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बार-बार बदल रहे ठिकाने, जंगलों में छिपे पहलगाम के आतंकी: 113 गिरफ्तारियां, 20 लाख का इनाम, फिर भी NIA खाली हाथ; कौन बचा रहा

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बार-बार बदल रहे ठिकाने, जंगलों में छिपे पहलगाम के आतंकी:  113 गिरफ्तारियां, 20 लाख का इनाम, फिर भी NIA खाली हाथ; कौन बचा रहा

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बार-बार बदल रहे ठिकाने, जंगलों में छिपे पहलगाम के आतंकी: 113 गिरफ्तारियां, 20 लाख का इनाम, फिर भी NIA खाली हाथ; कौन बचा रहा

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22 अप्रैल, 2025, पहलगाम की बायसरन घाटी में जंगल की ओर से तीन आतंकी आए। धर्म पूछ-पूछकर करीब 15 मिनट तक टूरिस्ट को गोली मारते रहे। कुल 26 लोगों की हत्या की और वापस जंगलों में गायब हो गए। एक महीना हो गया, सिक्योरिटी फोर्स लगातार ऑपरेशन चला रही हैं, लेकि

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जांच में बस तीन नाम पता चले, आदिल, मूसा और अली। तीनों पर 20-20 लाख का इनाम रखा गया, 3 हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई, 113 लोग अरेस्ट किए गए, लेकिन आदिल, मूसा और अली का पता नहीं चला। उनकी लोकेशन तक ट्रेस नहीं हो पाई। जांच एजेंसियों को इसकी दो वजहें समझ आ रही हैं-

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1. आतंकी 2 या 3 ओवरग्राउंड वर्कर्स के ही कॉन्टैक्ट में हैं, वही उन्हें जरूरी सामान पहुंचा रहे हैं। इससे आतंकियों को ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है।

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2. आतंकी जंगल, गुफाओं या पहाड़ी इलाकों में बने हाइड आउट में छिपे हैं, क्योंकि घरों में बने हाइड आउट की खबर लीक होने का खतरा होता है।

दैनिक NEWS4SOCIALने जम्मू कश्मीर के रिटायर्ड DGP एसपी वैद्य, भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ रहे ए.एस. दुलत और सुरक्षा एजेंसियों में अपने सोर्सेज से बात की। उनसे जाना कि पहलगाम हमले की जांच कहां तक पहुंची, आतंकी अब तक क्यों नहीं पकड़े जा सके और जंगलों में उनकी पनाहगाह बने हाइड आउट कैसे होते हैं।

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जांच में अब तक क्या-क्या हुआ

एक महीने में 2 बार इनाम का ऐलान, आतंकियों के पोस्टर जारी

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सुरक्षा एजेंसियों ने पहलगाम हमले के अगले दिन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए थे। ये स्केच चश्मदीदों की मदद से बनाए गए थे।

बायसरन घाटी में हमले के बाद 22 अप्रैल की दोपहर पहलगाम पुलिस ने FIR दर्ज की थी। इसमें किसी आतंकी का नाम नहीं था। ये जरूर लिखा गया कि हमले के पीछे बॉर्डर पार यानी पाकिस्तान की साजिश है। इसके बाद अनंतनाग पुलिस ने 23 अप्रैल को एक पोस्टर जारी किया। इसमें लिखा था कि आतंकी हमले से जुड़ी जानकारी देने वाले को 20 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा।

जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से जारी पोस्टर। इसमें लिखा था कि आतंकियों की पुख्ता जानकारी देने वाले को इनाम दिया जाएगा।

अगले दिन 24 अप्रैल को अनंतनाग पुलिस ने 3 स्केच जारी किए। इसमें तीन आतंकियों के नाम थे, अनंतनाग का आदिल हुसैन ठोकर, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली उर्फ तल्हा भाई। तीनों की खबर देने वालों के लिए अलग से 20-20 लाख रुपए इनाम की घोषणा की गई। मूसा और अली पाकिस्तानी हैं। मूसा पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप में कमांडो रह चुका है।

