मगध भारतीय संस्कृति, साहित्य, कला, राजव्यवस्था जैसे विषयों की आत्मभूमि : आंनद
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स्वजन समाज के तत्वावधान में शनिवार को कौमुदी महोत्सव (होली मिलन) एवं महासेनापति पुष्यमित्र शुंग स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। आयोजन का…
हिन्दुस्तान टीम,गयाSat, 23 Mar 2024 06:30 PM
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स्वजन समाज के तत्वावधान में शनिवार को कौमुदी महोत्सव (होली मिलन) एवं महासेनापति पुष्यमित्र शुंग स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। आयोजन का उद्देश्य मागधी सांस्कृतिक गौरव की पुनर्परिभाषित एवं पुनर्प्रतिष्ठित करना बताया गया। इस अवसर पर आमंत्रित वक्ता भारतीय संग्रहालय संघ ने अध्यक्ष डॉ. आनन्द वर्द्धन ने मगध की संस्कृति और विरासत का ऐतिहासिक विश्लेषण करते हुए यह बताया कि मगध भारतीय संस्कृति, साहित्य, कला, राजव्यवस्था जैसे विषयों की आत्मभूमि है। मगध परंपरा और संस्कृति के व्यापक अध्ययन पर बल देते हुये वक्ता ने भूमि अग्रहार भोजी ब्राह्मण व मगध बाभनों के अपूर्व योगदान की प्रशंसा की। पुष्यमित्र शुंग के अश्वमेध प्रतिष्ठा यज्ञ और विदेशी आक्रांताओं के विरुद्घ विजय को उन्होंने मगध के इतिहास का गौरवपूर्ण अध्याय कहा। संभाषण में आर्यभट्ट, बाणभट्ट और मयूरभट्ट प्रभृति विद्वानों की विस्तृत परिचर्चा हुई।
कौमुदी महोत्सव की कवियित्री किशोरिका के द्वारा वर्णित मगध संस्कृति के अवदानों पर भी वक्ता ने प्रकाश डाला। इन विषयों में प्रमुखता से टेकारी राज के नरेशों महाराजा त्रिभुवन सिंह और सुन्दर सिंह के साथ महारानी भुवनेश्वरी कुअंर और रामेश्वरी कुअंर के सांस्कृतिक योगदानों का उल्लेख किया गया। वैचारिक सत्र में स्वजन समाज के पूर्व वायुसेना अधिकारी विनोद प्रसाद ने बताया यह पारिवारिक मिलन समारोह सह भोज का आयोजन यादगार बनाने के लिए आप सभी सदस्यों का सहयोग अपेक्षित है। इस अवसर पर रंजीत कुमार ने समस्त आदरणीय स्वजनों आप सभी के समक्ष मगध के इतिहास नायक पुष्यमित्र शुंग को याद करना एक गौरवशाली क्षण है। साथ ही, टिकारी राज तक के इस भूमि के विरासत का विश्लेषण भी अपूर्व अनुभव है। पुरंधर सावर्ण ने सभी आगंतुकों का अभिनंदन किया तथा मंच का संचालन किया। साथ ही स्वजन समाज के सचिव सुमन कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा राघेकांत शर्मा, विकास कुमार, अमृतेश कुमार ने संबोधित किया। कार्यक्रम में मगध रंग की होली की मनभावन प्रस्तुति हुई जिसका रसास्वादन उपस्थित बौद्धिक समाज ने किया। इस अवसर गया के वरिष्ठ बुद्धिजीवी व गणमान्य लोग व गृहणियों की उपस्थिति प्रशंसनीय रही। कार्यक्रम का समापन मधुरव्यंजनों के साथ हुआ।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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स्वजन समाज के तत्वावधान में शनिवार को कौमुदी महोत्सव (होली मिलन) एवं महासेनापति पुष्यमित्र शुंग स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। आयोजन का…
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स्वजन समाज के तत्वावधान में शनिवार को कौमुदी महोत्सव (होली मिलन) एवं महासेनापति पुष्यमित्र शुंग स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। आयोजन का उद्देश्य मागधी सांस्कृतिक गौरव की पुनर्परिभाषित एवं पुनर्प्रतिष्ठित करना बताया गया। इस अवसर पर आमंत्रित वक्ता भारतीय संग्रहालय संघ ने अध्यक्ष डॉ. आनन्द वर्द्धन ने मगध की संस्कृति और विरासत का ऐतिहासिक विश्लेषण करते हुए यह बताया कि मगध भारतीय संस्कृति, साहित्य, कला, राजव्यवस्था जैसे विषयों की आत्मभूमि है। मगध परंपरा और संस्कृति के व्यापक अध्ययन पर बल देते हुये वक्ता ने भूमि अग्रहार भोजी ब्राह्मण व मगध बाभनों के अपूर्व योगदान की प्रशंसा की। पुष्यमित्र शुंग के अश्वमेध प्रतिष्ठा यज्ञ और विदेशी आक्रांताओं के विरुद्घ विजय को उन्होंने मगध के इतिहास का गौरवपूर्ण अध्याय कहा। संभाषण में आर्यभट्ट, बाणभट्ट और मयूरभट्ट प्रभृति विद्वानों की विस्तृत परिचर्चा हुई।
कौमुदी महोत्सव की कवियित्री किशोरिका के द्वारा वर्णित मगध संस्कृति के अवदानों पर भी वक्ता ने प्रकाश डाला। इन विषयों में प्रमुखता से टेकारी राज के नरेशों महाराजा त्रिभुवन सिंह और सुन्दर सिंह के साथ महारानी भुवनेश्वरी कुअंर और रामेश्वरी कुअंर के सांस्कृतिक योगदानों का उल्लेख किया गया। वैचारिक सत्र में स्वजन समाज के पूर्व वायुसेना अधिकारी विनोद प्रसाद ने बताया यह पारिवारिक मिलन समारोह सह भोज का आयोजन यादगार बनाने के लिए आप सभी सदस्यों का सहयोग अपेक्षित है। इस अवसर पर रंजीत कुमार ने समस्त आदरणीय स्वजनों आप सभी के समक्ष मगध के इतिहास नायक पुष्यमित्र शुंग को याद करना एक गौरवशाली क्षण है। साथ ही, टिकारी राज तक के इस भूमि के विरासत का विश्लेषण भी अपूर्व अनुभव है। पुरंधर सावर्ण ने सभी आगंतुकों का अभिनंदन किया तथा मंच का संचालन किया। साथ ही स्वजन समाज के सचिव सुमन कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा राघेकांत शर्मा, विकास कुमार, अमृतेश कुमार ने संबोधित किया। कार्यक्रम में मगध रंग की होली की मनभावन प्रस्तुति हुई जिसका रसास्वादन उपस्थित बौद्धिक समाज ने किया। इस अवसर गया के वरिष्ठ बुद्धिजीवी व गणमान्य लोग व गृहणियों की उपस्थिति प्रशंसनीय रही। कार्यक्रम का समापन मधुरव्यंजनों के साथ हुआ।
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