मिलीभगत पर लगेगी लगाम, जेडीए में शुरू हुआ सफाई अभियान…फाइल पेंडिंग तो उपायुक्त जिम्मेदार, जनता से जुड़े काम होंगे ऑनलाइन | Jda news DC responsible if file is pending public related work online | News 4 Social h3>
जेडीए की बिगड़ी छवि सुधारने के लिए ऑनलाइन को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही जोन कार्यालय में फाइलें लम्बित न रहें, इसका भी ध्यान रखा जाएगा। यदि किसी आलाधिकारी के निरीक्षण में फाइलें लम्बित मिलीं तो इसके लिए जोन उपायुक्त को जिम्मेदार माना जाएगा। कौन सी फाइल कितने दिन से लम्बित है और क्या कारण है, इसकी जानकारी नियमित रूप से जोन उपायुक्त को लेनी होगी। इतना ही नहीं, लोक सेवा गारंटी अधिनियम-2011 के तहत आने वाली सभी सेवाओं को जेडीए ने ऑनलाइन करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
जेडीए की बिगड़ी छवि सुधारने के लिए ऑनलाइन को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही जोन कार्यालय में फाइलें लम्बित न रहें, इसका भी ध्यान रखा जाएगा। यदि किसी आलाधिकारी के निरीक्षण में फाइलें लम्बित मिलीं तो इसके लिए जोन उपायुक्त को जिम्मेदार माना जाएगा। कौन सी फाइल कितने दिन से लम्बित है और क्या कारण है, इसकी जानकारी नियमित रूप से जोन उपायुक्त को लेनी होगी। इतना ही नहीं, लोक सेवा गारंटी अधिनियम-2011 के तहत आने वाली सभी सेवाओं को जेडीए ने ऑनलाइन करने के आदेश जारी कर दिए हैं। सभी सेवाएं ऑनलाइन होने से लोगों को जेडीए के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और संबंधित अधिकारी और कर्मचारी फाइल को रोक भी नहीं पाएंगे।
ये काम होंगे ऑनलाइन
-अधिनियम में नाम हस्तांतरण, भूखंड का उप-विभाजन और पुनर्गठन, लीज मुक्ति प्रमाण पत्र, योजना का मानचित्र अनुमोदन, भवन मानचित्र अनुमोदन कब्जा पत्र सहित अन्य प्रकरणों में सात दिन से लेकर 90 दिन तक का प्रावधान है। लेकिन, जेडीए में इसकी पालना नहीं हो रही थी। लोकसेवा गारंटी अधिनियम-2011 की जेडीए में कैसे अवहेलना की जा रही है, इसकी राजस्थान पत्रिका ने 14 जनवरी को खबर प्रकाशित की थी।
अर्बन प्लानर कर रहे मनमानी, उपायुक्त नहीं कर रहे कार्रवाई
इधर, जेडीए के जोन कार्यालय में अर्बन प्लानर और वास्तुविदों की मनमानी चल रही है। इसके विरोध में एक नवम्बर, 2023 को जोन-10, 11, 12, 13 और 14 के उप नगर नियोजकों ने यू ओ नोट लिखा। ये यू ओ नोट जोन उपायुक्त, तहसीलदार, कनिष्ठ अभियंता से लेकर सहायक लेखाधिकारी और पटवारी को भेजा। लेकिन, किसी ने भी अर्बन प्लानर की मनमानी को नहीं रोका। अब भी अर्बन प्लानर काम में मनमानी कर रहे हैं।
इन सभी उप नगर नियोजकों ने अपने यूओ नोट में लिखा कि संविदाकर्मी (अर्बन प्लानर/ वास्तुविद) अपने मूल पद का उपयोग न करते हुए सीधे सहायक नगर नियोजक के पदनाम का उपयोग कर रहे हैं। जबकि, नियमानुसार ऐसा नहीं कर सकते। एजेंसी के माध्यम से लगाए गए ये कार्मिक साइट प्लान व बिल्डिंग प्लान जारी करने से संबंधित कार्रवाई और भू-समर्पण के प्रकरणों में मुआवजे के लिए भूखंड प्रस्तावित कर रहे हैं।
नियमों में ये
-नियमन संबंधी प्रकरणों का स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करेंगे।-जेडीए की विभिन्न योजनाओं के ले आउट तैयार करना।
-भवन निर्माण स्वीकृति के अनुमोदन के लिए परीक्षण और कार्रवाई।- नगर नियोजन संबंधी समस्त प्रकरणों का परीक्षण कर टिप्पणी देना
कर रहे ये
-जोनल प्लान कमेटी की बैठक में शामिल हो रहे। कमेटी सदस्य के रूप में सहायक नगर नियोजक के पदनाम पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।
-प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत जारी हुए पट्टों पर भी नगर नियोजक सहायक के पदनाम पर हस्ताक्षर किए हैं।
-लैंड फॉर लैंड में भी अर्बन प्लानर की भूमिका रही है। इसका जिक्र उप नगर नियोजकों ने अपने पत्र में भी की है।