स्केच के साथ एक फोटो भी जारी की गई। इसमें 4 आतंकी घने जंगल में राइफल लिए खड़े हैं। इनमें हाशिम मूसा और जुनैद अहमद भट्ट भी थे। जुनैद को सिक्योरिटी फोर्स ने दिसंबर, 2024 में दाचीगाम के जंगलों में मार गिराया था। उसी के मोबाइल से ये फोटो मिला था। जुनैद 20 अक्टूबर 2024 को सोनमर्ग में जेड मोड़ टनल पर हमले में शामिल था।

IG, DIG और SP रैंक के अफसर जांच कर रहे, 3 हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ हमले के अगले दिन 23 अप्रैल को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA की टीम स्पॉट पर पहुंच गई थी। गृह मंत्रालय के आदेश के बाद 27 अप्रैल से NIA ने ऑफिशियली ये केस अपने हाथ में ले लिया। NIA चीफ सदानंद दाते केस की लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

एजेंसी के IG, DIG और SP रैंक के तीन अधिकारी जांच में जुटे हैं। NIA की एक टीम अब भी पहलगाम और आसपास के एरिया में लगातार जांच कर रही है। अब तक 3 हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है। इनमें से कई लोगों को हर रोज पहलगाम पुलिस स्टेशन में हाजिरी देने के लिए बुलाया जा रहा है।

7 मई को NIA ने मैसेज जारी कर लोगों से अपील की थी कि वे पहलगाम अटैक से जुड़े नए फोटो, वीडियो या कोई भी सूचना दे सकते हैं। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए। हालांकि, NIA ने अनंतनाग पुलिस की तरफ से जारी आतंकियों के स्केच से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मांगी। न ही उनका नाम या उनके बारे में अलग से कोई जानकारी मांगी।

लोकल नेटवर्क के सपोर्ट से बच रहे आतंकी दैनिक NEWS4SOCIALने इस पर अपने सोर्स से बात की। उन्होंने बताया कि संदिग्ध आतंकियों के बारे में सीधे सूचना मिलना आसान नहीं है। इसमें कोई शक नहीं है कि आतंकियों को कश्मीर में लोकल नेटवर्क से सपोर्ट मिला है। इसलिए जरूरी है कि लोकल सपोर्ट से जुड़ा लिंक मिल जाए। इससे आतंकियों को ट्रेस करना आसान हो जाएगा।

दूसरी बात कि आखिर आतंकियों की फोटो या स्केच खुद NIA ने क्यों नहीं जारी किया, इसकी वजह बताई गई कि NIA एंटी टेरर एजेंसी है। हर केस में नए सिरे से जांच करती है। इसलिए वो अनंतनाग पुलिस की तरफ से मिले इनपुट और स्केच पर काम कर रही है। साथ ही हर पहलू की नए तरीके से जांच कर रही है। इसलिए अभी कोई स्केच जारी नहीं किया गया।

आतंकी अली को पीड़ित परिवारों ने पहचाना 13 मई को साउथ कश्मीर के पुलवामा, शोपियां, त्राल समेत कई इलाकों में पोस्टर लगाए गए। ये पोस्टर उर्दू में थे। इन पर दो हेल्पलाइन नंबर भी दिए गए। एक नंबर आर्मी और दूसरा नंबर जम्मू कश्मीर पुलिस की तरफ से दिया गया।

इस पोस्टर में वही फोटो दिया गया, जो दिसंबर 2024 में आतंकी जुनैद अहमद के फोन से मिला था। फोटो में जुनैद और हाशिम मूसा साथ खड़े हैं। जुनैद मारा जा चुका है, इसलिए पोस्टर से उसकी फोटो हटा दी गई।

