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मंडे मेगा स्टोरी- चुराए ब्लूप्रिंट्स से परमाणु शक्ति बना पाकिस्तान: घास खाकर भी परमाणु बम बनाने की जिद; भारत के 15 दिन बाद ही टेस्ट

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मंडे मेगा स्टोरी- चुराए ब्लूप्रिंट्स से परमाणु शक्ति बना पाकिस्तान:  घास खाकर भी परमाणु बम बनाने की जिद; भारत के 15 दिन बाद ही टेस्ट

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मंडे मेगा स्टोरी- चुराए ब्लूप्रिंट्स से परमाणु शक्ति बना पाकिस्तान: घास खाकर भी परमाणु बम बनाने की जिद; भारत के 15 दिन बाद ही टेस्ट

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एक स्कूल मास्टर का बेटा, जो भारत के भोपाल में पैदा हुआ, विदेशों से डॉक्यूमेंट्स और ब्लूप्रिंट्स चुराए और पाकिस्तान जाकर उनका न्यूक्लियर हीरो बन गया। ए. क्यू. खान ने सिर्फ पाकिस्तान को एटमी ताकत नहीं बनाया, बल्कि ब्लैक मार्केट के जरिए दुनिया को भी खतर

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बात-बात पर परमाणु हमले की धमकी देने वाले पाकिस्तान ने आखिर परमाणु बम बनाया कैसे? साइंस, जासूसी, चोरी और साजिश की ये रोमांचक दास्तां, जानेंगे मंडे मेगा स्टोरी में…

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अब आखिर में 2 अहम सवालों के जवाब…

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सवाल-1: भारत और पाकिस्तान की न्यूक्लियर पॉलिसी में क्या फर्क है?

जवाबः दोनों देशों की न्यूक्लियर पॉलिसी काफी अलग है…

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भारत की पॉलिसी- No First Use

  • 2003 में भारत ने अपना न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन जारी किया था। इसके मुताबिक, भारत ने न्यूक्लियर अटैक के लिए ‘No First Use’ की पॉलिसी अपनाई है।
  • यानी भारत पहला वार नहीं करेगा, लेकिन न्यूक्लियर अटैक का जवाब न्यूक्लियर अटैक से दे सकता है और किसी नॉन-न्यूक्लियर देश पर इसका इस्तेमाल नहीं करेगा।
  • भारत में परमाणु हथियारों से जुड़े हर फैसलों का अधिकार नेशनल कमांड अथॉरिटी के पास है जिसमें दो परिषद हैं-
  1. राजनीतिक परिषद, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। यानी अभी पीएम नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष हैं।
  2. कार्यकारी परिषद, जिसके अध्यक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होते हैं। यानी अभी NSA अजीत डोभाल इसके अध्यक्ष हैं।
  • भारत कभी भी अपने परमाणु हथियारों को हाई-अलर्ट पर नहीं रखता है।

पाकिस्तान की पॉलिसी- हमेशा अलर्ट मोड

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  • पाकिस्तान के पास कोई ऑफिशियल न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन नहीं है। समय-समय पर बयानबाजी से उसकी न्यूक्लियर पावर पॉलिसी के बारे में पता चलता है।
  • पाकिस्तान ‘No First Use’ की पॉलिसी नहीं मानता। यानी पाकिस्तान मौका आने पर पहले भी न्यूक्लियर अटैक कर सकता है और परमाणु हथियारों को हाई-अलर्ट पर रखता है।
  • पाकिस्तान में न्यूक्लियर हथियारों के हर फैसले नेशनल कमांड अथॉरिटी ही लेती है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। यानी अभी शहबाज शरीफ।
  • जनवरी 2002 में ‘लैंडौ नेटवर्क’ की एक रिपोर्ट में पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल खालिद अहमद किदवई बताया, ‘हमारे परमाणु हथियारों का लक्ष्य केवल भारत है। अगर भारत हमारी क्षेत्रीय सीमा, सैन्य ठिकानों, आर्थिक या घरेलू मोर्चे पर नुकसान करता है तो हम परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेंगे।

