मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम: पहलगाम के बावजूद देश के पर्यटक कश्मीर जाना न छोड़ें h3>
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2 घंटे पहले
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मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक
पहलगाम में आतंकी हमले को प्रायोजित करने वाले पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कूटनीतिक कार्रवाई जारी है, लेकिन हम नागरिकों का फर्ज है कि एक पर्यटन स्थल के तौर पर कश्मीर को न छोड़ें। ऐसा करने पर फायदा पाकिस्तान काे ही होगा।
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अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद से ही पाकिस्तानी सेना और आईएसआई, जम्मू-कश्मीर की बढ़ती अर्थव्यवस्था को देखकर मायूस हो रहे हैं। इस केंद्र शासित प्रदेश का कर राजस्व 2019 में 7,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 2024 में 21,000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। कश्मीर की इस समृद्धि में मुख्य योगदान पर्यटन का है।
पिछले साल 35 लाख देशी-विदेशी पर्यटक कश्मीर पहुंचे थे। यह 2021 की तुलना में (लगभग 6.7 लाख) 500% ज्यादा है। इसमें भी पहलगाम पर्यटकों का पसंदीदा है। 2019 के बाद जैसे ही घाटी में पर्यटन बढ़ा, पहलगाम में दर्जनों कैफे, रेस्तरां और छोटे होटल खुल गए।
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कश्मीर में ज्यादातर पर्यटक छुट्टियों की शुरुआत श्रीनगर से करते हैं, फिर वे पहलगाम और गुलमर्ग जाते हैं। आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में घात लगाने से पहले एक हफ्ते तक श्रीनगर के होटलों में पर्यटकों की दिनचर्या पर नजर रखी थी, क्योंकि उन्हें पता था इस जगह पर कोई सुरक्षाकर्मी नहीं होगा।
इस्लामाबाद ने कश्मीर में बढ़ते पर्यटन को गुस्से और हताशा के साथ देखा है। पाकिस्तानी सेना को लगा 370 के हटने को कश्मीरी लोगों के साथ विश्वासघात बताकर वह वहां अशांति फैला सकती है। लेकिन हुआ उलट। हुर्रियत अलगाववादियों में हड़कंप मच गया है। पत्थरबाजी बंद हो गई है।
कश्मीरी युवाओं ने जम्मू-कश्मीर में निवेश के कारण खुले नए आर्थिक अवसरों को अपनाया है। व्यापारी परिवहन के नए इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से खुश हैं, जिससे अब उन्हें अपने उत्पादों को दिल्ली और अन्य जगहों पर बेचने में कई दिन नहीं, बल्कि चंद घंटे ही लगते हैं। नए हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट ने कश्मीरी गांवों को रोशन कर दिया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) कई मायनों में अनोखी है। इसमें भारत का पहला केबल वाला रेल पुल और पहाड़ों पर एकमात्र ब्रॉड-गेज रेलवे ट्रैक शामिल है। इस मार्ग में सौ किलोमीटर से ज्यादा सुरंगों के साथ ही दर्जनों रेल पुल हैं, जिसमें दुनिया का सबसे ऊंचा पुल भी शामिल है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली से श्रीनगर तक रातभर में यात्रा की सुविधा देने वाला नया मार्ग जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देगा। इससे भी जरूरी बात यह कि इससे व्यापार, रोजगार सृजन, स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
घाटी में हर ट्रेन सड़क पर वाहनों की संख्या कम करने, हवा को साफ रखने और क्षेत्र के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की क्षमता रखती है। सेब से भरी एक कंटेनर ट्रेन न केवल देशभर के बाजारों में उपज ले जाएगी, बल्कि सड़क पर गाड़ियों की प्रदूषणकारी आवाजाही को भी कम करेगी।
कश्मीर घाटी को शेष भारत से रेल द्वारा जोड़ने वाली यूएसबीआरएल शायद हाल के वर्षों में भारत की सबसे महत्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। श्रीनगर को दिल्ली से जोड़ने के अलावा जोजिला सुरंग सोनमर्ग को कारगिल के द्रास से जोड़ेगी, जिससे लद्दाख को हर मौसम में जुड़े रहने की सुविधा मिलेगी और यात्रा का समय घंटों से घटकर मात्र 15 मिनट रह जाएगा।
पिछले साल जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार बनी। पीओके की परिस्थिति पूरी तरह उलट है। यहां कोई आर्थिक विकास, पर्यटन और लोकतंत्र नहीं है।
‘वर्दीधारी आतंकवादी’ कहे जाने वाले पाकिस्तान के कट्टरपंथी सेना प्रमुख असीम मुनीर के लिए बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान द्वारा हाल में किए गए हमले आखिरी झटके की तरह थे।
भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने वाला है और पाकिस्तान का सदाबहार मित्र चीन भी नई दिल्ली के साथ आर्थिक संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है। 1999 में तख्तापलट में नवाज शरीफ को पद से हटाने से कुछ समय पहले मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री की अनुमति बिना कारगिल युद्ध शुरू कर दिया था, जिसके कारण पाकिस्तान को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था।
इमरान खान को जेल में रखने वाले मुनीर जानते हैं कि भारत के खिलाफ युद्ध जीतना असंभव है। लेकिन यह आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहे देश को एकजुट कर सकता है। अगले कुछ दिन बताएंगे कि मुनीर का गलत अनुमान पाकिस्तान को कितना नुकसान पहुंचाएगा।