सूत्र बताते हैं, ‘बायसरन घाटी में हमले के चश्मदीदों ने आतंकी अली उर्फ तल्हा की पहचान की है। उसके बारे में बहुत कम जानकारी है।’

दैनिक NEWS4SOCIALने कुछ पीड़ित परिवारों से बात की। उन्होंने अली को करीब से देखने की पुष्टि की है। सुरक्षा कारणों से हम इन परिवारों की पहचान उजागर नहीं कर रहे हैं।

रात में लोकेशन बदल रहे आतंकी जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने दैनिक NEWS4SOCIALको बताया कि आतंकी लगातार घने जंगल, पहाड़ों और गुफाओं में बने हाइड आउट में छिप रहे हैं। वे रात में लोकेशन बदल रहे हैं। आतंकियों की मदद सिर्फ 2 से 3 ओवर ग्राउंड वर्कर ही कर रहे हैं। ये उनके बेहद करीबी हैं।

यही ओवर ग्राउंड वर्कर दूसरे नेटवर्क के जरिए आतंकियों की मदद कर रहे हैं। आशंका इस बात की भी है कि बायसरन घाटी में अटैक करने वाले आतंकी पिछले कई महीनों से कश्मीर में किसी से सीधे कॉन्टैक्ट में नहीं थे। सिर्फ वही खास 2-3 लोकल ओवर ग्राउंड वर्कर के संपर्क में रहे हैं। इसलिए उनके बारे में सटीक सूचना मिलने में दिक्कत हो रही है।

इसी नेटवर्क की तलाश में जांच एजेंसियां 3 हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। शक के आधार पर एक महीने में अब तक कुल 113 लोगों को गिरफ्तार कर PSA यानी पब्लिक सेफ्टी एक्ट में जेल भेज चुकी हैं।

PSA में अरेस्ट लोग इस बार दूसरे राज्यों में नहीं भेजे आमतौर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस पब्लिक सेफ्टी एक्ट में अरेस्ट आरोपियों को जम्मू-कश्मीर से बाहर दूसरे राज्यों की जेल में शिफ्ट कर देती थी। इस बार उन्हें जम्मू-कश्मीर की अलग-अलग जेलों में बंद रखा गया है, ताकि इनकी निगरानी के साथ जरूरत पड़ने पर आसानी से पूछताछ की जा सके।

NIA की टीम और लोकल पुलिस बायसरन घाटी में काम करने वाले लोगों पर अब भी नजर बनाए हुए है। जिप लाइन ऑपरेटर मुज्जमिल को रोज थाने में हाजिरी देनी होती है। इसी तरह घोड़े वाले और फोटोग्राफरों से भी पूछताछ चल रही है।

ये वीडियो गुजरात के टूरिस्ट ऋषि भट्ट ने मोबाइल से शूट किया था। पीछे दिख रखा शख्स मुजम्मिल है। फायरिंग होते ही उसने तीन बार अल्लाह-हू-अकबर कहा था। पुलिस उससे पूछताछ कर चुकी है।

जांच एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस से जुड़े सोर्सेज ने दैनिक NEWS4SOCIALको बताया कि पिछले दिनों सटीक सूचनाएं मिलीं हैं। इनकी मदद से 13 मई को शोपियां और 15 मई को त्राल में ऑपरेशन चलाए गए। पहले शोपियां के केलर में लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन TRF के 3 आतंकी मारे गए।

उसके 48 घंटे के भीतर ही जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े 3 आतंकियों को मार गिराया गया। उम्मीद है कि जल्द ही पहलगाम में अटैक करने वाले आतंकियों की भी सटीक सूचना मिल सकती है।

रॉ के पूर्व चीफ बोले- लोकल कश्मीरियों से ही मिलेगा सुराग दैनिक NEWS4SOCIALने भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ के चीफ रहे एएस दुलत से बात की। उनसे जाना कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकी कैसे इतने दिनों से छिपे हुए हैं, उनके बारे में पुख्ता सूचना कैसे मिल सकती है?

