बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट: सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद ट्रायल कोर्ट ने जारी किया आदेश – akrela News h3>
एसडीएम पर पिस्टल तानने और सरकारी संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने के मामले में बीजेपी विधायक कंवरलाल के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कंवरलाल की विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया था। उन्हें दो सप्ताह में ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने के आदेश दिए हैं।
इससे पहले, एडीजे कोर्ट, अकलेरा (झालावाड़) ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए 14 दिसंबर 2020 को 3 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी उस सजा को बरकरार रखते हुए कंवरलाल को सरेंडर करने के आदेश दिए थे। अब गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद विधायक को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
थाना प्रभारी नंदकिशोर वर्मा ने बताया कि यह कार्रवाई न्यायालय द्वारा एसडीएम पर पिस्टल तानने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के संबंध में की गई है।
एसडीएम रामनिवास मेहता के वकील राम अवतार गुप्ता ने बताया कि यह मामला पहले मनोहर थाना की एसीजेएम कोर्ट में विचाराधीन था। बाद में विधायक कंवरलाल मीणा ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसे खारिज कर दिया।
सभी दलीलों को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
7 मई को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ (जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और संजय करोल) ने मामले की सुनवाई की। विधायक के वकील नमित सक्सेना ने तर्क दिया कि न तो रिवॉल्वर बरामद हुई, न ही वीडियो कैसेट मिली है। इसलिए क्रिमिनल फोर्स या सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला नहीं बनता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह दलीलें खारिज कर दीं।
हाईकोर्ट ने कहा था – आपराधिक पृष्ठभूमि को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
हाईकोर्ट ने भी अपील खारिज करते हुए कहा था कि कंवरलाल ने खुद को राजनीतिक व्यक्ति बताया और कानून की रक्षा के बजाय उसकी अवहेलना की।उसके खिलाफ पहले से 15 आपराधिक मामले दर्ज थे, भले ही अधिकतर में वह दोषमुक्त हुआ हो, लेकिन आपराधिक पृष्ठभूमि को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
क्या है मामला?
3 फरवरी 2005 को झालावाड़ के मनोहर थाना इलाके में चुनाव को लेकर रास्ता जाम हुआ था। सूचना पर एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम और तहसीलदार मौके पर पहुंचे थे।कंवरलाल मीणा वहां अपने साथियों के साथ आया और एसडीएम की कनपटी पर पिस्टल तान दी, धमकी दी कि दोबारा गिनती नहीं कराई तो जान से मार दूंगा।फोटोग्राफर का कैमरा तोड़ दिया, कैसेट जलाई और एक अन्य अधिकारी का कैमरा भी छीन लिया।
विधायकी पर खतरा
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत यदि किसी जनप्रतिनिधि को 2 साल से अधिक की सजा मिलती है, तो वह सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो सकता है। ऐसे में कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता खतरे में है।विधानसभा सचिवालय पहले ही नोटिस जारी कर चुका है।
सरेंडर नहीं किया तो होगी गिरफ्तारी
अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत देने से इनकार कर दिया और ट्रायल कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। ACJM कोर्ट, मनोहरथाना या ADJ कोर्ट अकलेरा में न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष विधायक सरेंडर कर सकते हैं। ऐसा नहीं करने पर पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की जाएगी।
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