बापू की विरासत पर चला बुलडोजर, सर्व सेवा संघ को ध्वस्त करने का विरोध कर रहे लोग हिरासत में
वाराणसी: वाराणसी के राजघाट स्थित महात्मा गांधी और आचार्य विनोवा भावे की विरासत सर्व सेवा संघ भवन पर शनिवार को आखिरकार बुलडोजर चल ही गया। छह जेसीबी और पोकलेन के जरिए दिनभर में संघ भवन परिसर में बने ज्यादातर भवनों को ध्वस्त कर दिया गया। ध्वस्तीकरण कार्रवाई का विरोध करने पहुंचे सर्व सेवा संघ के संयोजक रामधीरज समेत दर्जनभर लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन भेज दिया गया। परिसर में एक डाकघर भी है। इसे गिराने के लिए रविवार तक मोहलत दी गई है। डाकघर का सामान शिफ्ट किया जा रहा है।
जमीन है रेलवे की
सर्व सेवा संघ परिसर की करीब 13 एकड़ जमीन पर बने छोट-बड़े 50 से ज्यादा भवनों को बीते महीने यानी जुलाई माह में जिला प्रशासन ने खाली कराने के बाद उत्तर रेलवे को कब्जा दे दिया था। इसे बचाने के लिए गांधीजन और समाजसेवी तीन महीने से आंदोलनरत रहे। दो दिन पहले ही सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए आयोजित जन प्रतिरोध सभा में किसान नेता राकेश टिकैत, मेधा पाटकर और योगेंद्र यादव भी पहुंचे थे। शनिवार सुबह करीब 8 बजे उत्तर रेलवे, जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारी भारी फोर्स और बुलडोजर के साथ सर्व सेवा संघ परिसर पहुंचे। पूरे एरिया को घेर लिया गया।
ध्वस्तीकरण कार्रवाई शुरू किए जाने की जानकारी मिलने पर वहां पहुंचे गांधीवादियों ने मुख्य द्वार के पास विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। आक्रोशित गांधीवादी सड़क पर लेट गए। नोकझोंक के बाद पुलिस ने विरोध कर रहे रामधीरज,नंदलाल मास्टर, जागृति राही, डॉ. अनूप श्रमिक, तारकेश्वर, अनूप आचार्य समेत दर्जनभर लोगों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद सुबह 10 बजे से बुलडोजर गरजने लगा। दिनभर चली ध्वस्तीकरण कार्रवाई से कभी हरियाली के बीच खूबसूरत दिखने वाला सर्व सेवा संघ परिसर खंडहर में तब्दील नजर आया।
मालिकाना हक का विवाद
सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीन के मालिकाना हक का विवाद चल रहा था। मामला हाई कोर्ट पहुंचा था। हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने मामले की सुनवाई के बाद उत्तर रेलवे के हक में फैसला सुनाया। सर्व सेवा संघ के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी के आदेश को पहले हाई कोर्ट और फिर सु्प्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन निराशा हाथ लगी। राहत की याचिकाएं खारिज होने के बाद वाराणसी के सिविल जज की अदालत में वाद दाखिल किया गया, जिसकी सुनवाई चल रही है। इस बीच, जिला प्रशासन ने पहले परिसर के भवनों को खाली कराया और अब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की।
1948 में हुई थी स्थापना
गांधी के विचार के राष्ट्रीय संगठन सर्व सेवा संघ की स्थापना 1948 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई थी। विनोबा भावे की पहल पर सर्व सेवा संघ भवन के लिए 1960,1961 एवं 1970 में रेलवे से जमीन खरीदी गई थी। डिवीजनल इंजीनियर नार्दन रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड होने के बाद भी जमीन पर संघ का अवैध कब्जा बताया गया। ध्वस्तीकरण के बाद अब सर्व सेवा संघ परिसर की जमीन पर काशी रेलवे स्टेशन के विस्तार के साथ देश के परिवहन संगम की परियोजना आकार लेगी।
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जमीन है रेलवे की
सर्व सेवा संघ परिसर की करीब 13 एकड़ जमीन पर बने छोट-बड़े 50 से ज्यादा भवनों को बीते महीने यानी जुलाई माह में जिला प्रशासन ने खाली कराने के बाद उत्तर रेलवे को कब्जा दे दिया था। इसे बचाने के लिए गांधीजन और समाजसेवी तीन महीने से आंदोलनरत रहे। दो दिन पहले ही सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए आयोजित जन प्रतिरोध सभा में किसान नेता राकेश टिकैत, मेधा पाटकर और योगेंद्र यादव भी पहुंचे थे। शनिवार सुबह करीब 8 बजे उत्तर रेलवे, जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारी भारी फोर्स और बुलडोजर के साथ सर्व सेवा संघ परिसर पहुंचे। पूरे एरिया को घेर लिया गया।
ध्वस्तीकरण कार्रवाई शुरू किए जाने की जानकारी मिलने पर वहां पहुंचे गांधीवादियों ने मुख्य द्वार के पास विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। आक्रोशित गांधीवादी सड़क पर लेट गए। नोकझोंक के बाद पुलिस ने विरोध कर रहे रामधीरज,नंदलाल मास्टर, जागृति राही, डॉ. अनूप श्रमिक, तारकेश्वर, अनूप आचार्य समेत दर्जनभर लोगों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद सुबह 10 बजे से बुलडोजर गरजने लगा। दिनभर चली ध्वस्तीकरण कार्रवाई से कभी हरियाली के बीच खूबसूरत दिखने वाला सर्व सेवा संघ परिसर खंडहर में तब्दील नजर आया।
मालिकाना हक का विवाद
सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीन के मालिकाना हक का विवाद चल रहा था। मामला हाई कोर्ट पहुंचा था। हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने मामले की सुनवाई के बाद उत्तर रेलवे के हक में फैसला सुनाया। सर्व सेवा संघ के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी के आदेश को पहले हाई कोर्ट और फिर सु्प्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन निराशा हाथ लगी। राहत की याचिकाएं खारिज होने के बाद वाराणसी के सिविल जज की अदालत में वाद दाखिल किया गया, जिसकी सुनवाई चल रही है। इस बीच, जिला प्रशासन ने पहले परिसर के भवनों को खाली कराया और अब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की।
1948 में हुई थी स्थापना
गांधी के विचार के राष्ट्रीय संगठन सर्व सेवा संघ की स्थापना 1948 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई थी। विनोबा भावे की पहल पर सर्व सेवा संघ भवन के लिए 1960,1961 एवं 1970 में रेलवे से जमीन खरीदी गई थी। डिवीजनल इंजीनियर नार्दन रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड होने के बाद भी जमीन पर संघ का अवैध कब्जा बताया गया। ध्वस्तीकरण के बाद अब सर्व सेवा संघ परिसर की जमीन पर काशी रेलवे स्टेशन के विस्तार के साथ देश के परिवहन संगम की परियोजना आकार लेगी।