बोर्ड एग्जामः सतना की बोर्ड कॉपियां सतना में जंच गईं | Board Exam: Satna Board copies evaluated in Satna | News 4 Social

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बोर्ड एग्जामः सतना की बोर्ड कॉपियां सतना में जंच गईं | Board Exam: Satna Board copies evaluated in Satna | News 4 Social


बोर्ड एग्जामः सतना की बोर्ड कॉपियां सतना में जंच गईं | Board Exam: Satna Board copies evaluated in Satna | News 4 Social

उल्लेखनीय है कि मंडल के नियमानुसार गृह जिले की कॉपियां गृह जिले में नहीं जांची जा सकतीं। कॉपी का पहचान दर्शाने वाला पहला पेज निकालकर इस पर कोड डालकर एक जिले की कॉपियां दूसरे किसी जिले में भिजवाने की व्यवस्था है। सतना की कॉपियों के संबंध में रीवा संभागीय कार्यालय को कोडिंग सेंटर बनाया गया था। प्रक्रिया तो यही हुई थी, लेकिन इसमें गड़बड़झाला यह हुआ कि सतना जिले की कॉपियां किसी अन्य जिले में जाने के बजाय सतना में ही आ गईं।
इस तरह हुआ खुलासा

कोडिंग में यह किसी को पता नहीं लग सकता था कि सतना में जंच रहीं कॉपियां सतना जिले के परीक्षार्थियों की ही हैं। लेकिन हिंदी और अंग्रेजी के पेपरों के कुछ प्रश्नों के जवाब में कुछ छात्रों ने जवाब में सतना की अपनी पहचान का उल्लेख कर दिया। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि इसका खुलासा भाषा विषय की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से हुआ। हिंदी और अंग्रेजी के प्रश्न-पत्रों में आवेदन लिखने संबंधी सवाल थे। कुछ विद्यार्थियों ने उत्तर में अपना और विद्यालय का नाम लिख दिए।
इस तरह लिखे जवाब

हाईस्कूल के हिन्दी विषय के प्रश्नपत्र में प्रश्न क्रमांक 22 में जिले के जिलाधीश को परीक्षाकाल में ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर रोक लगाने का आवेदन लिखने को कहा गया था। परीक्षार्थियों ने उत्तर में सतना जिलाधीश का उल्लेख तो किया ही, अपना और स्कूल का नाम तक लिख दिया। इसी तरह हायर सेकण्डरी की हिन्दी की परीक्षा में आवेदन के प्रश्न के जवाब में परीक्षार्थियों ने नगर निगम के आयुक्त को सतना निगमायुक्त लिख दिया। नीचे उन्होंने अपना नाम भी लिखा। ग्रामीण क्षेत्र के कुछ छात्रों ने निगमायुक्त के बजाय अपने विद्यालय के नाम के उल्लेख के साथ प्राचार्य के नाम पत्र लिख दिया। सन्नेही विद्यालय के छात्र ने भी ऐसा ही किया।
व्यंकट 2 की कॉपी इसी स्कूल के शिक्षक को

जिले की कॉपी जिले को तो बड़ी बात है, इसमें एक स्थिति तो ऐसी हुई कि व्यंकट क्रमांक 2 के शिक्षक को इसी स्कूल के विद्यार्थी की कॉपी मूल्यांकन के लिए मिल गई।
मूल्यांकनकर्ताओं का भी दोष

इस पूरे प्रसंग में मूल्यांकनकर्ता भी जिम्मेदार रहे। गफलत, गड़बड़ या किसी निहित स्वार्थवश सतना की कॉपियां सतना में ही जंचने के लिए आ गईं हैं, यह व्यंकट क्रमांक 1 में मूल्यांकन के लिए लगे जिले भर के मूल्यांकनकर्ताओं को हिंदी और अंग्रेजी के पेपरों की जांच के दौरान पता लग गया। उनका दायित्व बनता था कि वे इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराते जिससे समय पर गलती को सुधार लिया जाता। लेकिन मूल्यांकनकर्ताओं ने ऐसा नहीं किया। उन्हें कॉपी मिली, उन्होंने इसे जांच दिया।
मंडल की भी जवाबदेही

इस मामले में मंडल की भी जवाबदेही है। नियमानुसार मंडल को सवाल इस तरह से नहीं करने चाहिए थे जिससे पहचान उजागर हो सके। ऐसे प्रश्नों में विद्यार्थी को काल्पनिक नाम और परिस्थितियां प्रदान की जाती हैं। हाईस्कूल के अंग्रेजी के प्रश्न में मंडल ने ऐसा किया था। वहां परीक्षार्थी का अपना नाम जय या जया तथा स्कूल का नाम एचएसएस उज्जैन लिखने को कहा गया, लेकिन हिंदी के पेपरों में ऐसा नहीं किया गया।
कोडिंग से तो स्थान का पता नहीं चल सकता है। लेकिन जैसा बता रहे हैं और ऐसा हुआ है तो वह गलत है। हमारे पास ऐसी कोई सूचना नहीं आई है। ” – एसके त्रिपाठी, संयुक्त संचालक स्कूल शिक्षा, रीवा

हमारी जानकारी में ऐसा कोई मामला नहीं है। न ही हम इसमें कुछ बोलने को अधिकृत हैं।” – रंजीत सिंह दाहिमा, संभागीय मंडल प्रभारी