बॉबी ने खून की उल्टियां कीं, घर आते ही मौत: SSP ने CM से कहा- हाथ मत डालिए जल जाएगा, बॉबी हत्याकांड की कहानी – Bihar News

6
बॉबी ने खून की उल्टियां कीं, घर आते ही मौत:  SSP ने CM से कहा- हाथ मत डालिए जल जाएगा, बॉबी हत्याकांड की कहानी – Bihar News
Advertising
Advertising

बॉबी ने खून की उल्टियां कीं, घर आते ही मौत: SSP ने CM से कहा- हाथ मत डालिए जल जाएगा, बॉबी हत्याकांड की कहानी – Bihar News

8 मई 1983 की तारीख। बिहार विधानपरिषद की उप सभापति राजेश्वरी सरोज दास के आवास में सबकुछ सामान्य था। शनिवार का दिन था। हर वीकेंड की तरह उस रोज भी उस घर की सुबह देर से हुई थी। न किसी को दफ्तर जाने की जल्दी थी और न ही घर में अधिकारियों की आवाजाही। वैशाख

Advertising

.

वीकेंड की शाम एंजॉय करने उनकी बेटी श्वेत निशा त्रिवेदी (एडाप्टेड) उर्फ बेबी भी घर से निकली। लेकिन उस रोज लौटने में काफी देर हो गई थी।

Advertising

आधी रात बीत जाने के बाद वो घर आई। घर आते ही पहले बॉबी के पेट में दर्द हुआ। इसके कुछ देर बाद ही वो खून की उल्टियां करने लगी। आनन-फानन में उन्हें PMCH में एडमिट कराया गया। जांच के बाद जब वो घर लौटी तो कुछ ही देर में मौत हो गई।

इस एक मौत ने तब बिहार के पावर कॉरिडोर की नींद उड़ा दी। विधायक, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने इस केस की जांच रुकवाने में पूरी ताकत झोंक दी थी।

NEWS4SOCIALकी स्पेशल सीरीज ‘बिहार की मर्डर मिस्ट्री’ की पहली कहानी में आज पढ़िए हुस्न, सियासत और सेक्स के कॉकटेल बॉबी हत्याकांड की कहानी। जानिए, श्वेत निशा कैसे बेबी से बॉबी बनी? कैसे विधान परिषद में टाइपिस्ट की नौकरी करने वाली एक लड़की की मौत बिहार के सियासत का सबसे सनसनीखेज सेक्स स्कैंडल बना?

Advertising

FIR नहीं अखबार की रिपोर्ट से शुरू हुई थी जांच

इस केस की जांच करने वाले IPS अधिकारी और तत्कालीन पटना SSP दिवंगत किशोर कुणाल अपनी किताब दमन तक्षकों में लिखते हैं, ’11 मई 1983 को पटना के दो लीडिंग अखबारों के पहले पन्ने पर एक खबर छपी थी। खबर का शीर्षक था- ‘बॉबी की संदिग्ध स्थिति में मौत, लाश को कहीं छिपाया गया।’

इस खबर ने पटना में सनसनी मचा दी थी। हैरानी इस बात की थी कि इस केस में न ही कोई FIR दर्ज की गई थी और न ही किसी तरह जांच की कोई बात लिखी गई थी। खबर की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने इस खबर पर स्वतः: संज्ञान लिया और केस की जांच शुरू कर दी।

Advertising

कब्रिस्तान से डेडबॉडी को निकालकर कराया पोस्टमॉर्टम

अपनी किताब में किशोर कुणाल लिखते हैं, केस की जांच में वे सबसे पहले बॉबी की मां के पास पहुंचे। पूछताछ में उन्होंने घटना की जानकारी दी। बताया कि शनिवार रात घर लौटने के बाद बॉबी के पेट में दर्द हुआ और खून की उल्टियां हुई। जांच के बाद घर आते ही उसकी मौत हो गई। क्योंकि वो ईसाई थी, इसलिए मौत के बाद उसे कब्रिस्तान में दफना दिया गया।

40 साल पहले बॉबी का शव दो बार कब्र से खोदकर निकाला गया था।

किशोर कुणाल को इनकी बातों पर संदेह हुआ। क्योंकि जांच के दौरान ये बात सामने आई कि बॉबी की मौत के बाद दो रिपोर्ट तैयार की गई थीं। एक जिसमें कहा गया था कि, ‘मौत की वजह ब्लीडिंग है, जबकि दूसरी रिपोर्ट में कहा गया था कि बॉबी की मौत हार्ट अटैक से हुई है। वहीं एक में मौत की टाइमिंग सुबह के 4 बजे थी तो दूसरी में साढ़े चार बजे।’

