मंडे मेगा स्टोरी: कभी 9 राज्यों में फैले नक्सली कुछ जिलों में कैसे सिमटे, नक्सलवाद की रीढ़ बासवराजू भी ढेर; 6 दशकों की पूरी कहानी

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मंडे मेगा स्टोरी:  कभी 9 राज्यों में फैले नक्सली कुछ जिलों में कैसे सिमटे, नक्सलवाद की रीढ़ बासवराजू भी ढेर; 6 दशकों की पूरी कहानी
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मंडे मेगा स्टोरी: कभी 9 राज्यों में फैले नक्सली कुछ जिलों में कैसे सिमटे, नक्सलवाद की रीढ़ बासवराजू भी ढेर; 6 दशकों की पूरी कहानी

21 मई को नक्सली आंदोलन की रीढ़ पर सबसे बड़ा प्रहार हुआ। सुरक्षाबलों ने 26 नक्सलियों के साथ डेढ़ करोड़ के ईनामी नंबाला केशव राव उर्फ बासवराजू को भी मार गिराया। पिछले 3 दशक में दर्जनों नक्सली हमलों के पीछे बासवराजू ही था।

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गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया ‘X’ पर लिखा- तीन दशकों में पहली बार हमने एक महासचिव स्तर के नेता को मारा है। मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म कर देगी।

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क्या अगले 10 महीनों में खत्म हो जाएगा 6 दशकों से फैला नक्सली नेटवर्क, नक्सली कौन हैं और चाहते क्या हैं, कैसे हुई थी इस सब की शुरुआत; मंडे मेगा स्टोरी में पूरी कहानी…

क्या नक्सलवाद को जड़ से खत्म किया जा सकता है?

‘नक्सलबाड़ी अबूझमाड़’ किताब लिखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट आलोक पुतुल बताते हैं, ‘1967 में शुरू हुआ नक्सलवाद आंदोलन 1973 तक लगभग खत्म हो चुका था। करीब 40 साल बाद केंद्र सरकार ने माना कि ये आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। यानी नक्सलवाद फिर से खड़ा हुआ। धरातल से भले ही नक्सलियों को खत्म कर दिया, लेकिन इनकी सोच को खत्म नहीं किया जा सकता। नक्सलवाद फिर से भी पनप सकता है। एक नए तरीके से, एक नए रूप में। चाहे कम हिंसक या फिर पूरी तरह अहिंसक।’

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‘नाइटमार्चः अमंग इंडियाज रिवोल्यूशनरी गुरिल्ला’ किताब की लेखिका और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर अल्पा शाह डेढ़ साल तक नक्सलियों के बीच रह चुकी हैं। अल्पा के मुताबिक,

तमाम मुश्किलों के बावजूद नक्सल आंदोलन चलता रहा। जब-जब सरकार ने सोचा कि नक्सलवाद खत्म हो गया है, तब-तब यह दोबारा उभर कर सामने आया।

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सीनियर जर्नलिस्ट और HJU में प्रोफेसर त्रिभुवन बताते हैं,

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सरकार जब तक नक्सलवाद के मुख्य कारणों का समाधान नहीं कर देती, तब तक नक्सलवाद से जुड़ी घटनाएं होती रहेंगी। भले वे छोटी हों या बड़ीं। हालांकि, सरकार इसका नेटवर्क खत्म कर सकती है।

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छत्तीसगढ़ के DGP रहे आरके विज ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘हम नक्सली इलाकों में कंट्रोल पा सकते हैं और भरपूर प्रगति कर सकते हैं, लेकिन हर एक नक्सली को पकड़ा या खत्म नहीं किया जा सकता है। हालांकि, फोर्सेज के ऑपरेशंस तेजी से बढ़ रहे हैं और सफल भी रहे हैं। नक्सली उनसे टक्कर नहीं ले सकते हैं। ऐसे में नक्सलियों के पास दो ऑप्शन हैं- पहला लीडर बदलकर अपना मूवमेंट जारी रखें या दूसरा एकतरफा सीजफायर करें।’

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ग्राफिक्स- अंकुर बंसल

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