माले ने तेजस्वी से मांग लीं 5 सीटें, JDU सिटिंग 16 पर अड़ी, RJD-कांग्रेस पर नुकसान उठाने का दबाव

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माले ने तेजस्वी से मांग लीं 5 सीटें, JDU सिटिंग 16 पर अड़ी, RJD-कांग्रेस पर नुकसान उठाने का दबाव

माले ने तेजस्वी से मांग लीं 5 सीटें, JDU सिटिंग 16 पर अड़ी, RJD-कांग्रेस पर नुकसान उठाने का दबाव

बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में लोकसभा सीटों का बंटवारा सुलझता नहीं दिख रहा है। इंडिया गठबंधन की तीसरी बैठक में मुंबई में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू यादव ने कहा था कि वो नुकसान उठाकर भी गठबंधन को सफल बनाएंगे। उनकी बात सच होती दिख रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के पांच दलों में आरजेडी 19, कांग्रेस 9, रालोसपा 5, हम और वीआईपी 3-3 सीट पर चुनाव लड़ी थी और एक सीट पर सीपीआई-माले को आरजेडी ने अपने कोटे से समर्थन देकर छोड़ दिया था। सीट बंटवारे की बात शुरू हुए तीन सप्ताह हो चुके हैं लेकिन सब अपनी दावेदारी के साथ डटे हैं। माहौल ऐसा बन रहा है जिसमें आरजेडी और कांग्रेस पर नुकसान उठाने यानी कम सीट लड़ने का दबाव है।

इंडिया गठबंधन के सूत्रधार और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ये साफ कह चुकी है कि 2019 में उसके कैंडिडेट जिन 16 सीटों पर जीते थे, उन सिटिंग लोकसभा क्षेत्रों पर वो कोई बात नहीं करेगी। नीतीश सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सबसे बड़ी लेफ्ट पार्टी सीपीआई-माले के नेताओं ने बुधवार को आरजेडी नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात करके पांच सीटों की मांग रख दी है। भाकपा माले के प्रतिनिधिमंडल में पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा, राजाराम सिंह और केडी यादव शामिल थे।तेजस्वी से मुलाकात में माले नेताओं ने इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर चर्चा की। माले पहले छह सीटों पर दावेदारी कर रही थी। अब वह पांच सीटों की डिमांड कर रही है।

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सूत्रों के हवाले से एक फॉर्मूला सामने आया था उसमें आरजेडी और जेडीयू को 17-17 सीट, कांग्रेस को 5 और सीपीआई-माले को 1 सीट देने की बात थी। लेकिन फॉर्मूला ना कांग्रेस को पसंद आया और ना ही लेफ्ट को। 19 विधायकों वाली कांग्रेस को 5 सीट और 12 एमएलए वाली माले को 1 सीट। फिर एक और फॉर्मूला निकला कि आरजेडी और जेडीयू 16-16 सीट और बची 8 सीटों में 6 कांग्रेस और 2 माले लड़ ले।

फॉर्मूले में सीपीआई का नाम नहीं होने की आहट मिलते ही सीपीआई महासचिव डी राजा पटना पहुंचे। राजा ने नीतीश कुमार, लालू यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात की है और सीपीआई के लिए तीन सीटों की मांग रख दी है। बेगूसराय, बांका और मधुबनी। इसमें बेगूसराय अनिवार्य सीट है नहीं तो वो बिहार में गठबंधन से बाहर जाकर लड़ सकती है।

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आफत यह है कि कांग्रेस कम से कम 7-8 सीट लड़ना चाहती है। फिर तीसरा फॉर्मूला आया कि आरजेडी-जेडीयू 15-15 सीट लड़ती है तो बची 10 सीटों में 7 कांग्रेस, 2 माले और 1 सीपीआई को मिल सकती है। ऐसा होने पर लोकसभा लड़ने में सक्षम गठबंधन की सारी पार्टियों को सम्मान भर सीट मिल जाएगी।

जेडीयू के 16 से नीचे जाने का मतलब है कि उसे कोई सिटिंग सीट छोड़नी होगी जिस संभावना को वो अभी तक मजबूती से नकार रही है। आरजेडी और जेडीयू दोनों कैंप मान रहा है कि कांग्रेस मांग चाहे जो भी रही हो लेकिन 6-7 सीट मिल जाए तो वो मान जाएगी। पेच फंसा हुआ है सीपीआई-माले और सीपीआई को लेकर जो 2019 में चार और दो सीट लड़ी थी। माले पांच मांग रही है लेकिन दो-तीन पर मान सकती है। सीपीआई को बेगूसराय मिल जाए तो बात खत्म है। सीपीएम के दो विधायक हैं लेकिन कोई सीट ऐसी नहीं है जिसे वो लड़ने और जीतने का ठोस दावा कर सकें।

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कहने का मतलब ये कि आरजेडी और जेडीयू के बाहर तीन पार्टियां हैं जिन्हें कुल 10-11 सीट मिल जाए तो कहानी सेट हो सकती है। सवाल सिर्फ इतना है कि क्या नीतीश और लालू 15-15 सीट लड़ने को तैयार होंगे जब बीजेपी अकेले 30 सीट लड़ने की तैयारी कर रही है।

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