बाज़ार-बाज़ार NCERT की किताबें ढूंढ रहे हैं पैरंट्स, जानें कब तक मिल पाएंगी किताबें

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बाज़ार-बाज़ार NCERT की किताबें ढूंढ रहे हैं पैरंट्स, जानें कब तक मिल पाएंगी किताबें

बाज़ार-बाज़ार NCERT की किताबें ढूंढ रहे हैं पैरंट्स, जानें कब तक मिल पाएंगी किताबें

नई दिल्लीः दिल्ली में एनसीईआरटी (नैशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) किताबों की कमी नजर आ रही है। पैरंट्स को अपने बच्चों को किताबों के लिए एक दुकान से दूसरी दुकान में भटकना पड़ रहा है। अप्रैल से अकैडमिक सेशन की शुरुआत हो चुकी है, मगर किताबें कई दुकानों से गायब है। क्लास 1 और क्लास 2 की किताबें छपकर ही नहीं आई हैं। इस दिक्कत पर एनसीईआरटी का कहना है कि किताबों की कमी है, मगर जल्द ही सारी किताबें बाजार में आ जाएंगी। अगले हफ्ते सभी क्लासों की 1.5 करोड़ किताबें बाजार में आ रही हैं।पांडव नगर में रहने वालीं एक अभिभावक शिवानी कंडारी बताती हैं, मेरी बेटी की क्लास-2 की एनसीईआरटी की किताब अभी मार्केट में नहीं है। स्कूल ने जो दुकान बताई है, वो भी अगले हफ्ते की बात कर रहा है। बच्ची अभी एक्टिविटी बुक से ही पढ़ रही है। हम रोज दुकानदार को कॉल कर पूछते हैं। एनसीईआरटी को जब पता है कि सेशन अप्रैल शुरुआत से शुरू हो जाता है, तो किताबें तो मार्च में ही बाजार में होनी चाहिए। नई क्लास में बेटी खुश है, तो रोज पूछती है नई किताबें कब आएंगी? वेस्ट दिल्ली में रहने वाले अभिभावक वीरेंद्र बताते हैं, मैं अपने बेटे के लिए क्लास 10 की तीन किताबें पिछले दो हफ्ते से ढूंढ रहा हूं मगर वो कहीं नहीं मिल रही हैं। मैंने दो दिन पहले दरियागंज जाकर एक-एक दुकान में इन तीन किताबों के लिए पूछा मगर नहीं मिली। दुकानदारों ने बताया कि इनकी कमी चल रही है। एक दुकानदार से नंबर लेकर आया हूं, उसने कहा है कि जब आएगी तो वो बता देगा। मगर इतनी देरी से बच्चा परेशान है, पढ़ाई तो पहले ही शुरू हो चुकी है।

‘स्कूलों में चल रहा किताबों, यूनिफॉर्म और स्टेशनरी का बिजनेस’, बढ़ी फीस से परेशान पैरंट्स की एक और शिकायत
दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के प्रेजिडेंट आरसी जैन कहते हैं, एनसीईआरटी की किताबों की कमी हर साल रहती है। दरअसल, एनसीईआरटी छोटी क्लासेज में किताबें स्टूडेंट्स की संख्या के हिसाब से छापता ही नहीं क्योंकि उसके पास प्राइवेट स्कूलों का सही डेटा ही नहीं है। सरकारी स्कूलों का पूरा डेटा उसके पास है। क्लास 9 से 12वीं का डेटा उसे सीबीएसई से मिल जाता है, तो वहां ज्यादा दिक्कत नहीं आती। दूसरी परेशानी यह है कि जिन एजेंसी को एनसीईआरटी किताबें बेचने के लिए देता है, वो भी चुनिंदा वेंडर्स तक पहुंचती है। साथ ही, कई वेंडर्स इन किताबों को दबाकर भी रखते हैं, ताकि बाद में महंगे में इन्हें बेच सकें। इन सभी दिक्कतों की वजह से कई प्राइवेट स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें लगाने के लिए मजबूर हैं। जैन कहते हैं, एनसीईआरटी को करिकुलम पर ही फोकस करना चाहिए, जबकि किताबें पब्लिश करने के लिए दूसरी एजेंसी होनी चाहिए, जो सालभर इस पर काम करे।

रोहिणी के माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा कहती हैं, छोटी क्लासेज में इस बार एनसीईटारटी नई किताबें ‘जादुई पिटारा’ नाम से ला रही है, जो कि खेल खेल में सीखने पर आधारित हैं। इनकी किताबें आना बाकी हैं, बाकी क्लासेज में किताबों की कमी की शिकायत हमें नहीं मिली है।

‘अगले हफ्ते आएंगी 1.5 करोड़ किताबें’

एनसीईआरटी के चीफ बिजनेस मैनेजर विपिन दीवान कहते हैं, किताबों का बड़ा लॉट पहले ही बाजार में पहुंच चुका है। हालांकि, किताबों की अभी कुछ कमी है। हमारे सर्वर की तकनीकी दिक्कत की वजह से कुछ देरी हुई है, डिमांड के हिसाब सप्लाई कुछ कम है। हालांकि, जल्द ही सभी क्लासेज की किताबें बाजार में होंगे और पैरंट्स तक पहुंचेंगी। अगले हफ्ते सभी क्लासों की 1.5 करोड़ किताबें मार्केट में होंगी। क्लास 1 और 2 की किताबों के लिए वह बताते हैं कि ये किताबें भी जल्द से जल्द बाजार में पहुंच रही है।

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