मौत की असली वजह क्या थी, और समय क्या था? इसकी सच्चाई जानने के लिए किशोर कुणाल ने कब्रिस्तान से बॉबी के शरीर को निकालकर उसकी विसरा जांच कराई। जांच में ‘मेलेथियन’ नाम का जहर पाया गया। इस रिपोर्ट ने पुलिस के शक को हकीकत में बदल दिया और तब साफ हो चुका था कि बॉबी का मर्डर किया गया था।

आउट हाउस में रहने वाले कर्मचारियों ने उगले राज

विसरा की जांच रिपोर्ट में जहर की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने उप सभापति के आउट हाउस में रहने वाले दो शख्स को पूछताछ के लिए उठाया। इन दोनों ने जो बातें बताई उसने एसएसपी के होश उड़ा दिए। उसने बताया, ’7 मई की रात बॉबी से मिलने के लिए एक आदमी आया था। इस शख्स का नाम था रघुवर झा। रघुवर झा कोई आम लड़का नहीं था, बल्कि उस वक्त के कांग्रेस की एक बड़ी नेता राधा नंदन झा का बेटा था।

पॉलिटिकल कनेक्शन खंगालने के लिए उपसभापति का किया स्टिंग

युवकों के बयान के बाद कुणाल राजेश्वरी सरोज दास से दोबारा मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘मैडम आपकी बेटी को न्याय मिले इसके लिए इस बुढ़ापे में तो सच बोलिए।’ यह सुन सरोज दास भावुक हो गईं। उन्होंने सारी सच्चाई बता दीं, बताया कैसे रघुवर झा की दी गई दवाई के बाद श्वेत निशा की तबीयत बिगड़ती गई, कैसे नकली डॉक्टर ने उसका इलाज किया और कैसे झूठी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनी।

ये सब कुणाल ने सरोज दास के कुर्सी के नीचे टेप रिकॉर्डर रख रिकॉर्ड कर लिया था। इसकी जानकारी बाद में सरोज दास को भी उन्होंने दी। खुद राजेश्वरी सरोज दास ने 28 मई 1983 को अदालत में दिए गए अपने बयान में कहा कि ‘बॉबी को कब और किसने जहर दिया था।’

जांच के साथ सियासी गलियारे में बढ़ रहा था हंगामा

कांग्रेस नेता के बेटे का नाम सामने आते ही मामले ने तूल पकड़ लिया। मामला बिहार से निकल कर दिल्ली तक पहुंच गया। पूरे देश में हंगामा शुरू हो गया। पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी, वैसे-वैसे सत्ता के गलियारों में हंगामा बढ़ता जा रहा था। इसका कारण था, हर स्टेप के साथ बॉबी हत्याकांड मामले में सत्ताधारी पार्टी के छोटे-बड़े नेता का नाम जुटते जाना। इस खुलासे की वजह से कांग्रेस पार्टी पर विपक्ष का दबाव भी बढ़ता जा रहा था।

एक इंटरव्यू में तब किशोर कुणाल ने कहा था, ‘हत्या में तीन लोग अभियुक्त थे। 100 व्यक्तियों के बयान दर्ज किए। उन्होंने श्वेत निशा के बारे में जो बताया इसमें बहुत लोगों के चरित्र उजागर हो रहे थे। मुजरिम को बचाने से ज्यादा कई नेताओं के पोल खुलने का डर था। अगर पोल खुल जाता तो लोग चुनाव में कहेंगे कि चरित्रहीन नेता है। इन्हें चरित्र का डर था। बहुत लोग जेल जाते ऐसी कोई बात नहीं थी।’

40 MLA और 2 मंत्रियों ने दी थी सरकार गिराने की धमकी

तब बिहार में कांग्रेस नेता डॉ. जगन्नाथ मिश्र CM थे। हत्याकांड के तार प्रत्यक्ष और परोक्ष ढंग से छोटे-बड़े कांग्रेस के कई नेता से जुड़ रहे थे। एक दिन अचानक 40 MLA और दो मिनिस्टर CM के ऑफिस पहुंचे और कहा कि अगर केस बिहार पुलिस से CBI को ट्रांसफर नहीं किया गया तो हम आपकी सरकार गिरा देंगे।

तब विपक्ष के नेता कर्पूरी ठाकुर भी सरकार पर इस केस में CBI जांच की मांग कर रहे थे। सत्ता और विपक्ष की मांग के बीच CM पर दबाव बढ़ता जा रहा था।

SSP ने CM से कहा- हाथ मत डालिए जल जाएगा

किशोर कुणाल अपने एक इंटरव्यू में कहते हैं, वे लगभग केस सुलझा चुके थे। उनके पास सारे सबूत थे। गिरफ्तारी की प्रक्रिया पूरी करने में जुटे हुए थे। इसी बीच उन्हें CM का फोन आया। पूछा- बॉबी केस में क्या हो रहा है।

