महाकुंभ में किन्नर महामंडलेश्वर का जटा पार्लर: 8 हजार से 1.65 लाख तक में आर्टिफिशियल जटा, यहीं सजी थीं हर्षा रिछारिया

7
महाकुंभ में किन्नर महामंडलेश्वर का जटा पार्लर:  8 हजार से 1.65 लाख तक में आर्टिफिशियल जटा, यहीं सजी थीं हर्षा रिछारिया
Advertising
Advertising

महाकुंभ में किन्नर महामंडलेश्वर का जटा पार्लर: 8 हजार से 1.65 लाख तक में आर्टिफिशियल जटा, यहीं सजी थीं हर्षा रिछारिया

  • Hindi News
  • Mahakumbh
  • Jata Parlour Of Maha Kumbh, Where Crowds Are Gathering| Dreadlock Artist| MAHAKUMBH 2025

प्रयागराज10 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
Advertising

महाकुंभ में वसंत पंचमी के अमृत स्नान से एक तस्वीर सामने आई। साड़ी पहनकर स्नान करती हुई एक जटाधारी की। डुबकी लगाने के बाद बालों को हवा में लहराते हुई इस तस्वीर को देख लोगों ने कहा- शिव जैसी जटाएं हैं, तो किसी ने कहा- मां काली जैसी।

Advertising

लेकिन ये जटाधारी कौन थीं? यह कोई नहीं जानता। दैनिक भास्कर ने महाकुंभ नगर में यह तलाश पूरी की, तो एक नई कहानी सामने आई। इसका नायक और नायिका दोनों एक ही शख्स है, जिसका नाम है- एलिजा बाई राठौर।

इंदौर की एलिजा बाई देश की पहली ऐसी किन्नर हैं, जो पेशेवर ड्रेडलॉक आर्टिस्ट हैं। संगम नगरी में उनका जटा पार्लर है, जहां अब तक अनगिनत साधु-संत अपनी जटा संवार चुके हैं। इसके अलावा कई युवाओं ने आर्टिफिशियल जटाएं भी यहां धारण की हैं।

यह एलिजा बाई की तस्वीर है, जो वसंत पंचमी के अमृत स्नान की है।

Advertising

एलिजा बाई बताती हैं- हर्षा रिछारिया जैसे तमाम चर्चित चेहरों ने आर्टिफिशियल जटाएं लगवाई हैं। हर्षा ने हाल ही में मेरे पार्लर में अपनी जटाओं का ट्रीटमेंट करवाया है। आर्टिफिशियल जटा लगवाने के लिए यूथ सबसे ज्यादा आ रहे हैं।

चलिए, विस्तार से जानते हैं एलिजा बाई और उनके जटा पार्लर के बारे में….

किन्नर अखाड़े से जुड़ीं, महामंडलेश्वर बनाई गईं सबसे पहले बात की जाए एलिजा बाई की, तो महाकुंभ से पहले वह किन्नर अखाड़े से जुड़ी थीं। इस बार अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मीपति त्रिपाठी ने पटका पहनाया। अब वह महामंडलेश्वर बन गई हैं। खुद का पिंडदान समेत कई कर्मकांड करने के बाद एलिजा बाई को नया नाम- स्वामी सती नंद गिरी मिला है।

Advertising

यह एलिजा बाई की महामंडलेश्वर बनने के बाद की तस्वीर है।

जौनपुर में पैतृक गांव, डिप्रेशन के चलते छोड़ा मुंबई यूपी के जौनपुर की मूल निवासी एलिजा मायानगरी मुंबई से पढ़ी हैं। उनके पिता मिडिल क्लास व्यापारी और मां हाउस वाइफ हैं। एलिजा बताती हैं- मेरा जीवन कभी भी सामान्य नहीं रहा। थर्ड जेंडर होने के कारण मैंने बहुत कठिनाई झेली, लेकिन हौसला कम नहीं होने दिया। वैसे अपने पैतृक गांव सिर्फ एक बार ही गई हूं। पढ़ाई में ठीक थी, इसलिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में पढ़ी। मुंबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया।

एलिजा बताती हैं- कंपनी में मुझे अच्छा पैकेज मिल रहा था, लेकिन थर्ड जेंडर होने के चलते मुझे लोगों के खराब कमेंट का सामना करना पड़ा। मैं डिप्रेशन में चली गई। इसके बाद मैंने नौकरी छोड़ दी और उज्जैन चली आई।

एलिजा बाई बताती हैं- जटा लगाने के बाद इनका प्रॉपर ट्रीटमेंट जरूरी होता है।

महाकाल से मिली प्रेरणा, किन्नर अखाड़े से जुड़ीं नौकरी छोड़ने के बाद एलिजा ने महाकाल उज्जैन की शरण ली। यहां उनकी मुलाकात किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से हुई। गुरु दीक्षा के बाद एलिजा किन्नर अखाड़े का हिस्सा बन गईं।

