भक्तों ने श्रद्धा भाव से की मां कात्यायनी की पूजा
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गढ़पुरा, निज संवाददाता। चैती नवरात्र के छठे दिन रविवार को भक्तों ने मां कात्यायनी की पूजा श्रद्धा भाव से की। कात्यायनी देवी दुर्गा का छठा रूप हैं। कोरैय चैती दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित त्रिदेव झा ने बताया कि देवी ने कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया। इससे उनका नाम कात्यायनी पड़ गया। मां कात्यायनी अमोघ फलदाई मानी गई हैं। प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों भक्त घरों में ही माता की पूजा में लीन हैं। सोमवार को मां कालरात्रि निशा पूजा पश्चात प्रतिमा के दर्शन के लिए मंदिर के पट खोले जाएंगे। सोनमा दुर्गा मंदिर में प्रतिवर्ष तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। यहां झूला ब्रेक डांस संस्कृति कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जाता है। वहीं मीना बाजार भी लगाए जाते हैं। मंदिर के मुख्य गेट पर भव्य पंडाल बनाए गए हैं। कोरैय चैती दुर्गा मंदिर परिसर में भी पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ लगी है।
कात्यानी मंदिर पूजा अर्चना के लिए जाने के लिए गढ़पुरा स्टेशन पर लगी रही श्रद्धालुओं की भीड़
इधर मां कात्यायनी की पूजा को लेकर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु भक्त रविवार को गढ़पुरा स्टेशन ट्रेन से खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड स्थित धमारा घाट स्टेशन के समीप कात्यायनी मंदिर (कतानय स्थान) रवाना हो गए। यहां मां के छठे स्वरूप की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर तांडव कर रहे थे तो उन्हें शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के मृत शरीर को सुदर्शन चक्र से छिन्न-भिन्न कर दिया था। ऐसे में जहां-जहां माता सती के शरीर के टुकड़े गिरे वे स्थल शक्तिपीठ स्थल कहलाए। कात्यायनी स्थान में मां का बायां हाथ गिरा था। इसलिए यहां हाथ की पूजा-अर्चना की जाती है। यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है।
वासंतिक नवरात्र में श्रद्धालुओं ने की मां कात्यायनी की पूजा
नावकोठी, निज संवाददाता। वासंतिक नवरात्रि के छठे दिन क्षेत्र के दुर्गा मंदिरों में श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना की जा रही है। को जागरण होगा। जागरण की तैयारी जोरों पर है। सोमवार को जागरण है। प्रखंड के नावकोठी स्थित एपीएस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मैदान के नजदीक तथा समसा पंचायत भवन परिसर में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गयी है। यहां मेले की तैयारी भी जोरों पर है। संध्या आरती में दुर्गा मंदिरों में भक्ति की धारा बहती रहती है।मां दुर्गा की गीतों से मंदिर गुंजायमान हो उठता है। वासंतिक नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की गयी। मां कात्यायनी सफलता और यश का प्रतीक हैं। सच्चे भाव से पूजा करने पर मां प्रसन्न होती हैं। सिंह पर सवार होने वाली देवी हैं, जो चतुर्भुज हैं। वे अपनी दो भुजाओं में कमल और तलवार धारण करती हैं।एकभुजा वर मुद्रा और दूसरी भुजा अभय मुद्रा में रहती हैं।डफरपुर के पंडित रामाकांत ठाकुर बताते हैं कि मां कात्यायनी कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में प्रकट हुई थीं। इस वजह से इनका नाम कात्यायनी पड़ा। यह अपनें भक्तों को अभय प्रदान करती हैं क्योंकि इनकी उत्पत्ति ही अत्याचार का अंत करने के लिए हुआ था। ऋषि-मुनियों को असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए मां दुर्गा ने अपना कात्यायनी स्वरूप धारण किया था।
मां दुर्गा की संध्या आरती में उमड़ रही है लोगों की भीड़
बीहट। मां जगदंबा स्थान असुरारी में चैती दुर्गा को लेकर हो रही संध्या आरती में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। पंडित मुकेश झा आरती के बाद लोगों को मां दुर्गा के नौ रूपों की महत्ता से अवगत कराते हुए कहा कि मां दुर्गा के सभी रूपों का अलग अलग महत्व है। प्रतिवर्ष वासंतिक तथा शारदीय दोनों नवरात्र में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती रही है। नवरात्र के दौरान मंदिर परिसर में मेले जैसा नजारा देखने को मिलता है।रविवार को मां दुर्गा की संध्या आरती के मौके पर मुख्य पार्षद बबीता देवी, धर्मवीर कुमार, अशोक कुमार, ज्ञानेश्वर समेत अन्य मौजूद थे।
बासन्ती नवरात्र के छठे दिन हुई मां दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा
खोदावंदपुर,निज संवाददाता। वासन्ती नवरात्र के छठे दिन रविवार को भगवती दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा अर्चना हुई। मेघौल एवं बाड़ा गांव के चैती दुर्गा मंदिरों में भगवती दुर्गा की विधि विधान से पूजा आराधना की गई। इसके साथ साथ इन दुर्गा मंदिरों में पंडितों द्वारा दुर्गा शप्तशती का पाठ भी जारी रहा। माता दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की महिमा की जानकारी देते हुए बाड़ा दुर्गा मंदिर के साधक पुजारी व बाड़ा गांव के पं बालेश्वर झा ने बताया कि मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा अर्चना करने से साधक को मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है। साधक के सारे मनोरथ भी पूर्ण होते हैं।चैत्री नवरात्र को लेकर दुर्गा पूजा समिति द्वारा मेला के आयोजन की तैयारी शुरू कर दी गई है। बासन्ती नवरात्र और रामनवमी को लेकर लोगों में उत्साह देखा जा रहा है।