कुणाल के मुताबिक, उन्होंने CM को बोला, ‘सर अन्य मामलों में आपकी छवि चाहे जैसी हो, इसमें आप बेदाग हैं। इस केस में हाथ मत डालिए नहीं तो हाथ जल जाएगा।’ सीएम ने फिर फोन रख दिया, लेकिन पुलिस अपनी आगे की कार्रवाई करने वाली थी कि तभी 25 मई 1983 को इस केस को बिहार पुलिस से लेकर CBI को सौंप दिया गया।’

CBI ने मर्डर केस को सुसाइड बताकर चैप्टर क्लोज कर दिया

जब CBI के हाथ में ये केस सौंपा गया तो CBI ने पूरे केस को ही बदल दिया। CBI ने अपनी रिपोर्ट में इसे मर्डर का नहीं बल्कि आत्महत्या का मामला बताया। CBI ने अपने रिपोर्ट में बताया कि बॉबी अपने प्रेमी से मिले धोखे से परेशान थी। इसलिए उसने सेंसीबल नाम की टैबलेट खा ली थी।

रिपोर्ट में ये तक लिखा गया कि,

कांग्रेस नेता का बेटा रघुवर झा इस मामले में निर्दोष है और घटना के दिन वो एक शादी में गया था। CBI ने तब उप सभापति और बॉबी की मां राजेश्वरी सरोज दास को ही दोषी बता दिया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि बॉबी से जुड़े खत और कई दस्तावेज को उनकी मां ने जला दिए ताकि बड़े लोगों का इस केस में नाम ना आए। इस क्लोजर रिपोर्ट के साथ ही बॉबी का मर्डर एक रहस्य बन कर रह गया।

QuoteImage

तब किशोर कुणाल ने कहा था, ‘PIL का जमाना था नहीं। कुछ लोगों ने कोर्ट में फिर मामले को खोलने के लेकर अपील भी की, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि ऐसे मामलों में पीड़ित का परिवार या सरकार, यही दोनों अपील कर सकते हैं।’

किशोर कुणाल ने अपनी किताब में बॉबी मर्डर केस के बारे में जिक्र किया था।

अब बॉबी की निजी जिंदगी से जुड़ी दो कहानी जानिए

कहानी-1

टेलीफोन ऑपरेटर विधायकों-मंत्रियों की चहेती बनती गई

1978 में बॉबी को विधान परिषद में नौकरी तब मिली थी, जब उनकी मां वहां की उप सभापति थी। उन्हें नौकरी दिलवाने के लिए विधान परिषद में विशेष प्राइवेट एक्सचेंज बोर्ड लगाया गया था, ताकि बॉबी को टेलीफोन ऑपरेटर की नौकरी मिल जाए। बाद में वो बोर्ड बंद कर दिया गया और बॉबी को टाइपिस्ट की नौकरी मिल गई।

इसी विधानसभा में नौकरी के दौरान उसकी मुलाकात कई नेताओं और विधायकों से हुई। विधायक और मंत्री उसकी सुंदरता से आकर्षित होते चले गए। लोग इस कदर बॉबी के प्यार में पड़ गए कि अपने पूरे महीने का भत्ता तक उस पर लुटाने लगे।

कहानी-2

श्वेत निशा त्रिवेदी कैसे बनी बॉबी

किशोर कुणाल अपनी पुस्तक दमन तक्षकों में लिखते हैं, ’पूनम की रात्रि में निशा श्वेत होती है। तब ये नजारा बेइंतहा खूबसूरत और आकर्षित होती है। श्वेत निशा बेहद सुंदर थी, शायद इसलिए उसे यह नाम दिया गया था।’ जबकि घर पर उनका पुकार नाम बेबी था।’

जब मीडिया ने इस केस की रिपोर्टिंग शुरू की तो दुनिया छोड़ने के बाद बेबी मीडिया की कृपा से बॉबी नाम से मशहूर हो गई। दरअसल, 1973 में आई फिल्म बॉबी से प्रभावित होकर पत्रकारों ने श्वेत निशा कांड की सनसनी बरकरार रखने के लिए उसके निकनेम को बदलकर बेबी से बॉबी कर दिया।

———–

ये भी पढ़ें…

शर्ट से खुला अफेयर में डबल मर्डर का केस:आरोपी की उम्र 31 साल, 2 बेटियों का पिता, 61 साल की महिला से था संबंध

पाटलिपुत्र के नेहरू नगर में बुजुर्ग दंपती एनके श्रीवास्तव (75) और उनकी पत्नी सुजाता देवी (61) की हत्या की वजह अवैध संबंध है। पुलिस ने इसका खुलासा कर दिया है। साथ ही राजीव नगर रोड नंबर 27-बी के रहने वाले अमित कुमार उर्फ चिंटू (31) को गिरफ्तार किया है। अमित नालंदा के हिलसा का रहने वाला है। वह नशे का आदी है। नेहरू नगर में ही किराना दुकान चलाता है। अमित दो बेटियों का पिता है। पूरी खबर पढ़िए

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Bihar News

Advertising