जटा पार्लर खोलने का विचार कैसे आया? एलिजा बाई बताती हैं- मैं कई मंदिरों में गई, वाराणसी के घाटों में गई। कई साधु-संतों से मिली। मैंने देखा कि कई साधु-संतों की जटा बढ़ी है, लेकिन उनका मेंटेनेंस नहीं है। साधु-संत अपनी जटाओं को काले धागे से बांधते हैं। किसी तरह अपनी तपस्या को पूरा करते हैं। जटा लगाना आम आदमी के बस की बात नहीं है। बस यहीं से विचार आगे बढ़े और यही मेरे करियर का हिस्सा बना।

अपने क्लाइंट की जटा संवारती एलिजा बाई।

इंदौर में एकेडमी बनाई, धीरे-धीरे फेमस होने लगीं एलिजा बाई एलिजा बाई बताती हैं- 10 साल पहले मैंने फ्रांस के एक ड्रेडलॉक ट्रेनर से ट्रेनिंग ली। इसके बाद सर्टिफाइड हुए। 2 साल मैंने फ्रीलांसिंग किया। मैंने खुद की ओरिजिनल बालों पर एक्सटेंशन लगाकर प्रयोग किए। इसके बाद मैंने उज्जैन में अपनी एकेडमी खोली। यह देश की पहली ड्रेडलॉक एकेडमी है।

2018 में हमने इसे ऑफिशियल किया। हमारे पास अब अच्छी संख्या में स्टूडेंट्स जटा संवारने, आर्टिफिशियल जटा लगाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। हमारे पास साधु-संत आते हैं, हम उनकी जटाओं को संवारते हैं।

एलिजा बताती हैं- आर्टिफिशियल जटा लगवाने के चलते मुझे बहुत लोग जानने लगे। मेरी जटाएं ओरिजनल हैं, जो 6 फीट की हैं। धीरे-धीरे मेरी फैन फॉलोइंग बढ़ी। महाकुंभ में बेंगलुरु और हैदराबाद जैसी सिटी से लोग आए।

साधु-संतों की जटाएं ओरिजिनल होती हैं, वह इसे संवारने के लिए हमारे जटा पार्लर में आते हैं। ऐसी महिलाएं भी आती हैं, जिनके बालों की डेंसिटी खराब है।

कृत्रिम जटाओं के लिए क्वालिटी के हिसाब से पैसे लगते हैं।

8 हजार से 1.65 लाख रुपए तक का पैकेज एलिजा बताती हैं- जटा पार्लर में क्वालिटी के अनुसार पैसे लगते हैं। नकली जटाएं बनवाने में 8 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक खर्च होते हैं। इनको तैयार करने में कैनाकुलर का इस्तेमाल होता है, जो काफी महंगा होता है।

खास तकनीक का इस्तेमाल कर इसे जटा का स्वरूप दिया जाता है। एक बार जटा बनने के बाद इनको दोबारा खोलने में भी मेहनत करनी पड़ती है। 4 से लेकर 17 फीट तक लंबी जटाएं बनवाई जा सकती हैं। लंबाई के हिसाब से ही पैसे भी लगते हैं।

युवा साधु भी अपनी जटाएं बनवाने के लिए इसका सहारा लेते हैं। किन्नर अखाड़े में भी इसी तकनीक के सहारे कई लोगों ने अपनी जटाएं बनवाई हैं। 1.65 लाख के पैकेज में 16-16 फीट की जटाएं लगाई जाती हैं। इसका प्रॉपर ट्रीटमेंट भी होता है।

एलिजा अपनी जटाओं के बारे में कहती हैं- ये ओरिजिनल हैं।

जटाओं के लिए हेयर मैन्युफेक्चरिंग एलिजा बताती हैं- ड्रेडलॉक यानी जटाओं के लिए फ्रांस, जापान जैसे देशों में हेयर मैन्युफैक्चरिंग होती है। ओरिजिनल बालों के अलावा फाइबर हेयर भी होते हैं। ड्रेडलॉक के लिए सिर पर बाल होने जरूरी होते हैं। इन्हीं बालों से जोड़कर जटाएं बनाई जाती हैं।

एलिजा ने कहा- विदेशों में ड्रेडलॉक फैशन है। अपने यहां यूथ में इसका चलन है। मैंने बॉलीवुड के लिए भी जटा सुधारने-संवारने का काम किया है। मुझे लगता है कि अगर जटा लगवाने से लोग अध्यात्म की तरफ प्रेरित होते हैं, उन्हें सुकून मिलता है, तो यह अच्छा है।

………………………………….

यह खबर भी पढ़ें

KGF एक्ट्रेस ने महाकुंभ में डुबकी लगाई, चेहरा छिपाकर पहुंचीं श्रीनिधि शेट्‌टी, बोलीं- यादगार पल, दिव्य कृपा से दिल भर आया

साउथ मूवी ‘KGF’ की एक्ट्रेस श्रीनिधि शेट्टी ने महाकुंभ में डुबकी लगाई। वह मास्क से चेहरा छिपाकर पिता के साथ पहुंचीं। संगम में डुबकी लगाकर सूर्य को अर्घ्य दिया। पिता के साथ सेल्फी ली। नाव से गंगा की सैर की। पढ़ें पूरी खबर…

खबरें और भी हैं…

उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News

Advertising