बिहार में महाराष्ट्र की तरह खेला होगा! जानिए महागठबंधन के नेताओं में क्यों मची खलबली
बिहार में महाराष्ट्र की तर्ज पर सियासी गेम होने की आशंका जताई जाने लगी है। सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने बकायदा बीजेपी को महाराष्ट्र की घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है। आइए जानते हैं बिहार में क्या चल रही है सियासी चर्चा?
पटना: बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन ने रविवार को दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्षी एकता अभियान ने बीजेपी में डर पैदा कर दिया है। जिसने शॉर्ट कट की तलाश में महाराष्ट्र में राकांपा के विधायकों को तोड़कर अपने गठबंधन में शामिल कर लिया। जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विशेष सलाहकार केसी त्यागी ने ये भी कहा कि राकांपा संस्थापक शरद पवार पर इसका राष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रभाव नहीं होगा, हालांकि ये महाराष्ट्र में विपक्षी खेमे को प्रभावित कर सकता है।
केसी त्यागी का बड़ा बयान
त्यागी ने कहा कि यह एक अनैतिक दलबदल है। सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी का ये कदम कायरतापूर्ण और शर्मनाक है जो हाल तक राकांपा को स्वाभाविक रूप से भ्रष्ट पार्टी बताकर उसे परेशान करता था। उन्होंने आशंका जतायी कि हमारे शीर्ष नेता नीतीश कुमार ने पिछले सप्ताह पटना में आयोजित बैठक में सीबीआई, ईडी और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की थी। इन एजेंसियों के डर का इस्तेमाल राकांपा विधायकों को पाला बदलने में किया गया होगा। हालांकि त्यागी ने यह भी कहा कि बीजेपी एकजुट विपक्ष को नहीं हरा सकती है इसलिए डर के कारण वह एजेंसियों के दुरुपयोग और पार्टियों में फूट पैदा करने वाले शॉर्ट कट के माध्यम से विपक्षी एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी सत्ता हासिल करने की फिराक में
गौरतलब है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार अपनी बेटी और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के साथ 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने के लिए पटना आए थे। रविवार को दिन में महाराष्ट्र में अचानक हुए राजनीतिक उलटफेर में पवार के भतीजे अजित, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए। शिंदे की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाए गए अजित ने राकांपा पर अपना दावा करते हुए यह भी कहा कि वह और उनके समर्थक इसी पार्टी के चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने भी राकांपा में टूट के लिए भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में राकांपा विधायकों की खरीद-फरोख्त सत्ता हासिल करने और उसे बरकरार रखने की भाजपा की हताशा का प्रतिबिंब है। आज देश के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे खराब दिन है।
बीजेपी की कायरतापूर्ण हरकत
उन्होंने कहा कि संविधान और लोकतंत्र में विश्वास करने वाले सभी लोगों को आगे आना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के इस कृत्य की निंदा करनी चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि आने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारा जवाब मिले। बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी राजद ने भी महाराष्ट्र में इस राजनीतिक उलटफेर के लिए विपक्षी एकता के डर और केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से दिये धमकी को जिम्मेदार ठहराया। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने एक बयान जारी कर कहा कि अजित पवार के अलावा मंत्री पद की शपथ लेने वाले राकांपा विधायकों में से एक हसन मुश्रीफ के पास एक चीनी मिल है जिस पर हाल ही में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने छापा मारा था।
महागठबंधन नेताओं की प्रतिक्रिया
शिवानंद तिवारी ने यह भी कहा कि कुछ साल पहले भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए असफल प्रयास करने वाले अजित पवार की कार्रवाई आश्चर्यजनक नहीं है। तिवारी ने शपथ ग्रहण समारोह में प्रफुल्ल पटेल की उपस्थिति पर हैरानी व्यक्त की जिन्हें शरद पवार ने हाल ही में राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत किया था। उन्होंने कहा कि हमने सुना है कि पटेल को केंद्र में मंत्री के रूप में शामिल किया जा सकता है। तिवारी ने कहा कि विपक्षी एकता को लेकर भाजपा की चिंता, बेचैनी, और उसका विरोध करने वाली पार्टियों में इस तरह के और विभाजन को बढ़ावा दे सकती है। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी अपने अलग अंदाज में महाराष्ट्र में इस राजनीतिक उथल-पुथल के लिए पटना में विपक्ष की बैठक को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि 23 जून की बैठक में राहुल गांधी को विपक्ष के चेहरे के रूप में पेश करने की कोशिश की गई। इससे उस बैठक में हिस्सा लेने वाले दलों में भूचाल आ गया है। जदयू और राजद में भी भगदड़ की आशंका है।
