मनुष्य के दुख का कारण उसका स्वभाव है: धर्मेंद्र गोस्वामी – Amritsar News h3>
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दुर्ग्याणा के न्यू अमृतसर में स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा शुरू की गई। कथा के दूसरे दिन श्री अयोध्या धाम के कथा वाचक पूज्य स्वामी कुरेशाचार्य महाराज ने कथा का श्रवण किया। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा अंधकार से प्रकाश अर्थात अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाती है।
भगवान के स्वभाव है कि दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से उनकी कथा सब की रक्षा करती है। भगवान की कथा और सत्संग की शक्ति से मनुष्य का स्वभाव समाज में प्रशंसनीय हो जाता है। भक्ति, ज्ञान और वैराग्य को जगाने में कथा की महिमा अपरंपार है। उन्होंने कथा में भगवान वामन अवतार और समुद्र मंथन का प्रसंग सुनाया।
महाराज ने बताया कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में राजा बलि को दंभ और अंहकार त्यागने की शिक्षा दी थी। जीवन में अर्जित धन संपदा क्षण भंगुर होती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य के कई जन्मों के पापों का क्षय हो जाता है। इसी दौरान महाराज ने भजन भी गाए जिसे सुनकर भक्त मंत्र मुग्ध हो उठे। इस मौके पर दुर्ग्याणा कमेटी के कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
NEWS4SOCIALन्यूज | अमृतसर चौक फव्वारा स्थित श्री मारवाड़ी पंचायती बड़ा मंदिर रघुनाथ में श्रीमद्भागवत कथा की गई। जिसमें शिवम तिवारी महाराज ने दूसरे दिन प्रवचन करते हुए कहा देवकी और वासुदेव को भगवान कृष्ण देवी की उपासना से मिले थे।
वासुदेव ने नवरात्रों में देवी की उपासना की और भाद्रपद में श्री कृष्ण प्रकट हुए। जबकि राजा दशरथ भी देवी उपासना करते थे। चैत्र नवरात्रों में पूजन चल रहा था तभी नौंवी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ। यह देवी उपासना का चमत्कार था। उन्होंने कहा कि राजा दशरथ और वासुदेव के बाद गोपियों ने भगवान कृष्ण को पाने के लिए देवी उपासना की।
जबकि माता सीता ने राम को पाने के लिए देवी उपासना की। रुक्मणी ने भी कृष्ण को पाने के लिए देवी उपासना की। इस प्रकार से संपूर्ण इतिहास इस बात को सिद्ध करता है कि व्यक्ति को जो मिलेगा वह मां की उपासना से ही मिलेगा। कथा दौरान मां भगवती की आरती की गई। जबकि भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर सुनील गुप्ता, नरेश अग्रवाल, मनोज कुमार, दिनेश सिंगला समेत कई भक्तजन मौजूद थे।
NEWS4SOCIALन्यूज | अमृतसर बाजार सिरकी बंदा स्थित शिवाला गंगाराम में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा का मंगलवार को विराम हो गया। इससे पहले ब्यास गद्दी पर विराजमान परम पूज्य गुरुदेव धर्मेंद्र गोस्वामी श्रीधाम नंदगांव वालों ने कथा में कहा कि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, वृद्धि, अहंकार, अष्टधा, प्रकृति है।
जीव जब प्रकृति का दास बनता है तो बहुत दुखी होता है। प्रकृति का उपयोग भक्ति के लिए करों। क्योंकि प्रकृति का उपयोग करते समय सावधान रहना है कि मैं प्रकृति का गुलाम नहीं हूं, बल्कि परमात्मा का दास हूं। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य प्रकृति के अधीन होता है उसे प्रकृति रुलाती है। वहीं जो अपने को परमात्मा का दास समझता है तो प्रकृति उस जीव को भक्ति पाने में सहायता करती है।
महाराज ने कहा कि जीव प्रकृति पर विजय प्राप्त करके सुखी होता है। मनुष्य अपना स्वभाव सुधार नहीं सकता। महाराज ने कहा कि कथा सुनने के बाद हमारा नया जन्म होता है। क्योंकि हमारे द्वारा किए पाप के लिए मन में पश्चाताप होता है। इस अवसर पर सुदामा चरित्र का वर्णन भी किया गया। अंत में हवन यज्ञ के साथ कथा को विराम दिया गया। इस मौके पर मंदिर कमेटी के कई सदस्य मौजूद थे।
अमृतसर | शहर में 3 जगह चल रही श्रीमद्भागवत कथा में भक्ति की धारा बही। दुर्ग्याणा के न्यू अमृतसर में स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, श्री मारवाड़ी पंचायती बड़ा मदिर श्री रघुनाथ जी, शिवाला गंगाराम में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने श्रद्धालु पहुंचे। श्री अयोध्या धाम के प्रसिद्ध कथा वाचक पूज्य स्वामी कुरेशाचार्य महाराज ने अपने मुखारबिंद से कथा का श्रवण किया।