भारतीयों के लिए यह खास अवसर है, जब उन्हें कश्मीर में पर्यटक या उद्यमी के तौर पर जाना जारी रखना चाहिए। 30 वर्षों में पहली बार आम कश्मीरी मुसलमानों ने पहलगाम के पीड़ितों के साथ एकजुटता में घाटी बंद रखी है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक
पहलगाम में आतंकी हमले को प्रायोजित करने वाले पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कूटनीतिक कार्रवाई जारी है, लेकिन हम नागरिकों का फर्ज है कि एक पर्यटन स्थल के तौर पर कश्मीर को न छोड़ें। ऐसा करने पर फायदा पाकिस्तान काे ही होगा।
अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद से ही पाकिस्तानी सेना और आईएसआई, जम्मू-कश्मीर की बढ़ती अर्थव्यवस्था को देखकर मायूस हो रहे हैं। इस केंद्र शासित प्रदेश का कर राजस्व 2019 में 7,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 2024 में 21,000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। कश्मीर की इस समृद्धि में मुख्य योगदान पर्यटन का है।
पिछले साल 35 लाख देशी-विदेशी पर्यटक कश्मीर पहुंचे थे। यह 2021 की तुलना में (लगभग 6.7 लाख) 500% ज्यादा है। इसमें भी पहलगाम पर्यटकों का पसंदीदा है। 2019 के बाद जैसे ही घाटी में पर्यटन बढ़ा, पहलगाम में दर्जनों कैफे, रेस्तरां और छोटे होटल खुल गए।
कश्मीर में ज्यादातर पर्यटक छुट्टियों की शुरुआत श्रीनगर से करते हैं, फिर वे पहलगाम और गुलमर्ग जाते हैं। आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में घात लगाने से पहले एक हफ्ते तक श्रीनगर के होटलों में पर्यटकों की दिनचर्या पर नजर रखी थी, क्योंकि उन्हें पता था इस जगह पर कोई सुरक्षाकर्मी नहीं होगा।
इस्लामाबाद ने कश्मीर में बढ़ते पर्यटन को गुस्से और हताशा के साथ देखा है। पाकिस्तानी सेना को लगा 370 के हटने को कश्मीरी लोगों के साथ विश्वासघात बताकर वह वहां अशांति फैला सकती है। लेकिन हुआ उलट। हुर्रियत अलगाववादियों में हड़कंप मच गया है। पत्थरबाजी बंद हो गई है।
कश्मीरी युवाओं ने जम्मू-कश्मीर में निवेश के कारण खुले नए आर्थिक अवसरों को अपनाया है। व्यापारी परिवहन के नए इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से खुश हैं, जिससे अब उन्हें अपने उत्पादों को दिल्ली और अन्य जगहों पर बेचने में कई दिन नहीं, बल्कि चंद घंटे ही लगते हैं। नए हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट ने कश्मीरी गांवों को रोशन कर दिया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) कई मायनों में अनोखी है। इसमें भारत का पहला केबल वाला रेल पुल और पहाड़ों पर एकमात्र ब्रॉड-गेज रेलवे ट्रैक शामिल है। इस मार्ग में सौ किलोमीटर से ज्यादा सुरंगों के साथ ही दर्जनों रेल पुल हैं, जिसमें दुनिया का सबसे ऊंचा पुल भी शामिल है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली से श्रीनगर तक रातभर में यात्रा की सुविधा देने वाला नया मार्ग जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देगा। इससे भी जरूरी बात यह कि इससे व्यापार, रोजगार सृजन, स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
घाटी में हर ट्रेन सड़क पर वाहनों की संख्या कम करने, हवा को साफ रखने और क्षेत्र के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की क्षमता रखती है। सेब से भरी एक कंटेनर ट्रेन न केवल देशभर के बाजारों में उपज ले जाएगी, बल्कि सड़क पर गाड़ियों की प्रदूषणकारी आवाजाही को भी कम करेगी।
कश्मीर घाटी को शेष भारत से रेल द्वारा जोड़ने वाली यूएसबीआरएल शायद हाल के वर्षों में भारत की सबसे महत्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। श्रीनगर को दिल्ली से जोड़ने के अलावा जोजिला सुरंग सोनमर्ग को कारगिल के द्रास से जोड़ेगी, जिससे लद्दाख को हर मौसम में जुड़े रहने की सुविधा मिलेगी और यात्रा का समय घंटों से घटकर मात्र 15 मिनट रह जाएगा।
पिछले साल जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार बनी। पीओके की परिस्थिति पूरी तरह उलट है। यहां कोई आर्थिक विकास, पर्यटन और लोकतंत्र नहीं है।
‘वर्दीधारी आतंकवादी’ कहे जाने वाले पाकिस्तान के कट्टरपंथी सेना प्रमुख असीम मुनीर के लिए बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान द्वारा हाल में किए गए हमले आखिरी झटके की तरह थे।
भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने वाला है और पाकिस्तान का सदाबहार मित्र चीन भी नई दिल्ली के साथ आर्थिक संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है। 1999 में तख्तापलट में नवाज शरीफ को पद से हटाने से कुछ समय पहले मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री की अनुमति बिना कारगिल युद्ध शुरू कर दिया था, जिसके कारण पाकिस्तान को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था।
इमरान खान को जेल में रखने वाले मुनीर जानते हैं कि भारत के खिलाफ युद्ध जीतना असंभव है। लेकिन यह आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहे देश को एकजुट कर सकता है। अगले कुछ दिन बताएंगे कि मुनीर का गलत अनुमान पाकिस्तान को कितना नुकसान पहुंचाएगा।
भारतीयों के लिए यह खास अवसर है, जब उन्हें कश्मीर में पर्यटक या उद्यमी के तौर पर जाना जारी रखना चाहिए। 30 वर्षों में पहली बार आम कश्मीरी मुसलमानों ने पहलगाम के पीड़ितों के साथ एकजुटता में घाटी बंद रखी है।
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