माफिया डॉन मुख्तार अंसारी, धनंजय सिंह और रमाकांत यादव जेल में हैं बंद, क्या इस बार 'बाहुबली मुक्त' होगा उत्तर प्रदेश का लोकसभा चुनाव ? | Mukhtar Ansari Dhananjay Singh Ramakant Yadav in jail will be Lok Sabha elections of Uttar Pradesh be Bahubali free this time | News 4 Social h3>
बीजेपी ने यूपी के 51 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। बाकी बची 29 सीटों में से एनडीए (NDA) के सहयोगी दल रालोद (RLD)2 सीटों (बागपत और बिजनौर) पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं। इनमें से दो सीटें अपना दल (एस) को और एक सीट सुभासपा को मिलेगी। ऐसे में भाजपा 24 सीटों पर ही अपने प्रत्याशी घोषित करेगी।
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हालांकि, बाराबंकी सांसद उपेंद्र सिंह रावत का अश्लील वीडियो सामने आने के बाद सांसद ने खुद ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। ऐसे में अब बाराबंकी से बीजेपी दूसरे उम्मीदवार के नाम की घोषणा करेगी। वहीं, सपा ने 31 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक यूपी में अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।
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हर चुनाव में बाहुबलियों का रहता था दबदबा
एक जमाने में बाहुबलियों के बगैर यूपी में चुनाव नहीं हो सकते थे। चाहे विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, सभी जगह उनका बराबर दखल हुआ करता था। उनके सामने चुनाव लड़ने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। अब जमाना बदल गया है। ऐसे ज्यादातर लोग या तो जेल में हैं या फिर सियासी रसातल में पहुंच गए हैं।
राजनीतिक दलों ने भी बाहुबलियों से पीछा छुड़ाना शुरू कर दिया है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 1970 से लेकर 2017 तक पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड और पश्चिम इलाके तक बाहुबलियों का बोलबाला हुआ करता था। यह न सिर्फ चुनाव लड़ते थे, बल्कि पार्टियों को ब्लैकमेल भी करते थे और चुनाव को बाधित करते थे।
मऊ- गाजीपुर तक मुख्तार अंसारी को होता था जलवा
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उदाहरण के तौर पर मऊ सदर सीट से विधायक बनने वाले मुख्तार अंसारी का जलवा होता था। मऊ-गाजीपुर के हर छोटे-बड़े चुनावों में उसका हस्तक्षेप रहता था। समय का पहिया घूमा और आज वह जेल की सलाखों के पीछे है। ऐसे ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा सुनाई गई है। उनका राजनीतिक भविष्य अधर में लटका है।
बाहुबली नेता रमाकांत यादव जेल में हैं बंद
यादव वोटों पर मजबूत पकड़ रखने वाले चार बार के सांसद और पांच बार के विधायक बाहुबली नेता रमाकांत यादव जेल में बंद हैं। इस बार चुनाव में उनका कोई प्रभाव नहीं रहेगा। ज्ञानपुर के पूर्व विधायक विजय मिश्र भी हत्या के मामले में जेल में बंद है। वह भी चुनाव में भाग नहीं ले पाएंगे।
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वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि उत्तर प्रदेश का चुनाव बिना बाहुबलियों के कभी नहीं लड़ा गया। यह ऐसा पहला चुनाव है, जिसमें नामी माफिया या तो जेल में बंद हैं या फिर ऊपर की सैर कर रहे हैं। अगर बात करें बुंदेलखंड और चंबल कि तो यहां शिव कुमार पटेल ददुआ, ठोकिया, शंकर जैसे डाकू चुनाव की हार-जीत तय करते थे। इनका इतिहास आतंक का हुआ करता था। समय के साथ उनका अंत हो गया है।
प्रयागराज के आसपास इलाके में अतीक की बोलती थी तूती
रावत कहते हैं कि पूर्व मंत्री डीपी यादव से सपा, बसपा ने किनारा किया तो उनकी राजनीतिक जमीन कमजोर हो गई। प्रयागराज में माफिया अतीक और उसका भाई अशरफ ये दो नाम थे, जिनके इर्द-गिर्द हर चुनाव घूमता था, लेकिन पिछले वर्ष दोनों की हत्या के बाद प्रभाव खत्म हो गया।
उत्तर प्रदेश पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के विभिन्न जनपदों के दुर्दांत अपराधियों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई के दौरान कुल 194 अपराधी मुठभेड़ में मारे गये और 5,942 घायल हुए। इसमें पुलिस बल के 16 जवान वीरगति को प्राप्त हुए तथा 1,505 पुलिस कर्मी घायल हुए।