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दुर्ग्याणा के न्यू अमृतसर में स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा शुरू की गई। कथा के दूसरे दिन श्री अयोध्या धाम के कथा वाचक पूज्य स्वामी कुरेशाचार्य महाराज ने कथा का श्रवण किया। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा अंधकार से प्रकाश अर्थात अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाती है।
भगवान के स्वभाव है कि दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से उनकी कथा सब की रक्षा करती है। भगवान की कथा और सत्संग की शक्ति से मनुष्य का स्वभाव समाज में प्रशंसनीय हो जाता है। भक्ति, ज्ञान और वैराग्य को जगाने में कथा की महिमा अपरंपार है। उन्होंने कथा में भगवान वामन अवतार और समुद्र मंथन का प्रसंग सुनाया।
महाराज ने बताया कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में राजा बलि को दंभ और अंहकार त्यागने की शिक्षा दी थी। जीवन में अर्जित धन संपदा क्षण भंगुर होती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य के कई जन्मों के पापों का क्षय हो जाता है। इसी दौरान महाराज ने भजन भी गाए जिसे सुनकर भक्त मंत्र मुग्ध हो उठे। इस मौके पर दुर्ग्याणा कमेटी के कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
NEWS4SOCIALन्यूज | अमृतसर चौक फव्वारा स्थित श्री मारवाड़ी पंचायती बड़ा मंदिर रघुनाथ में श्रीमद्भागवत कथा की गई। जिसमें शिवम तिवारी महाराज ने दूसरे दिन प्रवचन करते हुए कहा देवकी और वासुदेव को भगवान कृष्ण देवी की उपासना से मिले थे।
वासुदेव ने नवरात्रों में देवी की उपासना की और भाद्रपद में श्री कृष्ण प्रकट हुए। जबकि राजा दशरथ भी देवी उपासना करते थे। चैत्र नवरात्रों में पूजन चल रहा था तभी नौंवी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ। यह देवी उपासना का चमत्कार था। उन्होंने कहा कि राजा दशरथ और वासुदेव के बाद गोपियों ने भगवान कृष्ण को पाने के लिए देवी उपासना की।
जबकि माता सीता ने राम को पाने के लिए देवी उपासना की। रुक्मणी ने भी कृष्ण को पाने के लिए देवी उपासना की। इस प्रकार से संपूर्ण इतिहास इस बात को सिद्ध करता है कि व्यक्ति को जो मिलेगा वह मां की उपासना से ही मिलेगा। कथा दौरान मां भगवती की आरती की गई। जबकि भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर सुनील गुप्ता, नरेश अग्रवाल, मनोज कुमार, दिनेश सिंगला समेत कई भक्तजन मौजूद थे।
NEWS4SOCIALन्यूज | अमृतसर बाजार सिरकी बंदा स्थित शिवाला गंगाराम में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा का मंगलवार को विराम हो गया। इससे पहले ब्यास गद्दी पर विराजमान परम पूज्य गुरुदेव धर्मेंद्र गोस्वामी श्रीधाम नंदगांव वालों ने कथा में कहा कि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, वृद्धि, अहंकार, अष्टधा, प्रकृति है।
जीव जब प्रकृति का दास बनता है तो बहुत दुखी होता है। प्रकृति का उपयोग भक्ति के लिए करों। क्योंकि प्रकृति का उपयोग करते समय सावधान रहना है कि मैं प्रकृति का गुलाम नहीं हूं, बल्कि परमात्मा का दास हूं। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य प्रकृति के अधीन होता है उसे प्रकृति रुलाती है। वहीं जो अपने को परमात्मा का दास समझता है तो प्रकृति उस जीव को भक्ति पाने में सहायता करती है।
महाराज ने कहा कि जीव प्रकृति पर विजय प्राप्त करके सुखी होता है। मनुष्य अपना स्वभाव सुधार नहीं सकता। महाराज ने कहा कि कथा सुनने के बाद हमारा नया जन्म होता है। क्योंकि हमारे द्वारा किए पाप के लिए मन में पश्चाताप होता है। इस अवसर पर सुदामा चरित्र का वर्णन भी किया गया। अंत में हवन यज्ञ के साथ कथा को विराम दिया गया। इस मौके पर मंदिर कमेटी के कई सदस्य मौजूद थे।
अमृतसर | शहर में 3 जगह चल रही श्रीमद्भागवत कथा में भक्ति की धारा बही। दुर्ग्याणा के न्यू अमृतसर में स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, श्री मारवाड़ी पंचायती बड़ा मदिर श्री रघुनाथ जी, शिवाला गंगाराम में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने श्रद्धालु पहुंचे। श्री अयोध्या धाम के प्रसिद्ध कथा वाचक पूज्य स्वामी कुरेशाचार्य महाराज ने अपने मुखारबिंद से कथा का श्रवण किया।