मिड डे मील में रोज अंडा खिलाएंगे बिहार के स्कूल? तमिलनाडु मॉडल पर फिदा हुई नीतीश सरकार

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मिड डे मील में रोज अंडा खिलाएंगे बिहार के स्कूल? तमिलनाडु मॉडल पर फिदा हुई नीतीश सरकार

मिड डे मील में रोज अंडा खिलाएंगे बिहार के स्कूल? तमिलनाडु मॉडल पर फिदा हुई नीतीश सरकार

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सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए चल रही मध्याह्न भोजन योजना यानी मिड डे मील स्कीम के तहत बिहार में आने वाले दिनों में विद्यालय हर रोज बच्चों को अंडा या फल खाने दे सकते हैं। बिहार की नीतीश कुमार सरकार मिड डे मील के नाम से मशहूर पीएम पोषण योजना के तमिलनाडु मॉडल पर फिदा हो गई है। राज्य सरकार ने तमिलनाडु में मिड डे मील का प्रेजेंटेशन मंगवाकर देखा है और अब बिहार सरकार के अधिकारी योजना पर अमल को देखने, समझने और सीखने के लिए तमिलनाडु जाने वाले हैं। तमिलनाडु में बच्चों को हर रोज सुबह नाश्ता और दोपहर के भोजन में हर रोज एक अंडा या केल दिया जाता है। बिहार में इस समय सप्ताह में सिर्फ एक दिन बच्चों को उनकी पसंद से अंडा या फल खाने मिलता है।

मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय विचार कर रहा है कि बच्चों को सप्ताह में एक दिन शनिवार को ही खिचड़ी खिलाई जाए। जल्द ही इस संबंध में निर्णय हो जाएगा। वर्तमान में सप्ताह में दो दिन बुधवार और शनिवार को हरी सब्जी युक्त खिचड़ी और चोखा खाने को दिया जाता है। बुधवार को खिचड़ी की जगह दाल-चावल अथवा छोले-चावल परोसा जाएगा। मेन्यू में इस बदलाव का कारण है कि बच्चे खिचड़ी खाना उतना पसंद नहीं करते हैं। पदाधिकारियों को स्कूल निरीक्षण के दौरान भी बच्चे यह बात बताते हैं। वर्तमान में पहली से आठवीं तक के बच्चों को स्कूलों में मध्याह्न भोजन दिया जाता है। इस योजना से शिक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है।

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मध्याह्न भोजन योजना के बेहतर संचालन में तमिलनाडु देश में एक मॉडल है। तमिलनाडु में मिड डे मील के मेन्यू से लेकर भोजन बनाने और परोसने तक की बारीकियों को देखने-समझने पदाधिकारी जाएंगे। इसके बाद विभाग तय करेगा कि बिहार में मध्याह्न भोजन योजना में क्या बदलाव किये जा सकते हैं। तमिलनाडु के संबंधित पदाधिकारियों से यहां के अधिकारियों ने बात की है। 

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तमिलनाडु सरकार ने अपनी मध्याह्न भोजन योजना से संबंधित विस्तृत जानकारी पीपीटी के माध्यम से बिहार को भेजी है। पीपीटी में बताया गया है कि तमिलनाडु के स्कूलों में बच्चों को दोपहर के भोजन के साथ-साथ सुबह में नाश्ता भी दिया जाता है। सप्ताह में पांच दिन अंडा दिया जाता है। तीन तरह के रसोइया होते हैं। इनमें एक रसोइयों का प्रमुख होता है। तीनों रसोइयों को क्रमश 9000, 12500 और 24000 रुपए वेतन दिया जाता है।

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बिहार में बच्चों को दो दिन खिचड़ी और बाकी दिन दाल-चावल मिलता है। खिचड़ी के साथ आलू का चोखा जबकि दाल-चावल के साथ अलग-अलग दिन आलू-सोयाबीन, आलू-चना और हरी सब्जी दी जाती है। चावल की आपूर्ति सरकार करती है जबकि बाकी चीज निर्धारित दर पर स्कूल खरीदता है। रसोइया को 1800 रुपए महीने मानदेय मिलता है।

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