ब्याज दरों में 0.25% की कटौती हो सकती है: 2023 के बाद से इसमें बदलाव नहीं, RBI गवर्नर 10 बजे मीटिंग में लिए फैसलों की जानकारी देंगे

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ब्याज दरों में 0.25% की कटौती हो सकती है:  2023 के बाद से इसमें बदलाव नहीं, RBI गवर्नर 10 बजे मीटिंग में लिए फैसलों की जानकारी देंगे
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ब्याज दरों में 0.25% की कटौती हो सकती है: 2023 के बाद से इसमें बदलाव नहीं, RBI गवर्नर 10 बजे मीटिंग में लिए फैसलों की जानकारी देंगे

मुंबई34 मिनट पहले

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RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा आज यानी, 7 फरवरी को ब्याज दरों में 0.25% की कटौती का ऐलान कर सकते हैं। रेपो रेट पर फैसला लेने के लिए 5 फरवरी से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग चल रही थी। RBI गवर्नर सुबह 10 बजे मीटिंग में लिए फैसलों की जानकारी देंगे।

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संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में कमेटी की यह पहली मीटिंग है। RBI ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा है। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों को घटाकर 6.25% कर देगा। वहीं कुछ को लगता है कि अभी रेपो रेट में बदलाव नहीं होगा।

2020 से रिजर्व बैंक ने 5 बार में 1.10% ब्याज दरें बढ़ाईं

RBI ने कोरोना के दौरान (27 मार्च 2020 से 9 अक्टूबर 2020) दो बार ब्याज दरों में 0.40% की कटौती की। इसके बाद अगली 10 मीटिंग्स में सेंट्रल बैंक ने 5 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, चार बार कोई बदलाव नहीं किया और एक बार अगस्त 2022 में 0.50% की कटौती की। कोविड से पहले 6 फरवरी 2020 को रेपो रेट 5.15% पर था।

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महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है पॉलिसी रेट

किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।

पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

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इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

जानिए महंगाई के आंकड़े क्या कहते हैं?

1. दिसंबर में रिटेल महंगाई 5.22% रही थी: खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से दिसंबर में रिटेल महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर 5.22% पर आ गई। नवंबर में महंगाई दर 5.48% पर थी। 4 महीने पहले अगस्त में महंगाई 3.65% पर थी। RBI की महंगाई को लेकर रेंज 2%-6% है।

2. दिसंबर में थोक महंगाई 3.36% रही थी: दिसंबर महीने में थोक महंगाई बढ़कर 2.37% पर पहुंच गई। इससे पहले नवंबर में ये 1.89% पर थी। आलू, प्याज, अंडे, मांस-मछली और फलों की थोक में कीमतें बढ़ीं हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने 14 जनवरी को ये आंकड़े जारी किए थे।

महंगाई कैसे प्रभावित करती है?

महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

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