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गढ़पुरा, निज संवाददाता। चैती नवरात्र के छठे दिन रविवार को भक्तों ने मां कात्यायनी की पूजा श्रद्धा भाव से की। कात्यायनी देवी दुर्गा का छठा रूप हैं। कोरैय चैती दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित त्रिदेव झा ने बताया कि देवी ने कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया। इससे उनका नाम कात्यायनी पड़ गया। मां कात्यायनी अमोघ फलदाई मानी गई हैं। प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों भक्त घरों में ही माता की पूजा में लीन हैं। सोमवार को मां कालरात्रि निशा पूजा पश्चात प्रतिमा के दर्शन के लिए मंदिर के पट खोले जाएंगे। सोनमा दुर्गा मंदिर में प्रतिवर्ष तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। यहां झूला ब्रेक डांस संस्कृति कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जाता है। वहीं मीना बाजार भी लगाए जाते हैं। मंदिर के मुख्य गेट पर भव्य पंडाल बनाए गए हैं। कोरैय चैती दुर्गा मंदिर परिसर में भी पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ लगी है।
कात्यानी मंदिर पूजा अर्चना के लिए जाने के लिए गढ़पुरा स्टेशन पर लगी रही श्रद्धालुओं की भीड़
इधर मां कात्यायनी की पूजा को लेकर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु भक्त रविवार को गढ़पुरा स्टेशन ट्रेन से खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड स्थित धमारा घाट स्टेशन के समीप कात्यायनी मंदिर (कतानय स्थान) रवाना हो गए। यहां मां के छठे स्वरूप की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर तांडव कर रहे थे तो उन्हें शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के मृत शरीर को सुदर्शन चक्र से छिन्न-भिन्न कर दिया था। ऐसे में जहां-जहां माता सती के शरीर के टुकड़े गिरे वे स्थल शक्तिपीठ स्थल कहलाए। कात्यायनी स्थान में मां का बायां हाथ गिरा था। इसलिए यहां हाथ की पूजा-अर्चना की जाती है। यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है।
वासंतिक नवरात्र में श्रद्धालुओं ने की मां कात्यायनी की पूजा
नावकोठी, निज संवाददाता। वासंतिक नवरात्रि के छठे दिन क्षेत्र के दुर्गा मंदिरों में श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना की जा रही है। को जागरण होगा। जागरण की तैयारी जोरों पर है। सोमवार को जागरण है। प्रखंड के नावकोठी स्थित एपीएस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मैदान के नजदीक तथा समसा पंचायत भवन परिसर में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गयी है। यहां मेले की तैयारी भी जोरों पर है। संध्या आरती में दुर्गा मंदिरों में भक्ति की धारा बहती रहती है।मां दुर्गा की गीतों से मंदिर गुंजायमान हो उठता है। वासंतिक नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की गयी। मां कात्यायनी सफलता और यश का प्रतीक हैं। सच्चे भाव से पूजा करने पर मां प्रसन्न होती हैं। सिंह पर सवार होने वाली देवी हैं, जो चतुर्भुज हैं। वे अपनी दो भुजाओं में कमल और तलवार धारण करती हैं।एकभुजा वर मुद्रा और दूसरी भुजा अभय मुद्रा में रहती हैं।डफरपुर के पंडित रामाकांत ठाकुर बताते हैं कि मां कात्यायनी कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में प्रकट हुई थीं। इस वजह से इनका नाम कात्यायनी पड़ा। यह अपनें भक्तों को अभय प्रदान करती हैं क्योंकि इनकी उत्पत्ति ही अत्याचार का अंत करने के लिए हुआ था। ऋषि-मुनियों को असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए मां दुर्गा ने अपना कात्यायनी स्वरूप धारण किया था।
मां दुर्गा की संध्या आरती में उमड़ रही है लोगों की भीड़
बीहट। मां जगदंबा स्थान असुरारी में चैती दुर्गा को लेकर हो रही संध्या आरती में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। पंडित मुकेश झा आरती के बाद लोगों को मां दुर्गा के नौ रूपों की महत्ता से अवगत कराते हुए कहा कि मां दुर्गा के सभी रूपों का अलग अलग महत्व है। प्रतिवर्ष वासंतिक तथा शारदीय दोनों नवरात्र में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती रही है। नवरात्र के दौरान मंदिर परिसर में मेले जैसा नजारा देखने को मिलता है।रविवार को मां दुर्गा की संध्या आरती के मौके पर मुख्य पार्षद बबीता देवी, धर्मवीर कुमार, अशोक कुमार, ज्ञानेश्वर समेत अन्य मौजूद थे।
बासन्ती नवरात्र के छठे दिन हुई मां दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा
खोदावंदपुर,निज संवाददाता। वासन्ती नवरात्र के छठे दिन रविवार को भगवती दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा अर्चना हुई। मेघौल एवं बाड़ा गांव के चैती दुर्गा मंदिरों में भगवती दुर्गा की विधि विधान से पूजा आराधना की गई। इसके साथ साथ इन दुर्गा मंदिरों में पंडितों द्वारा दुर्गा शप्तशती का पाठ भी जारी रहा। माता दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की महिमा की जानकारी देते हुए बाड़ा दुर्गा मंदिर के साधक पुजारी व बाड़ा गांव के पं बालेश्वर झा ने बताया कि मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा अर्चना करने से साधक को मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है। साधक के सारे मनोरथ भी पूर्ण होते हैं।चैत्री नवरात्र को लेकर दुर्गा पूजा समिति द्वारा मेला के आयोजन की तैयारी शुरू कर दी गई है। बासन्ती नवरात्र और रामनवमी को लेकर लोगों में उत्साह देखा जा रहा है।
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