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केसी त्यागी का बड़ा बयान
त्यागी ने कहा कि यह एक अनैतिक दलबदल है। सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी का ये कदम कायरतापूर्ण और शर्मनाक है जो हाल तक राकांपा को स्वाभाविक रूप से भ्रष्ट पार्टी बताकर उसे परेशान करता था। उन्होंने आशंका जतायी कि हमारे शीर्ष नेता नीतीश कुमार ने पिछले सप्ताह पटना में आयोजित बैठक में सीबीआई, ईडी और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की थी। इन एजेंसियों के डर का इस्तेमाल राकांपा विधायकों को पाला बदलने में किया गया होगा। हालांकि त्यागी ने यह भी कहा कि बीजेपी एकजुट विपक्ष को नहीं हरा सकती है इसलिए डर के कारण वह एजेंसियों के दुरुपयोग और पार्टियों में फूट पैदा करने वाले शॉर्ट कट के माध्यम से विपक्षी एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी सत्ता हासिल करने की फिराक में
गौरतलब है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार अपनी बेटी और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के साथ 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने के लिए पटना आए थे। रविवार को दिन में महाराष्ट्र में अचानक हुए राजनीतिक उलटफेर में पवार के भतीजे अजित, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए। शिंदे की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाए गए अजित ने राकांपा पर अपना दावा करते हुए यह भी कहा कि वह और उनके समर्थक इसी पार्टी के चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने भी राकांपा में टूट के लिए भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में राकांपा विधायकों की खरीद-फरोख्त सत्ता हासिल करने और उसे बरकरार रखने की भाजपा की हताशा का प्रतिबिंब है। आज देश के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे खराब दिन है।
बीजेपी की कायरतापूर्ण हरकत
उन्होंने कहा कि संविधान और लोकतंत्र में विश्वास करने वाले सभी लोगों को आगे आना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के इस कृत्य की निंदा करनी चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि आने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारा जवाब मिले। बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी राजद ने भी महाराष्ट्र में इस राजनीतिक उलटफेर के लिए विपक्षी एकता के डर और केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से दिये धमकी को जिम्मेदार ठहराया। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने एक बयान जारी कर कहा कि अजित पवार के अलावा मंत्री पद की शपथ लेने वाले राकांपा विधायकों में से एक हसन मुश्रीफ के पास एक चीनी मिल है जिस पर हाल ही में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने छापा मारा था।
महागठबंधन नेताओं की प्रतिक्रिया
शिवानंद तिवारी ने यह भी कहा कि कुछ साल पहले भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए असफल प्रयास करने वाले अजित पवार की कार्रवाई आश्चर्यजनक नहीं है। तिवारी ने शपथ ग्रहण समारोह में प्रफुल्ल पटेल की उपस्थिति पर हैरानी व्यक्त की जिन्हें शरद पवार ने हाल ही में राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत किया था। उन्होंने कहा कि हमने सुना है कि पटेल को केंद्र में मंत्री के रूप में शामिल किया जा सकता है। तिवारी ने कहा कि विपक्षी एकता को लेकर भाजपा की चिंता, बेचैनी, और उसका विरोध करने वाली पार्टियों में इस तरह के और विभाजन को बढ़ावा दे सकती है। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी अपने अलग अंदाज में महाराष्ट्र में इस राजनीतिक उथल-पुथल के लिए पटना में विपक्ष की बैठक को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि 23 जून की बैठक में राहुल गांधी को विपक्ष के चेहरे के रूप में पेश करने की कोशिश की गई। इससे उस बैठक में हिस्सा लेने वाले दलों में भूचाल आ गया है। जदयू और राजद में भी भगदड़ की आशंका है।
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