पाकिस्तान से ज्यादा कारगर हथियार भारत के पास

  • फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की स्टेटस ऑफ वर्ल्ड न्यूक्लियर फोर्सेस रिपोर्ट, 2025 के मुताबिक, भारत के पास 180 परमाणु हथियार हैं। वहीं पाकिस्तान के पास 10 कम यानी 170 परमाणु हथियार हैं।
  • भारत के पास न्यूट्रॉन, फिजन और थर्मोन्यूक्लियर बम हैं, जो 1.5 किमी से लेकर 10 किमी तक के एरिया को तबाह कर सकते हैं। इन्हें भारत जल-थल-नभ तीनों जगहों से दाग सकता है, यानी भारत न्यूक्लियर ट्रायड है।
  • वहीं पाकिस्तान के पास फिजन और टैक्टिकल न्यूक्लियर बम हैं, जो 0.8 किमी से लेकर 7 किमी तक के इलाके को खत्म कर सकते हैं। इन्हें पाकिस्तान सिर्फ जमीन और आसमान से दाग सकता है।

सवाल-2: क्या पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को कंट्रोल करने की जरूरत है?

जवाबः 15 मई 2025 को श्रीनगर की बादामी बाग छावनी में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को गैर-जिम्मेदार और रोग नेशन बताते हुए कहा,

पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे गैर-जिम्मेदार पाकिस्तान ने अनेक बार भारत को न्यूक्लियर अटैक की धमकी दी? मैं मानता हूं कि पाकिस्तान के एटमी हथियारों को इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी यानी IAEA की निगरानी में लिया जाना चाहिए।

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IAEA केवल उन देशों की न्यूक्लियर एक्टिविटी की निगरानी कर सकता है, जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि यानी NPT पर दस्तखत किए हैं और पाकिस्तान ने NPT पर साइन नहीं किए हैं। वहीं IAEA केवल असैन्य परमाणु सुविधाओं पर नजर रखता है और न्यूक्लियर वेपन्स की निगरानी और नियंत्रण भी नहीं करता। कुल मिलाकर पाकिस्तान की मंजूरी बिना IAEA कुछ नहीं कर सकता।

अमेरिकी थिंकटैंक कार्नेगी में न्यूक्लियर पॉलिसी के सीनियर फेलो जॉर्ज पर्कोविच के मुताबिक, ‘साउथ एशिया में जब कभी तनाव बढ़ता है, तो पाकिस्तान न्यूक्लियर अटैक की बात करता है। भारत घुसपैठ, आतंकवाद और हमलों का जवाब देने के लिए अगर सैन्य कार्रवाई से जितना नुकसान पहुंचाएगा, उतनी ही संभावना है कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों का सहारा ले और टकराव विनाश की ओर बढ़े।’

अमेरिकी थिंकटैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोजेक्ट ऑन न्यूक्लियर इश्यू की रिसर्च एसोसिएट दीया अष्टकला के मुताबिक, ‘अमेरिका ने खतरा महसूस करते हुए पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर कई बार प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका को पाकिस्तान के साथ अपने समीकरण और परमाणु खतरे पर नजर रखने की जरूरत है। ऐसे में अमेरिका को पाकिस्तान के रुख की जांच करनी चाहिए और भारत के साथ साझेदारी बढ़ानी चाहिए।’

अमेरिकी थिंकटैंक ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट में फॉरेन पॉलिसी के सीनियर फेलो मार्विन काल्ब के मुताबिक, ‘पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपतियों को यह डर सताता रहा है कि परमाणु हथियारों का भंडार गलत हाथों में पड़ जाएगा। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों से पता चलता है कि पाकिस्तानी नेता अक्सर आतंकवादियों के साथ मिलकर साझा लक्ष्य हासिल करने के लिए काम करते रहे हैं। ऐसे में अगर आतंकियों के हाथ में ये चले गए तब तो विनाश हो जाएगा।’

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ग्राफिक: अंकुर बंसल और अजीत सिंह

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जब कभी भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है तो पाकिस्तानी नेता भारत को न्यूक्लियर अटैक की धमकी देने लगते हैं। उसकी न्यूक्लियर पॉलिसी भी इस बात की तस्दीक करती है। जबकि भारत इस मामले में अलग रुख अख्तियार करता है। पूरी खबर पढ़ें…

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