एएस दुलत कहते हैं, ‘जो इंटेलिजेंस लोकल कश्मीरियों से मिल सकता है, वो दूसरी एजेंसी आसानी से नहीं कर सकती। मेरा मानना है कि उनसे ही आतंकियों और उन्हें सपोर्ट करने वाले नेटवर्क के बारे में सटीक जानकारी मिल सकती है। ये इतना आसान नहीं है। इसके लिए कश्मीर के लोगों का भरोसा जीतना पड़ेगा।’

पूर्व DGP बोले- घेरकर एनकाउंटर करना आसान, इसलिए सिविलियंस की मदद जरूरी

दैनिक NEWS4SOCIALने जम्मू कश्मीर के पूर्व DGP एसपी वैद्य से बात की। पढ़िए पूरी बातचीत…

सवाल: पहलगाम अटैक के बाद आतंकी कैसे चकमा दे रहे हैं? जवाब: हमारी जांच एजेंसियां और पुलिस आतंकियों को ट्रेस करने में सक्षम हैं। वो काम कर रही हैं। मेरा मानना है कि पहलगाम अटैक के बाद आतंकियों के पहाड़ी और जंगली एरिया में ही छिपे होने की आशंका ज्यादा है। हालांकि, मैं जांच से जुड़ा नहीं हूं, इसलिए अपने अनुभव से अंदाजा ही लगा सकता हूं।

सवाल: आतंकी कहां छिपे हो सकते हैं? जवाब: मुझे लगता है कि अटैक के बाद भागे आतंकी किसी घर में बने हाइड आउट में छिपने की कोशिश नहीं करेंगे। वहां से सूचनाएं लीक होने का खतरा रहता है। ये भी है कि जंगल, पहाड़ों या फिर गुफाओं में वे ज्यादा दिनों तक बिना खाने के नहीं रह सकते।

उन्हें किसी न किसी सपोर्ट से खाना और जरूरी सामान जरूर मिल रहा होगा। ऐसे में किसी रिमोट एरिया के गांव, पहाड़ों या गुफाओं वाली जगह पर उनके होने की संभावना हो सकती है।

ओवर ग्राउंड वर्कर नेटवर्क और इनका स्लीपर सेल बेहद अहम है। इनकी वजह से ही ये अब तक बचे हुए हैं। इसी नेटवर्क को हमें पहले भेदना है। ये काफी चैलेंजिंग है। उम्मीद है हम इसमें कामयाब होंगे।

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सवाल: आप अभी पुलिस चीफ होते, तो क्या एक्शन लेते? जवाब: मैं साउथ कश्मीर के पहलगाम, त्राल, शोपियां, पुलवामा के आसपास के पहाड़ी इलाकों में सिविलियन इंटेलिजेंस को ज्यादा मजबूत करता। हमारी लॉन्ग रेंज पेट्रोलिंग का इस्तेमाल करता। असल में इन आतंकियों के बारे में खबर निकालना ही सबसे ज्यादा जरूरी होता है।

इसके लिए भेड़-बकरी चराने वालों की मदद बेहद जरूरी है। वे ऐसी जगह पहुंच जाते हैं, जहां कई बार आर्मी या दूसरी इंटेलिजेंस एजेंसी नहीं पहुंच पातीं।

पिछले दिनों शोपियां के पहाड़ी और त्राल के रिहायशी इलाके में तीन-तीन आतंकियों के इनपुट मिलने से मुझे लगता है कि जल्द ही इनके बारे में भी सटीक जानकारी मिल सकती है। एजेंसियां और पुलिस फोर्स जुटीं होंगी। मेरा मानना है कि घेरकर एनकाउंटर में मारना मुश्किल काम नहीं है। इसलिए सूचना जुटाने के लिए लोकल लोगों की मदद लेना जरूरी है।

