर धूल उड़ने के कारण ग्राहक वहां जाने से बच रहे हैं। इसके अलावा, मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थों की मांग में भी कमी आई है। गढ़ कलेवा चौपाटी जिसे स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित किया जा रहा था, वह प्रोजेक्ट भी फेल साबित हो रहा है। कलेक्टर बलरामपुर ने कहा कि अन्य खाद्य उत्पादों को शामिल कर, स्थान को अधिक आकर्षक बनाने प्रयास किए जाएंगे।
स्वयं सहायता समूहों की आय में आई कमी स्थानीय स्तर पर चौपाटी और मिलेट्स कैफे का संचालन अब मुश्किल होता जा रहा है। स्वयं सहायता समूहों की आय में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे वे इसे जारी रखने में असमर्थ हो गए हैं। ग्राहक न मिलने के कारण चौपाटी पर सन्नाटा पसरा रहता है और यह बंद होने की कगार पर आ गई है। जिला प्रशासन अब ऐसे उपायों पर विचार कर रहा है। इससे इन सुविधाओं को पुनर्जीवित किया जा सके।
व्यवसायिक विकल्पों पर विचार कर रहे: कलेक्टर ^मामले में कलेक्टर बलरामपुर राजेंद्र कुमार कटरा ने कहा कि प्रशासन इस स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थों की मांग कम हो रही है, तो प्रशासन अन्य व्यवसायिक विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसके तहत ऐसी चीजें यहां पर बेची जाएंगी जो आम लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करे, इससे निश्चित रूप से जिला प्रशासन को राजस्व मिलेगा, जिससे मिलेट्स कैफे और चौपाटी के रखरखाव में मदद मिलेगी।