‘मकान मालिक हमें सुरक्षित रखेगा, लेकिन मुझे भरोसा नहीं’… नूंह के बाद गुरुग्राम से भी हो रहा पलायन

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‘मकान मालिक हमें सुरक्षित रखेगा, लेकिन मुझे भरोसा नहीं’… नूंह के बाद गुरुग्राम से भी हो रहा पलायन

‘मकान मालिक हमें सुरक्षित रखेगा, लेकिन मुझे भरोसा नहीं’… नूंह के बाद गुरुग्राम से भी हो रहा पलायन

गुरुग्राम: हरियाणा के नूंह जिले में 31 जुलाई को भड़की हिंसा की आग गुरुग्राम तक पहुंच गई है। उपद्रवियों द्वारा यहां विशेष समुदाय लोगों को डराया धमकाया जा रहा है। इन धमकियों और सांप्रदायिक तनाव का माहौल देखते हुई एक समुदाय के लोग अपना बैग पैक कर यहां से जा रहे हैं। कुछ अपने घरों को तो कुछ एनसीआर की ऐसी जगहों पर जा रहे हैं जहां वो सुरक्षित महसूस करते हैं। जिन गांवों में इनमें से कई प्रवासी श्रमिकों ने वर्षों से अपना घर बनाया है, वहां एक समुदाय के खिलाफ बहिष्कार के आह्वान और उन्हें डराने-धमकाने के प्रयासों पर भी प्रतिक्रिया हो रही है। उनमें से कुछ मकान मालिक भी हैं।

तिगरा गांव में 500 झुग्गियां किराए पर देने वाले कपिल गुज्जर ने स्वीकार किया कि यहां डर का माहौल है। लेकिन उन्होंने कहा कि किरायेदार मेरे अपने परिवार की तरह हैं। वे वर्षों से इन झोपड़ियों में रहते हैं। मैं नहीं चाहता कि वो यहां से जाएं। यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं उन्हें सुरक्षित महसूस कराऊं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। हम हमेशा भाईचारे में रहे हैं।

रविवार को शहर भर में बड़ी सभाओं पर लगाए गए निषेधाज्ञा के बावजूद तिगरा में एक पंचायत आयोजित की गई थी। पास की एक मस्जिद पर हमले में कथित संलिप्तता के लिए गांव के चार युवाओं की गिरफ्तारी के विरोध में आयोजित पंचायत में वक्ताओं ने एक समुदाय के सदस्यों का बहिष्कार करने की मांग की। चक्करपुर, नाथूपुर और खांडसा जैसे अन्य गांवों में, किरायेदार अपने मकान मालिक के आश्वासन पर रुके हुए हैं।

शोएब ने कही ये बात
गुरुग्राम के एक कॉर्पोरेट कार्यालय के एक कर्मचारी शोएब ने हमारे सहयोगी टीओआई को बताया कि वह हमेशा की तरह अपना काम करता रहा। हम हमेशा की तरह चक्करपुर से काम पर आ रहे हैं। न तो हमारे मकान मालिक ने हमें बाहर जाने के लिए कहा, न ही हमने इसके बारे में सोचा। वह अपने रूममेट का भी जिक्र करते हुए कहते हैं, जो शहर में उसी फर्म में उनके साथ काम करता है। शोएब का कहना है कि उन्होंने एनसीआर शहर छोड़ने वाले लोगों के बारे में रिपोर्टें देखीं, लेकिन उनकी बहन जो सेक्टर 57 में अपने परिवार के साथ रहती है, वह भी स्थानांतरित नहीं हुई है।

‘मकान मालिक ने मदद का भरोसा दिया’
एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में चौकीदार शाद आलम (24) ने कहा कि उसने शहर छोड़ने का फैसला किया था। उसने अपने मकान मालिक को बता दिया था कि वह खांडसा में अपना कमरा खाली कर देगा। मैं यहां रहने को लेकर डर रहा था और मैं देख सकता था कि हर कोई सामान पैक कर रहा है और जा रहा है। लेकिन मेरे मकान मालिक ने मुझे रुकने के लिए मना लिया और मुझसे कहा कि अगर मुझे कोई ज़रूरत होगी तो वह मेरी मदद करने के लिए मौजूद रहेंगे।

‘मैं यहां से चली जाऊंगी’
तिगरा की झुग्गी बस्ती में रहने वाली शमा बेगुन ने कहा कि वह अपने परिवार के साथ पश्चिम बंगाल में अपने गृहनगर लौट आएंगी। मेरे मकान मालिक ने कहा कि वह हमें सुरक्षित रखेगा, लेकिन मुझे किसी भी चीज़ पर भरोसा नहीं है। मैं कट्टरपंथियों के बीच लड़ाई में अतिरिक्त क्षति नहीं बनना चाहता। मैं कल यहा से चली जाऊंगी।

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