बाढ़ लाने वाली 55 नये संवेदनशील स्थलों की हुई पहचान
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पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। राज्य सरकार ने बाढ़ लाने वाली संभावित स्थलों की पहचान की है। ऐसे 55 नये संवेदनशील स्थलों को चिह्नित किया गया है। इन्हें मानसून के पहले दुरुस्त कर लेना है। जल संसाधन विभाग ने इसकी कार्ययोजना तैयार की है। बाढ़ नियंत्रण परियोजना के तहत इनका क्रियान्वयन होगा।
जल संसाधन विभाग की इस योजना के लिए राज्य सरकार ने 398 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। इस राशि से गंगा, गंडक, कोसी, बूढ़ी गंडक, महानंदा, बागमती, कमला नदियों के संवेदनशील स्थलों को मजबूत बनाया जाएगा। इन नदियों में कई ऐसे स्थान हैं जो बेहद संवेदनशील माने जा रहे हैं। यदि इन्हे दुरुस्त नहीं किया गया तो बाढ़ अवधि में ये खतरनाक हो सकते हैं।
इस योजना के तहत पुरानी बागमती नदी के बायां तटबंध के 16वें किलोमीटर से 20वें किलोमीटर के बीच तटबंध का उच्चीकरण किया जाना है, ताकि बाढ़ का पानी इसके ऊपर से न बहे। इसके अलावा इनका पक्कीकरण भी किया जाना है ताकि इसे वैकल्पिक सड़क मार्ग के रूप में विकसित किया जा सके। साथ बी बाढ़ के दौरान कटाव मरम्मत सामग्री समय पर संबंधित स्थलों तक पहुंचाया जा सके।
इसके अलावा बूढ़ी गंडक बायां तटबंध, कमला बांया व दायां तटबंध, महानंदा दायां तटबंध का उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण, पक्कीकरण और कालीकरण किया जाना है। ये सारे कार्य 15 मई तक पूरे कर लेने हैं। बिहार में 1 जून से बाढ़ अवधि शुरू हो जाती है, लिहाजा उसके पहले सारे संवेदनशील स्थलों को दुरुस्त कर लेने की योजना है।
पहले चरण में 330 करोड़ की 75 योजनाओं पर लग चुकी है मुहर
इसके पहले 330 करोड़ की 75 योजनाओं पर मुहर लग चुकी है। इन संवेदनशील स्थलों को 15 मई के पहले दुरूस्त कर लेना है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इनका कार्यारंभ किया था। यही नहीं विभाग ने बाढ़ से बचाव के लिए 15 बड़ी योजनाओं का अलग से चयन किया है। बिहार राज्य बाढ़ नियंत्रण पर्षद की तकनीकी सलाहकार समिति की 212 वीं बैठक में इन योजनाओं पर सहमति दी गयी है।
वर्ष 2023 में 297 तो 2022 में 334 संवेदनशील स्थल थे:
पिछले वर्ष विभाग ने प्रदेश में 297 जबकि नेपाल में 23 संवेदनशील स्थलों को चिह्नित किया था। इन स्थलों को फूलप्रूफ बनाने पर 1120 करोड़ रुपए खर्च किये गये थे। इसके पहले वर्ष 2022 में 334 संवेदनशील स्थलों की पहचान की थी। इस पर 892 करोड़ खर्च हुए थे।
‘बाढ़ अवधि शुरू होने के पहले हम सारे संवेदनशील स्थलों को दुरुस्त कर लेंगे। इसकी कार्ययोजना बनाकर काम शुरू हो गया है।
– विजय कुमार चौधरी, जल संसाधन मंत्री
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। राज्य सरकार ने बाढ़ लाने वाली संभावित स्थलों की पहचान की है। ऐसे 55 नये संवेदनशील स्थलों को चिह्नित किया गया है। इन्हें मानसून के पहले दुरुस्त कर लेना है। जल संसाधन विभाग ने इसकी कार्ययोजना तैयार की है। बाढ़ नियंत्रण परियोजना के तहत इनका क्रियान्वयन होगा।
जल संसाधन विभाग की इस योजना के लिए राज्य सरकार ने 398 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। इस राशि से गंगा, गंडक, कोसी, बूढ़ी गंडक, महानंदा, बागमती, कमला नदियों के संवेदनशील स्थलों को मजबूत बनाया जाएगा। इन नदियों में कई ऐसे स्थान हैं जो बेहद संवेदनशील माने जा रहे हैं। यदि इन्हे दुरुस्त नहीं किया गया तो बाढ़ अवधि में ये खतरनाक हो सकते हैं।
इस योजना के तहत पुरानी बागमती नदी के बायां तटबंध के 16वें किलोमीटर से 20वें किलोमीटर के बीच तटबंध का उच्चीकरण किया जाना है, ताकि बाढ़ का पानी इसके ऊपर से न बहे। इसके अलावा इनका पक्कीकरण भी किया जाना है ताकि इसे वैकल्पिक सड़क मार्ग के रूप में विकसित किया जा सके। साथ बी बाढ़ के दौरान कटाव मरम्मत सामग्री समय पर संबंधित स्थलों तक पहुंचाया जा सके।
इसके अलावा बूढ़ी गंडक बायां तटबंध, कमला बांया व दायां तटबंध, महानंदा दायां तटबंध का उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण, पक्कीकरण और कालीकरण किया जाना है। ये सारे कार्य 15 मई तक पूरे कर लेने हैं। बिहार में 1 जून से बाढ़ अवधि शुरू हो जाती है, लिहाजा उसके पहले सारे संवेदनशील स्थलों को दुरुस्त कर लेने की योजना है।
पहले चरण में 330 करोड़ की 75 योजनाओं पर लग चुकी है मुहर
इसके पहले 330 करोड़ की 75 योजनाओं पर मुहर लग चुकी है। इन संवेदनशील स्थलों को 15 मई के पहले दुरूस्त कर लेना है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इनका कार्यारंभ किया था। यही नहीं विभाग ने बाढ़ से बचाव के लिए 15 बड़ी योजनाओं का अलग से चयन किया है। बिहार राज्य बाढ़ नियंत्रण पर्षद की तकनीकी सलाहकार समिति की 212 वीं बैठक में इन योजनाओं पर सहमति दी गयी है।
वर्ष 2023 में 297 तो 2022 में 334 संवेदनशील स्थल थे:
पिछले वर्ष विभाग ने प्रदेश में 297 जबकि नेपाल में 23 संवेदनशील स्थलों को चिह्नित किया था। इन स्थलों को फूलप्रूफ बनाने पर 1120 करोड़ रुपए खर्च किये गये थे। इसके पहले वर्ष 2022 में 334 संवेदनशील स्थलों की पहचान की थी। इस पर 892 करोड़ खर्च हुए थे।
‘बाढ़ अवधि शुरू होने के पहले हम सारे संवेदनशील स्थलों को दुरुस्त कर लेंगे। इसकी कार्ययोजना बनाकर काम शुरू हो गया है।
– विजय कुमार चौधरी, जल संसाधन मंत्री
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