बिहार में लोकसभा चुनाव में वोट करने एक दिन पहले घर से निकलेंगे कैमूर के 125 वोटर, जानिए क्यों? h3>
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बिहार के कैमूर जिले में पहाड़ पर बसे एक गांव के 125 वोटरों को लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए घर से एक दिन पहले निकलना होगा। उनका पोलिंग बूथ गांव से सड़क मार्ग से 32 किलोमीटर दूर और पहाड़ी के रास्ते 22 किलोमीटर दूर है। इस गांव से 5 किलोमीटर दूर एक पोलिंग बूथ है लेकिन वहां से उनको जोड़ा नहीं गया है। ये गांव है कि भगवानपुर प्रखंड का भुड़कुड़ा गांव जो पहाड़ी पर बसा है। गांव में 125 मतदाता हैं। इनका मतदान केंद्र रामगढ़ पंचायत के चुआं गांव में है। गांव से बूथ की दूरी सड़क से 32 किलोमीटर और पहाड़ी घाटी के रास्ते 22 किलोमीटर है। भुड़कुड़ा गांव से चैनपुर प्रखंड का डुमरकोन बूथ 5 किमी दूर है लेकिन वहां इनको बूथ नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि मतदान केंद्र डुमरकोन में होता तो बड़ी राहत मिल जाती। ग्रामीण तो कहते हैं कि उनके गांव को चैनपुर प्रखंड से जोड़ दिया जाता तो अच्छा होता क्योंकि भगवानपुर प्रखंड मुख्यालय गांव से काफी दूर है।
भुड़कुड़ा के ग्रामीण राजकुमार खरवार बताते हैं कि उनके गांव में 125 मतदाता हैं। मतदान करने के लिए लोगों को गांव से भोर में या फिर एक दिन पहले निकलना पड़ता है। घर से अपने साथ सत्तू, प्याज, नमक, मिर्च, रोटी की पोटली और पानी लेकर निकलते हैं। इस बार तो भीषण गर्मी में मतदान है, ऐसे में पहाड़ की घाटी से पैदल जाना काफी कष्टकारक होगा। गांव के ही बिहारी खरवार कहते हैं कि अच्छा होता कि गांव में ही पोलिंग बूथ बना दिया जाता। लेकिन जनप्रतिनिधि चुनना है तो मतदान करने जाना ही पड़ेगा। कहते हैं कि वैसे सामूहिक रूप से निकलने पर सैर का आनंद मिल जाता है।
वोट देने के बाद मतदान केंद्र पर ही रात गुजारते हैं वोटर
चुआं मतदान केंद्र संख्या 249 पर मतदाताओं की कुल संख्या 692 है। इसमें पुरुष 358 और महिला वोटर 334 हैं। मतदान में देरी होने पर भुड़कुड़ा के लोग उसी दिन गांव नहीं लौट पाते हैं। घाटी से जाने में चोटिल होने और जंगली जानवरों के हमले का खतरा रहता है। इसलिए मतदान के बाद सारे लोग चुआं गांव में रह जाते हैं।
भुड़कुड़ा के कैलाश खरवार बताते हैं कि अगर सड़क मार्ग से चुआं जाना है तो उन्हें गांव से पांच किलोमीटर दूर चैनपुर के डुमरकोन जाना पड़ेगा। वहां यात्री गाड़ी आने पर उसमें सवार होकर अधौरा प्रखंड के छताप, मसानी, तेल्हाड़कुड से भभुआ-भगवानपुर पथ से मुंडेश्वरी होते रामगढ़ से बजरडीहवा चुआं बूथ पर पहुंचते हैं। इस रास्तों से दूरी 35 किमी है। अगर पहाड़ी घाटी से चुआं जाना है तो उन्हें भुड़कुड़ा से 10 किमी समतल पहाड़ी की राह तय कर पड़री-पतलोइया घाटी पहुंचना होता है जहां से 6 किमी चलकर पड़री गांव पहुंचते हैं। पड़री से चुआं बूथ की दूरी 6 किमी है। यानी कुल 22 किमी की राह तय करनी पड़ती है।
भुड़कुड़ा में नहीं हैं वृद्ध या दिव्यांग मतदाता
चुआं मतदान केंद्र के बूथ लेबल ऑफिसर (बीएलओ) विजय कुमार ने कहा कि संयोग अच्छा है कि भुड़कुड़ा गांव में एक भी दिव्यांग या वृद्ध वोटर नहीं है। भगवानपुर के प्रखंड निर्वाचन कार्यालय के कर्मचारी संजय ने बताया कि भगवानपुर प्रखंड में कुल 65515 मतदाता हैं। इनमें पुरुष 35034 व महिला 31381 हैं। मतदान के लिए प्रखंड में 69 बूथ बनाए गए हैं। इनमें भुड़कुड़ा गांव के 125 महिला-पुरुष मतदाता शामिल हैं जिनका मतदान केंद्र चुआं गांव के विद्यालय में बनाया गया है।
गांव में ही मतदान केंद्र की चाह
भुड़कुड़ा गांव के रामदुलार खरवार कहते हैं कि हम कितना कष्ट सहकर मतदान करने पहुंचते हैं, इस बात को शासन-प्रशासन को समझना चाहिए। हमारे गांव में शायद ही कोई प्रत्याशी वोट मांगने पहुंचते हैं। कभी-कभी कार्यकर्ता आते हैं। पूछने पर उन्होंने बताया कि जब ग्रामीण बाजार में जाते हैं और प्रत्याशियों की चर्चा चलती है, तो वहां सुनने के बाद गांव में आकर बताते हैं। चर्चा के बाद सब स्वतंत्र रूप से मतदान करते हैं। गांव में इस समय लोकसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हो गई है।
