बीजेपी ने आखिरी कार्यसमिति के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ को क्यों चुना?

7
बीजेपी ने आखिरी कार्यसमिति के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ को क्यों चुना?
Advertising
Advertising

बीजेपी ने आखिरी कार्यसमिति के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ को क्यों चुना?

भोपाल: सत्तारूढ़ बीजेपी की अंतिम कार्य समिति और राज्य कार्यकारिणी की बैठक (BJP Working Committee Meeting) अगस्त के मध्य तक ग्वालियर में हो सकती है। बैठक की तारीख जल्द ही तय हो जाएगी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि ग्वालियर में गृह मंत्री अमित शाह पार्टी कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करने के लिए मौजूद रहेंगे।

उन्होंने कहा कि हम चुनाव से पहले कार्य समिति की अंतिम बैठक की योजना बना रहे हैं। यह अगले पखवाड़े में हो सकता है। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उपस्थित रहेंगे। यह पूछे जाने पर कि अंतिम बैठक के लिए ग्वालियर पसंसदीदा जगह क्यों है? शर्मा ने कहा कि यह बारी-बारी से होता है। हमने इंदौर और भोपाल सहित हर जगह बैठकें की हैं।

Advertising

MP Election: कमलनाथ को याद आए आडवाणी, सिंधियों को अपने पाले में करने की कोशिश में कांग्रेस-बीजेपी
दरअसल, 21 जुलाई को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ग्वालियर में विशाल जनसभा को संबोधित, जहां उन्होंने दावा किया मध्यप्रदेश में बदलाव की जबरदस्त लहर है। उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की विचारधारा अचानक बदल गई।

Advertising

MP Election: एमपी में नरेंद्र सिंह तोमर को आगे बढ़ाकर किसका पत्ता काट रही बीजेपी? कांग्रेस ने किया नाम का खुलासा
वहीं, ग्वालियर-चंबल तेजी से नवंबर के विधानसभा चुनावों का केंद्र बिंदु बन रहा है। विशेष रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण। बीजेपी चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख नरेंद्र सिंह तोमर भी इसी क्षेत्र के मुरैना से आते हैं और राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का विधानसभा क्षेत्र दतिया भी इसी इलाके में आता है। 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कुल 34 विधानसभा सीटों में से 26 सीटें जीतीं, बीजेपी ने सात और बसपा ने केवल एक सीट हासिल की थी। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया तब कांग्रेस पार्टी में थे और उन्होंने ग्वालियर-चंबल में बड़े पैमाने पर प्रचार किया था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़ दी थी और 22 वफादार विधायकों के साथ बीजेपी में चले गए थे। इसके बाद प्रदेश में 15 महीने की कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। उसी साल नवंबर महीने में उपचुनाव हुए और बीजेपी ने उन सीटों में से नौ पर कब्जा किया, जबकि कांग्रेस ने सात सीटें बरकरार रखीं। सिंधिया के जाने के बाद कांग्रेस इस क्षेत्र में प्रमुख चेहरा के बिना हो गई।

Gwalior News Today Live: ‘जिनको कथा के लिए बुलाते हैं, चुनाव के बाद उन्हीं पर सवाल उठाते हैं’, बागेश्वर धाम की कथा को लेकर सिंधिया का कमलनाथ पर निशाना
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने सात बार के विधायक और पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया। वह भिंड के लहार क्षेत्र से विधायक हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रतिद्वंदी के रूप में जाने जाते हैं। दिग्विजय सिंह ने भी उस क्षेत्र में प्रवेश किया है, जहां वे बड़े पैमाने पर दौरा कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं की बैठकें कर रहे हैं।

MP Election: ज्योतिरादित्य के ‘खास’ मंत्री को उनकी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया ने दिया ऐसा जवाब कि छा गया सन्नाटा
वहीं, कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर यह साबित करने में जुटी है, उनके जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। कांग्रेस पार्टी ने पिछले साल केंद्रीय मंत्री सिंधिया और तोमर के गढ़ ग्वालियर और मुरैना नगर निगमों में शहरी निकाय चुनाव जीते थे।

Advertising

वहीं, बीजेपी चाहती है कि सिंधिया और तोमर उस इलाके में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीते। ताकि यह स्थापित हो सके कि मार्च 2020 में कमलनाथ की सरकार गिराने का फैसला सही था।

उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News

Advertising