मानसून के दौरान हादसों की आशंका: संभाग के 4969 स्कूल भवन जर्जर, अब बजट मांग रहे, बारिश में न मरम्मत संभव-न निर्माण – Udaipur News

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मानसून के दौरान हादसों की आशंका:  संभाग के 4969 स्कूल भवन जर्जर, अब बजट मांग रहे, बारिश में न मरम्मत संभव-न निर्माण – Udaipur News
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मानसून के दौरान हादसों की आशंका: संभाग के 4969 स्कूल भवन जर्जर, अब बजट मांग रहे, बारिश में न मरम्मत संभव-न निर्माण – Udaipur News

प्रदेश में मानसून दस्तक दे चुका है, लेकिन सरकारी स्कूलों के हाल खराब हैं। हालात यह हैं कि उदयपुर के संभाग के ॑॑12 हजार 928 में से 4969 स्कूलों के भवन जर्जर हैं। इनमें से 1077 के भवन-कक्षा कक्ष तो अति जर्जर श्रेणी में शामिल हैं। 50 से ज्यादा स्कूलों क

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चौंकाने वाली बात यह है कि जिस संभाग स्तरीय स्कूली शिक्षा के संयुक्त निदेशक कार्यालय पर स्कूलों के संचालन की जिम्मेदारी है, उसका खुद का भवन जर्जर हो चुका है। छतों से प्लास्टर गिर चुका है। खुद संयुक्त निदेशक रंजना कोठारी के दफ्तर की भी छत का प्लास्तर उखड़ चुका है। संभाग के उदयपुर जिले के 3 हजार 857 स्कूलों में से 1611 के भवन जर्जर हैं। 268 स्कूलों के भवन अति जर्जर हैं और 17 स्कूलों को खाली कराकर बंद कराया जा चुका है। अब ये दूसरे भवनों या खुले मैदान में संचालित हैं। राजसमंद, बांसवाड़ा, डूंगरपुर जिलों में भी ऐसे ही हालात हैं।

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अब बारिश की दस्तक के बीच सरकारी तंत्र स्कूलों के जर्जर भवनों की मरम्मत-निर्माण के लिए कागजी खानापूर्ति करने में जुटा है। संभागीय आयुक्त कार्यालय ने सभी जिलों के कलेक्टरों व अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों से डीएमएफटी, रमसा, समसा और एसएसए फंड से बजट राशि मांगने का कागजी खाका खींचा है। असल स्थिति यह है कि अब 15 सितंबर तक बारिश जारी रहेगी। इस दौरान जर्जर भवनों की मरम्मत-निर्माण कार्य कराना संभव नहीं है।

संयुक्त निदेशक कार्यालय भवन ही खस्ताहाल तो इन्हें कौन देखेगा?

केस 1 : दो भवन, एक इतना जर्जर कि बंद किया

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राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल लराठी, खेरवाड़ा में कक्षा 1 से 12वीं तक के 460 पढ़ते हैं। स्कूल के दो भवनों में से एक दम तोड़ चुका है। इसके सभी 6 कमरों को बंद कर दिया गया है। दूसरे भवन के 7 कमरों में से एक प्रधानाचार्य-एक पुस्तकालय-एक आईटी और एक एलईडी कक्ष है। बाकी 3 कमरे 460 बच्चों के लिए हैं यानी एक कमरे में औसतन 153 बच्चों को पढ़ना होगा, जबकि कमरों की क्षमता 30 बच्चों की ही है। ऐसे में कक्षा 1 से 9वीं के बच्चों को बाहर बैठाया जाता है, जबकि 10वीं, 11वीं, व 12वीं के बच्चे एक ही कमरे में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।

केस 2: भवन नहीं, बच्चे दूसरी जगह पढ़ने को मजबूर

राजकीय प्राथमिक विद्यालय पीपली खेत ग्राम पंचायत खुणा, कोटड़ा का भवन जर्जर होकर दम तोड़ चुका है। इसमें बच्चों को बिठाना संभव नहीं है। ऐसे में बच्चे दूसरी जगह पढ़ने को मजबूर हैं।

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केस 3: एक कमरा, 117 बच्चे

राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल सेइकलां, कोटड़ा में तीन कमरे हैं। दो जर्जर हैं। अब एक कमरे में चल रहा है। इस एक कमरे में 30 बच्चे बिठाए जा सकते हैं, जबकि इस स्कूल में 117 बच्चे पढ़ते हैं। ऐसे में बाहर बिठाना मजबूरी है। इस स्कूल का नया भवन भी बनाया जाना भी प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक नहीं बना है।

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