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बिहार के कैमूर जिले में पहाड़ पर बसे एक गांव के 125 वोटरों को लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए घर से एक दिन पहले निकलना होगा। उनका पोलिंग बूथ गांव से सड़क मार्ग से 32 किलोमीटर दूर और पहाड़ी के रास्ते 22 किलोमीटर दूर है। इस गांव से 5 किलोमीटर दूर एक पोलिंग बूथ है लेकिन वहां से उनको जोड़ा नहीं गया है। ये गांव है कि भगवानपुर प्रखंड का भुड़कुड़ा गांव जो पहाड़ी पर बसा है। गांव में 125 मतदाता हैं। इनका मतदान केंद्र रामगढ़ पंचायत के चुआं गांव में है। गांव से बूथ की दूरी सड़क से 32 किलोमीटर और पहाड़ी घाटी के रास्ते 22 किलोमीटर है। भुड़कुड़ा गांव से चैनपुर प्रखंड का डुमरकोन बूथ 5 किमी दूर है लेकिन वहां इनको बूथ नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि मतदान केंद्र डुमरकोन में होता तो बड़ी राहत मिल जाती। ग्रामीण तो कहते हैं कि उनके गांव को चैनपुर प्रखंड से जोड़ दिया जाता तो अच्छा होता क्योंकि भगवानपुर प्रखंड मुख्यालय गांव से काफी दूर है।
भुड़कुड़ा के ग्रामीण राजकुमार खरवार बताते हैं कि उनके गांव में 125 मतदाता हैं। मतदान करने के लिए लोगों को गांव से भोर में या फिर एक दिन पहले निकलना पड़ता है। घर से अपने साथ सत्तू, प्याज, नमक, मिर्च, रोटी की पोटली और पानी लेकर निकलते हैं। इस बार तो भीषण गर्मी में मतदान है, ऐसे में पहाड़ की घाटी से पैदल जाना काफी कष्टकारक होगा। गांव के ही बिहारी खरवार कहते हैं कि अच्छा होता कि गांव में ही पोलिंग बूथ बना दिया जाता। लेकिन जनप्रतिनिधि चुनना है तो मतदान करने जाना ही पड़ेगा। कहते हैं कि वैसे सामूहिक रूप से निकलने पर सैर का आनंद मिल जाता है।
वोट देने के बाद मतदान केंद्र पर ही रात गुजारते हैं वोटर
चुआं मतदान केंद्र संख्या 249 पर मतदाताओं की कुल संख्या 692 है। इसमें पुरुष 358 और महिला वोटर 334 हैं। मतदान में देरी होने पर भुड़कुड़ा के लोग उसी दिन गांव नहीं लौट पाते हैं। घाटी से जाने में चोटिल होने और जंगली जानवरों के हमले का खतरा रहता है। इसलिए मतदान के बाद सारे लोग चुआं गांव में रह जाते हैं।
भुड़कुड़ा के कैलाश खरवार बताते हैं कि अगर सड़क मार्ग से चुआं जाना है तो उन्हें गांव से पांच किलोमीटर दूर चैनपुर के डुमरकोन जाना पड़ेगा। वहां यात्री गाड़ी आने पर उसमें सवार होकर अधौरा प्रखंड के छताप, मसानी, तेल्हाड़कुड से भभुआ-भगवानपुर पथ से मुंडेश्वरी होते रामगढ़ से बजरडीहवा चुआं बूथ पर पहुंचते हैं। इस रास्तों से दूरी 35 किमी है। अगर पहाड़ी घाटी से चुआं जाना है तो उन्हें भुड़कुड़ा से 10 किमी समतल पहाड़ी की राह तय कर पड़री-पतलोइया घाटी पहुंचना होता है जहां से 6 किमी चलकर पड़री गांव पहुंचते हैं। पड़री से चुआं बूथ की दूरी 6 किमी है। यानी कुल 22 किमी की राह तय करनी पड़ती है।
भुड़कुड़ा में नहीं हैं वृद्ध या दिव्यांग मतदाता
चुआं मतदान केंद्र के बूथ लेबल ऑफिसर (बीएलओ) विजय कुमार ने कहा कि संयोग अच्छा है कि भुड़कुड़ा गांव में एक भी दिव्यांग या वृद्ध वोटर नहीं है। भगवानपुर के प्रखंड निर्वाचन कार्यालय के कर्मचारी संजय ने बताया कि भगवानपुर प्रखंड में कुल 65515 मतदाता हैं। इनमें पुरुष 35034 व महिला 31381 हैं। मतदान के लिए प्रखंड में 69 बूथ बनाए गए हैं। इनमें भुड़कुड़ा गांव के 125 महिला-पुरुष मतदाता शामिल हैं जिनका मतदान केंद्र चुआं गांव के विद्यालय में बनाया गया है।
गांव में ही मतदान केंद्र की चाह
भुड़कुड़ा गांव के रामदुलार खरवार कहते हैं कि हम कितना कष्ट सहकर मतदान करने पहुंचते हैं, इस बात को शासन-प्रशासन को समझना चाहिए। हमारे गांव में शायद ही कोई प्रत्याशी वोट मांगने पहुंचते हैं। कभी-कभी कार्यकर्ता आते हैं। पूछने पर उन्होंने बताया कि जब ग्रामीण बाजार में जाते हैं और प्रत्याशियों की चर्चा चलती है, तो वहां सुनने के बाद गांव में आकर बताते हैं। चर्चा के बाद सब स्वतंत्र रूप से मतदान करते हैं। गांव में इस समय लोकसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हो गई है।