बड़ा खुलासा: डायल 100 फ्लॉप, 2.5 लाख सूचनाओं पर देरी से पहुंची | Big disclosure: Dial 100 flopped, arrived late on serious crime cases | Patrika News
महिलाओं से जुड़े 48 फीसदी गम्भीर अपराधों में भी लेटलतीफी
जबलपुर
Published: April 13, 2022 09:22:10 am
राहुल मिश्रा@जबलपुर। राज्य सरकार द्वारा 632.94 करोड़ की लागत से आरम्भ की गई महत्वाकांक्षी डायल 100 (एफआरवी) योजना फ्लॉप हो गई है। भारत के महालेखा परीक्षक (कैग) की पेश रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि तत्काल घटनास्थल पर पहुंचने का दावा करते हुए आरम्भ किए गए डायल 100 वाहन 2016 से 2019 तक की अवधि के बीच 2.5 लाख घटनाओं में विलम्ब से पहुंचे।
Big disclosure: Dial 100 flopped, arrived late on serious crime cases
सालाना करोड़ों खर्च
रिपोर्ट के अनुसार अधिकतर मामलों में डायल 100 पहुंचने में 12 घंटे तक विलंब हुआ। नवम्बर 2015 में राज्य में 632.94 करोड़ रुपए की लागत से यह योजना आरम्भ की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार हर साल औसतन 104 करोड़ रुपए इस पर खर्च कर रही है।

IMAGE CREDIT: Patrika निर्धारित है समय
योजना के तहत शहरी क्षेत्र में सूचना मिलने के 5 मिनट व ग्रामीण क्षेत्र में 30 मिनट के अंदर डायल 100 वाहन का रेस्पॉन्स टाइम निर्धारित किया गया था। लेकिन कैग की रिपोर्ट के अनुसार डायल 100 वाहन पूरे प्रदेश में कहीं भी इस समयसीमा का पालन नहीं कर पा रहे हैं। 2016-2019 के बीच प्रदेश के शहरी क्षेत्र में इसका औसत रेस्पॉन्स टाइम 24 मिनट अर्थात निर्धारित से करीब 5 गुना है। ग्रामीण क्षेत्रों में रेस्पॉन्स टाइम कुछ बेहतर है और औसतन 56 मिनट लग रहे हैं।
केस 1
रात भर नहीं पहुंची
बरेला थानांतर्गत निवासी युवती को उसका पति शराब पीकर पीट रहा था। उसने डायल 100 को कॉल किया। वह इंतजार करती रही, लेकिन डायल 100 नहीं आई। मजबूरी में 3 घण्टे बाद उसने भागकर पड़ोसी के यहां शरण ली।
केस 2
नहीं आई डायल 100
स्थानीय शासकीय कन्या शाला में 12वीं की छात्रा स्कूल जा रही थी। कार सवार दो युवकों ने उसका पीछा करना आरम्भ किया। उसने डायल 100 को फोन किया। लेकिन उसके स्कूल और स्कूल से लौटकर घर पहुंचते तक कोई मदद नहीं पहुंची।

IMAGE CREDIT: Patrika 2016-19 के बीच महिला अपराध के संगीन मामलों की सूचना
(अपहरण, बलात्कार व बलात्कार के प्रयास) – 10595
अफसर नहीं जाते
रिपोर्ट में इस योजना की असफलता की वजह का भी संकेत दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी डायल 100 की निगरानी में रुचि नहीं लेते। राज्य के डीजीपी ने फरवरी 2017 में सभी राजपत्रित पुलिस अधिकारियों व थाना प्रभारियों को निर्देश दिए थे कि वे कम से कम माह में एक दिन, एक रात डायल 100 में ड्यूटी करें। रिपोर्ट के अनुसार किसी अधिकारी ने इसमे रुचि नहीं दिखाई और ड्यूटी नहीं की। कैग के अनुसार राज्य सरकार ने इस बात को माना और सभी जिलों के एसपी को उक्त आदेश का सख्ती से पालन करने को कहा गया।
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महिलाओं से जुड़े 48 फीसदी गम्भीर अपराधों में भी लेटलतीफी
जबलपुर
Published: April 13, 2022 09:22:10 am
राहुल मिश्रा@जबलपुर। राज्य सरकार द्वारा 632.94 करोड़ की लागत से आरम्भ की गई महत्वाकांक्षी डायल 100 (एफआरवी) योजना फ्लॉप हो गई है। भारत के महालेखा परीक्षक (कैग) की पेश रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि तत्काल घटनास्थल पर पहुंचने का दावा करते हुए आरम्भ किए गए डायल 100 वाहन 2016 से 2019 तक की अवधि के बीच 2.5 लाख घटनाओं में विलम्ब से पहुंचे।
Big disclosure: Dial 100 flopped, arrived late on serious crime cases
सालाना करोड़ों खर्च
रिपोर्ट के अनुसार अधिकतर मामलों में डायल 100 पहुंचने में 12 घंटे तक विलंब हुआ। नवम्बर 2015 में राज्य में 632.94 करोड़ रुपए की लागत से यह योजना आरम्भ की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार हर साल औसतन 104 करोड़ रुपए इस पर खर्च कर रही है।
निर्धारित है समय
योजना के तहत शहरी क्षेत्र में सूचना मिलने के 5 मिनट व ग्रामीण क्षेत्र में 30 मिनट के अंदर डायल 100 वाहन का रेस्पॉन्स टाइम निर्धारित किया गया था। लेकिन कैग की रिपोर्ट के अनुसार डायल 100 वाहन पूरे प्रदेश में कहीं भी इस समयसीमा का पालन नहीं कर पा रहे हैं। 2016-2019 के बीच प्रदेश के शहरी क्षेत्र में इसका औसत रेस्पॉन्स टाइम 24 मिनट अर्थात निर्धारित से करीब 5 गुना है। ग्रामीण क्षेत्रों में रेस्पॉन्स टाइम कुछ बेहतर है और औसतन 56 मिनट लग रहे हैं।
केस 1
रात भर नहीं पहुंची
बरेला थानांतर्गत निवासी युवती को उसका पति शराब पीकर पीट रहा था। उसने डायल 100 को कॉल किया। वह इंतजार करती रही, लेकिन डायल 100 नहीं आई। मजबूरी में 3 घण्टे बाद उसने भागकर पड़ोसी के यहां शरण ली।
केस 2
नहीं आई डायल 100
स्थानीय शासकीय कन्या शाला में 12वीं की छात्रा स्कूल जा रही थी। कार सवार दो युवकों ने उसका पीछा करना आरम्भ किया। उसने डायल 100 को फोन किया। लेकिन उसके स्कूल और स्कूल से लौटकर घर पहुंचते तक कोई मदद नहीं पहुंची।
2016-19 के बीच महिला अपराध के संगीन मामलों की सूचना
(अपहरण, बलात्कार व बलात्कार के प्रयास) – 10595
अफसर नहीं जाते
रिपोर्ट में इस योजना की असफलता की वजह का भी संकेत दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी डायल 100 की निगरानी में रुचि नहीं लेते। राज्य के डीजीपी ने फरवरी 2017 में सभी राजपत्रित पुलिस अधिकारियों व थाना प्रभारियों को निर्देश दिए थे कि वे कम से कम माह में एक दिन, एक रात डायल 100 में ड्यूटी करें। रिपोर्ट के अनुसार किसी अधिकारी ने इसमे रुचि नहीं दिखाई और ड्यूटी नहीं की। कैग के अनुसार राज्य सरकार ने इस बात को माना और सभी जिलों के एसपी को उक्त आदेश का सख्ती से पालन करने को कहा गया।
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