राज्य स्तर पर चिन्हित कुल 68 माफिया और उनके गैंग के सदस्यों और सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। अब तक लगभग 3,758 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर एक्शन लिया गया है।
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बीजेपी ने यूपी के 51 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। बाकी बची 29 सीटों में से एनडीए (NDA) के सहयोगी दल रालोद (RLD)2 सीटों (बागपत और बिजनौर) पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं। इनमें से दो सीटें अपना दल (एस) को और एक सीट सुभासपा को मिलेगी। ऐसे में भाजपा 24 सीटों पर ही अपने प्रत्याशी घोषित करेगी।
हालांकि, बाराबंकी सांसद उपेंद्र सिंह रावत का अश्लील वीडियो सामने आने के बाद सांसद ने खुद ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। ऐसे में अब बाराबंकी से बीजेपी दूसरे उम्मीदवार के नाम की घोषणा करेगी। वहीं, सपा ने 31 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक यूपी में अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।
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हर चुनाव में बाहुबलियों का रहता था दबदबा
एक जमाने में बाहुबलियों के बगैर यूपी में चुनाव नहीं हो सकते थे। चाहे विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, सभी जगह उनका बराबर दखल हुआ करता था। उनके सामने चुनाव लड़ने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। अब जमाना बदल गया है। ऐसे ज्यादातर लोग या तो जेल में हैं या फिर सियासी रसातल में पहुंच गए हैं।
राजनीतिक दलों ने भी बाहुबलियों से पीछा छुड़ाना शुरू कर दिया है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 1970 से लेकर 2017 तक पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड और पश्चिम इलाके तक बाहुबलियों का बोलबाला हुआ करता था। यह न सिर्फ चुनाव लड़ते थे, बल्कि पार्टियों को ब्लैकमेल भी करते थे और चुनाव को बाधित करते थे।
मऊ- गाजीपुर तक मुख्तार अंसारी को होता था जलवा
उदाहरण के तौर पर मऊ सदर सीट से विधायक बनने वाले मुख्तार अंसारी का जलवा होता था। मऊ-गाजीपुर के हर छोटे-बड़े चुनावों में उसका हस्तक्षेप रहता था। समय का पहिया घूमा और आज वह जेल की सलाखों के पीछे है। ऐसे ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा सुनाई गई है। उनका राजनीतिक भविष्य अधर में लटका है।
बाहुबली नेता रमाकांत यादव जेल में हैं बंद
यादव वोटों पर मजबूत पकड़ रखने वाले चार बार के सांसद और पांच बार के विधायक बाहुबली नेता रमाकांत यादव जेल में बंद हैं। इस बार चुनाव में उनका कोई प्रभाव नहीं रहेगा। ज्ञानपुर के पूर्व विधायक विजय मिश्र भी हत्या के मामले में जेल में बंद है। वह भी चुनाव में भाग नहीं ले पाएंगे।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि उत्तर प्रदेश का चुनाव बिना बाहुबलियों के कभी नहीं लड़ा गया। यह ऐसा पहला चुनाव है, जिसमें नामी माफिया या तो जेल में बंद हैं या फिर ऊपर की सैर कर रहे हैं। अगर बात करें बुंदेलखंड और चंबल कि तो यहां शिव कुमार पटेल ददुआ, ठोकिया, शंकर जैसे डाकू चुनाव की हार-जीत तय करते थे। इनका इतिहास आतंक का हुआ करता था। समय के साथ उनका अंत हो गया है।
प्रयागराज के आसपास इलाके में अतीक की बोलती थी तूती
रावत कहते हैं कि पूर्व मंत्री डीपी यादव से सपा, बसपा ने किनारा किया तो उनकी राजनीतिक जमीन कमजोर हो गई। प्रयागराज में माफिया अतीक और उसका भाई अशरफ ये दो नाम थे, जिनके इर्द-गिर्द हर चुनाव घूमता था, लेकिन पिछले वर्ष दोनों की हत्या के बाद प्रभाव खत्म हो गया।
उत्तर प्रदेश पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के विभिन्न जनपदों के दुर्दांत अपराधियों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई के दौरान कुल 194 अपराधी मुठभेड़ में मारे गये और 5,942 घायल हुए। इसमें पुलिस बल के 16 जवान वीरगति को प्राप्त हुए तथा 1,505 पुलिस कर्मी घायल हुए।
राज्य स्तर पर चिन्हित कुल 68 माफिया और उनके गैंग के सदस्यों और सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। अब तक लगभग 3,758 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर एक्शन लिया गया है।