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बिजली ऊर्जा विकास निगम: 250 करोड़ खर्च कर सीवरेज के पानी से बनी बिजली बेचेगी नेयवली, सरकार जो राशि चुकाएगी वो जनता से वसूली जाएगी – Bikaner News

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बिजली ऊर्जा विकास निगम:  250 करोड़ खर्च कर सीवरेज के पानी से बनी बिजली बेचेगी नेयवली, सरकार जो राशि चुकाएगी वो जनता से वसूली जाएगी – Bikaner News

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बिजली ऊर्जा विकास निगम: 250 करोड़ खर्च कर सीवरेज के पानी से बनी बिजली बेचेगी नेयवली, सरकार जो राशि चुकाएगी वो जनता से वसूली जाएगी – Bikaner News

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विकास का चक्र अजीब है। जनता काे एक बार ताे लगता है कि सरकार ने उनकी सुविधा के लिए कराेड़ाें रुपए खर्च किए मगर घुमाकर उसकी वसूली कैसे जनता से हाेती है इसका उदाहरण नगर निगम और नेयवली के बीच हाेने वाले एमओेयू से सामने आ रहा है। 250 कराेड़ रुपए खर्च कर न

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नेयवली ताे अपनी राशि की रिकवरी ऊर्जा विभाग से कर लेगी मगर वही ऊर्जा विकास निगम बिजली आम उपभाेक्ताओं काे देकर कराेड़ाें कमाएगी। यानी राशि की पूरी रिकवरी आमजन से ही हाेगी। सवाल यह है कि जब कंपनी बिजली बेचेगी तो उसे फ्री का पानी क्यों मिलना चाहिए। उसे मुफ्त पानी देने से आम जनता का क्या लाभ?

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दरअसल नगर निगम और नेयवली के बीच दो-चार दिन में एक एमओयू होने वाला है। इसके तहत नगर निगम सुजानदेसर ट्रीटमेंट प्लांट से करीब 20 एमएलडी पानी साफ करके नेयवली को देगी। नेयवली बिजली बनाने और खानों को ठंडा रखने में पानी का उपयोग करेगी। केन्द्र सरकार की गाइड लाइन के हिसाब से इसका खर्चा नेयवली को ही उठाना था। एक अनुमान के तहत उसमें 250 करोड़ रुपए खर्च आएगा। इतनी बड़ी राशि एक कंपनी यूं ही खर्च नहीं करेगी।

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नेयवली इस पानी से बनने वाली बिजली ऊर्जा विकास निगम को बेचेगी और ऊर्जा विकास निगम नेयवली को इसके बदले भुगतान करेगा। यानी नेयवली जितना इंवेस्टमेंट करेगी उसकी भरपाई तो बिजली बेचने से हो जाएगी मगर जब ऊर्जा विकास निगम ये बिजली आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाएगा तब उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना होगा। यानी नेयवली का लगाया हुआ पैसा ब्याज समेत आमजन से वसूला जाएगा। क्याेंकि नेयवली सरकार काे 3 से 6 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बेचता है।

कोयले को ठंडा करने के काम भी आएगा पानी

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बरसिंगसर में 971 हेक्टेयर में एक ओपन माइन है। यहां दो बिजली इकाइयां हैं, प्रत्येक 125 मेगावाट की है, जो कुल 250 मेगावाट बिजली पैदा करती हैं। खदान में 77 मिलियन टन कोयला भंडार है। यह खदान 77 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करती है। कोयले की खदानें गर्म होती हैं इसलिए इन्हें ठंडा करने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है। कई साल पहले केन्द्र सरकार ने एक आदेश जारी कर सभी बिजली परियाेजनाओं काे करीब की निकायाें से सीवरेज के ट्रीट पानी का उपयाेग करने का आदेश दिया था। बीकानेर में इसकी पालना अब हाेने वाली है।

बिजली भी जरूरी बढ़ती मांग काे देखते हुए इस वक्त बिजली हर व्यक्ति के लिए जरूरी हाे गई। इस पर ना सिर्फ इंडस्ट्री टिकी है बल्कि खेती-बाड़ी के साथ आम आदमी काे जरूरत है। कंपनियाें पर बिजली पैदा करने का दबाव है। एेसे में बिजली पैदा करने के लिए जितने भी तरीके हैं वाे आजमाए जा रहे हैं। उसी में सीवरेज का पानी भी यंत्र बन गया। यहां नेयवली के खर्चे से नागरिकों काे काेई लेना देना नहीं लेकिन सवाल सरकार से है कि नेयवली काे दिए जाने वाले पानी की कीमत सरकार क्याें नहीं वसूल करती।

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20+12 एमएलडी के दाे प्लांट हाेंगे

सुजानदेसर में आरयूआईडीपी ने 20 एमएलडी का प्लांट लगाया हुआ है। वहां अभी करीब 12 एमएलडी पानी का फिल्टर हाेता है लेकिन ये पानी कालीमाता सेंटर से सीवरेज नेटवर्क का पानी है। ब्राहमणाें के माेहल्ले में 16.5 एमएलडी और चांदमल बाग का 5.5 एमएलडी खुले में भेजा जा रहा है। खुले पानी का ताे अभी इलाज नहीं लेकिन अमृत-2 में आए 59 कराेड़ रुपए में से एक 12 एमएलडी का प्लांट और बनेगा। इस हिसाब से यहां 20+12 एमएलडी पानी साफ करके पहले ऑक्सीजन फर्म काे दिया जाएगा। बचा हुआ पानी नेयवली काे जाएगा।

“निगम और नेयवली के बीच एमओयू बनकर तैयार है। एक सप्ताह के बीच हम दाेनाें के बीच हस्ताक्षर हाे जाएंगे। निगम पाइप लाइन बिछाएगा। बाकी अन्य जरूरी काम भी करेगा लेकिन उसका वित्तीय भार नेयवली झेलेगी। निगम फिलहाल पानी की काेई कीमत नहीं ले रहा क्याेंकि इसमें सरकार की गाइड लाइन है।” -चिराग गाेयल, एक्सईएन नगर निगम

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