भारत को अमेरिका से मिलेगा चीन का ‘काल’, जानिए कौन हैं यह डील कराने वाले डॉ. विवेक लाल

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भारत को अमेरिका से मिलेगा चीन का ‘काल’, जानिए कौन हैं यह डील कराने वाले डॉ. विवेक लाल

भारत को अमेरिका से मिलेगा चीन का ‘काल’, जानिए कौन हैं यह डील कराने वाले डॉ. विवेक लाल

नई दिल्ली: भारत को अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन (Predator-B drone) मिलने का रास्ता साफ हो गया है। माना जा रहा है कि जुलाई में इन्हें खरीदने की प्रोसेस शुरू हो जाएगी। इसी फिस्कल ईयर में इनकी खरीद के लिए अमेरिका के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर साइन होने की संभावना है। उसके बाद अगले छह-सात साल में चरणबद्ध तरीके से इन ड्रोन्स को खरीदा जाएगा। यह डील करीब 29,000 करोड़ रुपये की हो सकती है। सरकार की योजना इनमें से 15 ड्रोन नौसेना को और आठ-आठ ड्रोन सेना और एयर फोर्स को देने की योजना है। इस ड्रोन को MQ-9 Reaper भी कहा जाता है। यह एक बार में 36 घंटे तक उड़ान भर सकता है। इसका इस्तेमाल सीमाई इलाकों में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है। साथ ही इस पर मिसाइल और स्मार्ट बम भी लगे होते हैं जो दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर सकती है। इस डील को संभव बनाने में जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन में चीफ एग्जीक्यूटिव डॉ. विवेक लाल ने अहम भूमिका निभाई है।

जनरल एटॉमिक्स के सीईओ विवेक लाल का भारत के साथ गहरा जुड़ाव रहा है। वह भारतीय मूल के हैं जिनका जन्म इंडोनेशिया के जकार्ता में हुआ था। उनका यह स्ट्रॉन्ग कनेक्शन भारत के लिए बहुत मददगार साबित हुआ है। लाल बोइंग, रेथिअन और लॉकहीड मार्टिन जैसी बड़ी रक्षा कंपनियों के साथ भी अहम पदों पर काम कर चुके हैं। वह बोइंग की इंडिया यूनिट के भी हेड रह चुके हैं। साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ भी काम कर चुके हैं। लेकिन जून 2020 में उनके जनरल एटॉमिक्स का सीईओ बनना भारत के लिए अहम टेक्नॉलजी हासिल करने के लिए लिहाज से बड़ा मौका था।

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डिफेंस डील में अहम भूमिका

विवेक लाल ने भारत-अमेरिका के बीच हुए कई रक्षा सौदों में अहम भूमिका निभाई है। इन रक्षा सौदों में ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-17 ग्लोबमास्टर की डील, P-81 एंटी-मरीन वारफेयर एयरक्राफ्ट और हार्पून मिसाइल सौदे शामिल हैं। जनरल एटॉमिक्स पहले से ही दोनों सरकारों के साथ मिलकर भारत को डिफेंस सेक्टर में टेक्नॉलजी सपोर्ट मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है। साथ ही उसने भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ देसी कंपनियों से भी पार्टनरशिप की है। मोदी की पिछले अमेरिका यात्रा में लाल ने उनसे वन-टू-वन मीटिंग की थी जिसमें भारत को प्रीडेटर ड्रोन का रास्ता साफ हुआ था।

डॉ. विवेक लाल ने साल 2007 में बोइंग में टॉप पोजिशन हासिल की थी। उनके चलते ही भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस डील कराई थी। बोइंग में अपने पूरे करियर के दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक मिलिट्री डील को अंजाम दिया। इसमें भारत के साथ P8I Anti Submarine Warfare Aircraft से लेकर C17 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, एंटी-शिप हारपून मिसाइल्स, अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर और अन्य रक्षा सौदे शामिल हैं।इसके बाद वह लॉकहीड मार्टिन एरोनॉटिक्स में स्ट्रैटजी और बिजनेस डेवलपमेंट के वाइस प्रेसिडेंट रहे। बाद में उन्हें अमेरिका की सरकार ने फेडरल एडवाइजरी कमेटी में अहम सलाहकार नियुक्त किया। इसके बाद वह दो साल तक वाशिंगटन डीसी के ट्रांसपोर्टेशन डिपार्टमेंट में रहे और इस तरह उन्हें अमेरिका के साथ-साथ ग्लोबल लेवल पर एविएशन पॉलिसी को प्रभावित करने का मौका मिला। उनकी ही कोशिशों का फल रहा कि भारतीय नौसेना को एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर्स हासिल हुए। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले साल अक्टूबर में लाल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

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ड्रोन की खूबी

यह ड्रोन हवा में लगातार 36 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह 50 हजार फीट की ऊंचाई पर 3000 किमी तक सफर कर सकता है। कहने के लिए यह ड्रोन है लेकिन किसी भी अडवांस्ड फाइटर जेट से कम नहीं है। इस पर खतरनाक मिसाइलें फिट हो सकती हैं। यह अचूक निशाने के साथ दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर सकता है। यह न सिर्फ अडवांस्ड सर्विलांस सिस्टम से लैस है बल्कि खामोशी से टारगेट पर सटीक निशाना लगाने में माहिर है। प्रीडेटर ड्रोन से ही अमेरिका ने ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को मारा था।

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