पहाड़ों, गुफाओं और अंडर ग्राउंड हाइड आउट में आतंकियों का ठिकाना बातचीत में पूर्व DGP एसपी वैद्य ने हाइड आउट का जिक्र किया। दैनिक NEWS4SOCIALने इसकी पड़ताल की। पता चला कि आतंकियों के लिए घने जंगल और पहाड़ी एरिया सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं। वे घनी झाड़ियों के बीच बनी गुफाओं या हाथों से बनाई गई अंडर ग्राउंड गुफा में छिपते हैं।

त्राल के घने जंगलों में कई जगह नेचुरल हाइड आउट हैं। इसके अलावा आतंकी लोकल नेटवर्क के जरिए पहले ही हाइड आउट तैयार करा लेते हैं। जंगल में जहां कोई एक्टिविटी नहीं रहती, वहां झाड़ियों की आड़ में जमीन खोदकर रहने की जगह बनाई जाती है। फिर उसके ऊपर घास वाली मिट्टी डालकर बराबर कर देते हैं। ऊपर से देखकर कोई नहीं समझ सकता है कि उस जगह आतंकियों का ठिकाना भी हो सकता है।

दैनिक NEWS4SOCIALकी टीम त्राल के पहाड़ों में कुछ जगहों पर पहुंची। यहां आतंकियों के कुछ पुराने हाइड आउट देखे। कुलगाम के तंगमर्ग की पहाड़ियों में पेड़ के नीचे खुदाई कर हाइड आउट बनाया गया था। इसमें खाना बनाने का सामान और गैस सिलेंडर भी मिला था।

इसी तरह त्राल के जंगल में सूखी झाड़ियों के नीचे आतंकियों ने हाइड आउट बनाया था। इसका पता चलने पर ब्लास्ट कर उसे खत्म कर दिया गया। साउथ कश्मीर के चिंगम एरिया में एक घर की अलमारी के पीछे हाइड आउट मिला था। इसी घर में 4 आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी।

इसके अलावा बडगाम, पुलवामा, किश्तवाड़, श्रीनगर, बारामुला और राजौरी के पहाड़ी इलाकों में भी हाइड आउट मिल चुके हैं। ज्यादातर पहाड़ों की आड़ में या फिर घने जंगल में जमीन खोदकर बनाए गए थे। इनके बारे में लोकल नेटवर्क के जरिए ही सूचना मिल पाती है। इसलिए पहलगाम अटैक के बाद भी यही माना जा रहा है कि लोकल नेटवर्क से आतंकियों की सटीक सूचना मिल सकेगी।

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पहलगाम अटैक से जुड़ी ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए…

1. 26 टूरिस्ट का कत्ल करने वाला आदिल कैसे बना आतंकी,साइंस और उर्दू में डिग्री

पहलगाम से करीब 55 किमी दूर अनंतनाग के गुरी गांव में आदिल का घर है। कभी बच्चों को पढ़ाने वाला आदिल अब 20 लाख का इनामी आतंकी है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक वो पहलगाम हमले में शामिल था। हमले के बाद पुलिस और सेना आदिल के घर पहुंची थीं। इसी दौरान ब्लास्ट में आदिल का घर तबाह हो गया। पढ़िए पूरी खबर…

2. नाम पूछकर हिंदुओं को गोली मारी, कौन है पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाला TRF

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी विंग द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। आतंकियों ने टूरिस्ट से नाम पूछने के बाद उन्हें गोली मारी। ये हमला बीते 6 साल में कश्मीर में सबसे बड़ा टेररिस्ट अटैक है। इससे पहले पुलवामा में आतंकियों के हमले में 40 जवानों की मौत हुई थी। TRF का सुप्रीम कमांडर शेख सज्जाद गुल है। श्रीनगर में पैदा हुआ शेख सज्जाद अभी पाकिस्तान में है। पढ़ें पूरी खबर..

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