भोजशाला में ताले खुलने के 22 साल पूरे: 1997 में लगा था प्रतिबंध; राजा भोज बसंत उत्सव समिति ने आतिशबाजी कर बांटी मिठाई – Dhar News h3>
2003 में मिली थी प्रवेश की अनुमति।
धार की भोजशाला में 22 साल पहले लगे ताले खुलने की वर्षगांठ आज धूमधाम से मनाई गई। भोज बसंत उत्सव समिति के सदस्यों ने भोजशाला के बाहर एकत्रित होकर आतिशबाजी की और लोगों में मिठाइयां बांटी।
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ये जश्न भोजशाला में लंबे संघर्ष के बाद मिली सफलता की याद में मनाया गया। इस मौके पर हिंदू संगठनों ने संशोधित वक्फ बिल पर भी अपनी खुशी जाहिर की। भोजशाला का मुद्दा धार के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह स्थल राजा भोज की विरासत से जुड़ा हुआ है।
दरअसल हर मंगलवार को धार की भोजशाला में हिंदू समाज को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पूजा-अर्चना का अधिकार है। जिसके तहत आज बडी संख्या में हिंदू समाज के लोग भोजशाला पहुंचे। नियमित सत्याग्रह के तहत गर्भगृह में मां वाग्देवी व भगवान हनुमान का चित्र रखकर समाज ने पूजा की। इस दौरान सरस्वती वंदना व हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए आरती कर प्रसादी का वितरण भी किया गया।
सुबह से श्रद्धालुओं ने किया पाठ।
2003 में हिंदुओं के प्रवेश की मिली थी स्वीकृति हिंदू समाज ऐतिहासिक भोजशाला के लिए वर्षों से संघर्ष करता आ रहा है। सन 1997 में तत्कालीन कलेक्टर ने भोजशाला में हिंदू समाज के लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद हिंदुओं ने लगातार आंदोलन किया, तब जाकर आठ अप्रैल 2003 को भोजशाला में हिंदुओं के प्रवेश की स्वीकृति मिली। ताला खुलने के आज 22 साल पूरे हो गए हैं। आंदोलन के सक्रिय पदाधिकारी गोपाल शर्मा ने बताया कि भोजशाला में 12 मई 1997 को तत्कालीन कलेक्टर ने हिंदू समाज के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय में समाज ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई और बड़े आंदोलन की शुरुआत हुई।
महिलाओं ने की पूजा-अर्चना।
मंगलवार को पूजा, शुक्रवार को नमाज का नियम शर्मा के अनुसार सन 2002 में हुए आंदोलन में तीन लोगों का बलिदान भी हुआ व आठ लोगों पर रासुका लगाया गया। साथ ही 2 हजार से ज्यादा लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा गया था। करीब 14 हजार लोगों पर अन्य प्रकरण दर्ज किए गए थे। इस तरह के बलिदान के बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की तत्कालीन मंत्री भावना बेन चिखलिया ने आदेश दिया था कि मंगलवार को भोजशाला में पूजा अर्चना होगी, जबकि साल में एक बार बसंत पंचमी पर पूजा की जा सकती है। वहीं शुक्रवार को नमाज होगी। शेष दिन आम पर्यटकों को भोजशाला में एक रुपए के शुल्क पर प्रवेश दिया जाता है।
राजा भोज बसंत उत्सव समिति ने आतिशबाजी कर बांटी मिठाई।
एएसआई सर्वे में मिलीं 94 सनातन मूर्तियां हिंदू फार जस्टिस की न्यायिक लड़ाई जारी रहेगी। दरअसल भोजशाला को लेकर 22 मार्च 2024 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सर्वे शुरू किया था, जो करीब 100 दिनों तक चला। भोजशाला के सर्वे में 94 सनातनी मूर्तियां मिली थीं। इनमें भगवान गणेशा, शिव से लेकर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल है। जबकि 1 हजार 700 अवशेष मिले थे। इसमें मुख्य रूप से 106 स्तभ और 82 भित्ति चित्र के भी अवशेष श्री शामिल थे। 31 सिक्के भी मिले। इसमें से एक परमार कालीन था।
इस महीने सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई इसके बाद एएसआई ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। वर्तमान में इस रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर उच्चतम न्यायालय की रोक है। अब सुप्रीम कोर्ट की रोक को हटाने के लिए अप्रैल में सुनवाई होनी प्रस्तावित है। याचिकाकर्ता आशीष गोयल सहित अन्य लोग अपना पक्ष अगली सुनवाई में रखेंगे। हिंदू फ्रंट फॉर धर्म जस्टिस का कहना है कि भोजशाला पर धर्म स्थल उपासना अधिनियम प्रभावी नहीं हैं, इसलिए इसे हाई कोर्ट इंदौर द्वारा ही सुना जाना चाहिए।