‘बिहार में जातीय गणना होनी चाहिए’ बीजेपी विधायक बोले- नीतीश कुमार की सोच अच्छी h3>
बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आर्थिक सर्वेक्षण का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगर आर्थिक सर्वेक्षण करा रहे हैं तो इससे समाज को भी लाभ होगा। उन्होंने कहा कि बिहार में स्वर्ण समाज की स्थिति काफी चिंताजनक हो गई है।
हाइलाइट्स
- बिहार में 5 हजार रुपये के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं सवर्ण युवा: ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू
- श्रवण समाज की महिलाओं पर आज भी बाहर काम करने पर बंदिशें नहीं कर सकती: ज्ञानू
- आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित: ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू
- बिहार में तेजी से पिछड़ रहा सवर्ण समाज, अब उनके पास 2 बीघा जमीन भी नहीं: BJP MLA
पटना: बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति आधारित जनगणना के साथ आर्थिक सर्वेक्षण कराए जाने का समर्थन किया है। उनका कहना है कि बिहार में सवर्णों की स्थिति भी चिंताजनक हो गई है। बिहार में सवर्ण गरीब हो गए हैं। लेकिन उनके लिए कोई आरक्षण नहीं है। इस वजह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सवर्णों की हितों की बात करते हुए कहा कि अगर जातिगत जनगणना के साथ आर्थिक सर्वेक्षण होता है तो इसका लाभ सवर्णों को भी मिल पाएगा। उन्होंने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में सीधे कहा कि बिहार में सवर्णों की स्थिति काफी चिंताजनक है। वह लगातार आर्थिक रूप से पिछड़े चले जा रहे हैं।
सवर्णों को भी मिलना चाहिए आर्थिक आधार पर लाभ: ज्ञानू
बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि सवर्णों को भी सरकार की तरफ से सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले जिन सवर्णों के पास 50 बीघा जमीन होती थी, अब उनके पास 2 कट्ठा जमीन भी मुश्किल हो गई है। खेती खत्म हो चुकी है। रोजगार के साधन उनके पास नहीं हैं। सरकार से उन्हें कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में बिहार के सवर्णों को भी आज आरक्षण की जरूरत है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आर्थिक सर्वेक्षण का समर्थन करते हुए उनकी सोच को सही बताया है।
सवर्णों की महिलाएं बाहर नहीं कर सकती काम: BJP MLA
ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि आपको समाज की मुश्किलों को समझना होगा। बिहार में आर्थिक सर्वेक्षण जरूरी है। इसका लाभ पूरे समाज को मिलेगा। उन्होंने मांग की है कि गरीब सवर्णों को भी राशन कार्ड के साथ गरीब और पिछड़ी जातियों को मिलने वाली तमाम सुविधाएं मिलनी चाहिए। इससे सवर्ण समाज के लोगों का आर्थिक विकास हो सके। ज्ञानू ने अपनी बात कहते हुए आगे कहा कि समाज की महिलाओं के साथ कई तरह की बाधाएं भी हैं। वह बाहर नौकरी नहीं कर सकती हैं। ऐसे में सवर्ण समाज के सामने काफी चुनौती है।
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उन्होंने अपनी बात आगे कहते हुए कहा कि आज समाज के युवा 5000 की नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। 5 हजार रुपये में किसी भी परिवार को चलाना मुश्किल है लेकिन आज उनकी स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि वो 5 हजार तक की नौकरी करने को मजबूर हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आर्थिक सर्वेक्षण का खुलकर समर्थन किया और कहा कि सवर्णों को आरक्षण दिया जाए, ताकि कम से कम सरकार की तरफ से उन्हें गरीबों को मिलने वाली सुविधाएं मिल सकें। ताकि स्वर्ण समाज के लोग अपने बच्चों को कम से कम ठीक से पढ़ा सकें।
समाज के आरक्षण की कोई नहीं करता बात: ज्ञानू
ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत के दौरान कहा कि आज स्वर्ण समाज को सभी राजनीतिक दलों ने आरक्षण से दूर कर दिया है। लेकिन इस समाज की स्थिति काफी चिंताजनक हो गई है। गांव में स्थिति यह है कि उनके पास खेत नहीं, जिससे वह खेती कर अपना जीवन चला सकें। वह मजदूरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन समाज में स्वर्ण समाज के लोगों को लेकर ऐसी धारणा है, जो मेहनत नहीं कर सकते हैं, लिहाजा उन्हें कहीं ढंग का काम भी नहीं मिल पाता है। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि अगर आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर उन्हें इसका लाभ मिलेगा तो यह तमाम सवर्णों के हित में होगा। उन्होंने सरकार से भी अपील की है कि सरकार सवर्णों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर उन्हें भी आरक्षण की श्रेणी में लाएं ताकि आर्थिक आधार पर उन्हें सरकार की तरफ से सहूलियत मिल सके।
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हाइलाइट्स
- बिहार में 5 हजार रुपये के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं सवर्ण युवा: ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू
- श्रवण समाज की महिलाओं पर आज भी बाहर काम करने पर बंदिशें नहीं कर सकती: ज्ञानू
- आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित: ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू
- बिहार में तेजी से पिछड़ रहा सवर्ण समाज, अब उनके पास 2 बीघा जमीन भी नहीं: BJP MLA
सवर्णों को भी मिलना चाहिए आर्थिक आधार पर लाभ: ज्ञानू
बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि सवर्णों को भी सरकार की तरफ से सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले जिन सवर्णों के पास 50 बीघा जमीन होती थी, अब उनके पास 2 कट्ठा जमीन भी मुश्किल हो गई है। खेती खत्म हो चुकी है। रोजगार के साधन उनके पास नहीं हैं। सरकार से उन्हें कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में बिहार के सवर्णों को भी आज आरक्षण की जरूरत है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आर्थिक सर्वेक्षण का समर्थन करते हुए उनकी सोच को सही बताया है।
सवर्णों की महिलाएं बाहर नहीं कर सकती काम: BJP MLA
ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि आपको समाज की मुश्किलों को समझना होगा। बिहार में आर्थिक सर्वेक्षण जरूरी है। इसका लाभ पूरे समाज को मिलेगा। उन्होंने मांग की है कि गरीब सवर्णों को भी राशन कार्ड के साथ गरीब और पिछड़ी जातियों को मिलने वाली तमाम सुविधाएं मिलनी चाहिए। इससे सवर्ण समाज के लोगों का आर्थिक विकास हो सके। ज्ञानू ने अपनी बात कहते हुए आगे कहा कि समाज की महिलाओं के साथ कई तरह की बाधाएं भी हैं। वह बाहर नौकरी नहीं कर सकती हैं। ऐसे में सवर्ण समाज के सामने काफी चुनौती है।
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उन्होंने अपनी बात आगे कहते हुए कहा कि आज समाज के युवा 5000 की नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। 5 हजार रुपये में किसी भी परिवार को चलाना मुश्किल है लेकिन आज उनकी स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि वो 5 हजार तक की नौकरी करने को मजबूर हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आर्थिक सर्वेक्षण का खुलकर समर्थन किया और कहा कि सवर्णों को आरक्षण दिया जाए, ताकि कम से कम सरकार की तरफ से उन्हें गरीबों को मिलने वाली सुविधाएं मिल सकें। ताकि स्वर्ण समाज के लोग अपने बच्चों को कम से कम ठीक से पढ़ा सकें।
समाज के आरक्षण की कोई नहीं करता बात: ज्ञानू
ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत के दौरान कहा कि आज स्वर्ण समाज को सभी राजनीतिक दलों ने आरक्षण से दूर कर दिया है। लेकिन इस समाज की स्थिति काफी चिंताजनक हो गई है। गांव में स्थिति यह है कि उनके पास खेत नहीं, जिससे वह खेती कर अपना जीवन चला सकें। वह मजदूरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन समाज में स्वर्ण समाज के लोगों को लेकर ऐसी धारणा है, जो मेहनत नहीं कर सकते हैं, लिहाजा उन्हें कहीं ढंग का काम भी नहीं मिल पाता है। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि अगर आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर उन्हें इसका लाभ मिलेगा तो यह तमाम सवर्णों के हित में होगा। उन्होंने सरकार से भी अपील की है कि सरकार सवर्णों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर उन्हें भी आरक्षण की श्रेणी में लाएं ताकि आर्थिक आधार पर उन्हें सरकार की तरफ से सहूलियत मिल सके।
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