बाज़ार-बाज़ार NCERT की किताबें ढूंढ रहे हैं पैरंट्स, जानें कब तक मिल पाएंगी किताबें
दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के प्रेजिडेंट आरसी जैन कहते हैं, एनसीईआरटी की किताबों की कमी हर साल रहती है। दरअसल, एनसीईआरटी छोटी क्लासेज में किताबें स्टूडेंट्स की संख्या के हिसाब से छापता ही नहीं क्योंकि उसके पास प्राइवेट स्कूलों का सही डेटा ही नहीं है। सरकारी स्कूलों का पूरा डेटा उसके पास है। क्लास 9 से 12वीं का डेटा उसे सीबीएसई से मिल जाता है, तो वहां ज्यादा दिक्कत नहीं आती। दूसरी परेशानी यह है कि जिन एजेंसी को एनसीईआरटी किताबें बेचने के लिए देता है, वो भी चुनिंदा वेंडर्स तक पहुंचती है। साथ ही, कई वेंडर्स इन किताबों को दबाकर भी रखते हैं, ताकि बाद में महंगे में इन्हें बेच सकें। इन सभी दिक्कतों की वजह से कई प्राइवेट स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें लगाने के लिए मजबूर हैं। जैन कहते हैं, एनसीईआरटी को करिकुलम पर ही फोकस करना चाहिए, जबकि किताबें पब्लिश करने के लिए दूसरी एजेंसी होनी चाहिए, जो सालभर इस पर काम करे।
रोहिणी के माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा कहती हैं, छोटी क्लासेज में इस बार एनसीईटारटी नई किताबें ‘जादुई पिटारा’ नाम से ला रही है, जो कि खेल खेल में सीखने पर आधारित हैं। इनकी किताबें आना बाकी हैं, बाकी क्लासेज में किताबों की कमी की शिकायत हमें नहीं मिली है।
‘अगले हफ्ते आएंगी 1.5 करोड़ किताबें’
एनसीईआरटी के चीफ बिजनेस मैनेजर विपिन दीवान कहते हैं, किताबों का बड़ा लॉट पहले ही बाजार में पहुंच चुका है। हालांकि, किताबों की अभी कुछ कमी है। हमारे सर्वर की तकनीकी दिक्कत की वजह से कुछ देरी हुई है, डिमांड के हिसाब सप्लाई कुछ कम है। हालांकि, जल्द ही सभी क्लासेज की किताबें बाजार में होंगे और पैरंट्स तक पहुंचेंगी। अगले हफ्ते सभी क्लासों की 1.5 करोड़ किताबें मार्केट में होंगी। क्लास 1 और 2 की किताबों के लिए वह बताते हैं कि ये किताबें भी जल्द से जल्द बाजार में पहुंच रही है।