बजट पेश करने के पहले व्यापारियों की राज्य शासन से मांग, प्रॉपर्टी पर घटे स्टाम्प ड्यूटी | traders demand reduction in stamp duty | News 4 Social

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बजट पेश करने के पहले व्यापारियों की राज्य शासन से मांग, प्रॉपर्टी पर घटे स्टाम्प ड्यूटी | traders demand reduction in stamp duty | News 4 Social
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बजट पेश करने के पहले व्यापारियों की राज्य शासन से मांग, प्रॉपर्टी पर घटे स्टाम्प ड्यूटी | traders demand reduction in stamp duty | News 4 Social


राज्य बजट प्रस्तुत होने से पहले पत्रिका ने टॉक शो का आयोजन किया। इसमें सराफा, कपड़ा मार्केट और शीतला बाजार व्यापारी एसोसिएशन सहित अन्य व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारी पहुंचे व बजट में प्रावधानों को लेकर सुझाव दिए। व्यापारियों ने प्रॉपर्टी की गाइड लाइन बढ़ाने और स्टाम्प ड्यूटी कम करने का भी सुझाव दिया। डीम्ड असेसमेंट फिर से शुरू करने की मांग की गई।

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गाइड लाइन और वास्तविक कीमत में अंतर

व्यापारियों ने कहा कि अभी गाइड लाइन यह है कि एक साल में सरकारी रेट अधिकतम 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन गाइड लाइन व बाजार मूल्य में चार गुना तक अंतर रहता है। देश में सबसे अधिक साढ़े दस फीसदी स्टाम्प ड्यूटी मप्र में है। अन्य प्रदेशों में यह औसतन छह से सात प्रतिशत तक होती है। सरकार को राजस्व का नुकसान न हो, इसलिए बजट में गाइड लाइन रेट या सर्कल रेट बढ़ाकर स्टाम्प ड्यूटी कम की जाए। इससे प्राॅपर्टी ट्रांसफर करने में दर कम लगेगी। मकान-प्लॉट खरीदने वालों को बैंक लोन में दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि बैंक लोन सरकारी गाइड लाइन पर ही मिलता है।

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डिमांड को किया जा सकता है क्लीयर
व्यापारियों ने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में प्रावधान किया है कि पुरानी डिमांड अगर 25 हजार से कम है तो उसे क्लीयर किया जा सकता है। ऐसा ही प्रावधान राज्य सरकार बजट में वैट को लेकर कर सकती है। इससे समय की बचत होगी।
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एफएसआइ को लेकर हो विचार

अभी इंदौर में जो निर्माण होता है, उसमें एफएसआइ दो से तीन मंजिल का मिलता है। मतलब जितना प्लाॅट है, उससे दो से तीन गुना निर्माण कर सकते हैं। अन्य राज्यों में यह पांच से छह गुना तक है। एफएसआइ बढ़ाने से बिजनेस के लिए सस्ती जगह मिलेगी।

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इन्होंने ये दिए सुझाव
डीम्ड असेसमेंट से होगा लाभ

कई प्रोडक्ट पर केंद्र सरकार के जीएसटी के बजाय राज्य सरकार का वैट लगता है। इसमें पेट्रोल-डीजल प्रमुख है। हर साल डीम्ड असेसमेंट की स्कीम आती थी, जिसमें एक फाॅर्म में जानकारी देने पर उसे डीम्ड असेसमेंट मानकर गणना हो जाती थी। कुछ साल से यह नहीं हो रहा है, जबकि इसका प्रावधान नियम में है। डीम्ड असेसमेंट से व्यापारियों को सुविधा मिलेगी।
अतिशय खासगीवाला, उपाध्यक्ष, चार्टर्ड अकाउंटेंट ब्रांच इंदौर
– केंद्र सरकार का जीएसटी अधिक है। गोल्ड पर भी केंद्र का जीएसटी 3 फीसदी है। इससे राहत के लिए कुछ उपाय जरूरी हैं। साथ ही राज्य सरकार को भी राहत देनी चाहिए।
अनिल रांका, अध्यक्ष, सराफा बाजार व्यापारी एसोसिएशन
– राज्य में एक गोल्ड पार्क होना चाहिए। जिस तरह सूरत में डायमंड पार्क खोला गया है, वैसे ही इंदौर में भी डायमंड पार्क खोला जाए। इंदौर में एयरपोर्ट सहित पूरे प्रदेश से सीधे कनेक्टिविटी है।

अविनाश शास्त्री, सचिव, सराफा बाजार व्यापारी एसोसिएशन

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– पिछले बजट में प्रावधान किया था कि 45 दिन में पेमेंट नहीं करने पर उसे आय में जोड़ा जाएगा। इस वर्ष से यह माइक्रो व स्माल कंपनियों पर भी लागू हो रहा है। इसे लेकर राज्य सरकार को भी विचार करना चाहिए, ताकि व्यापारियों को केंद्र के इस निर्णय से राहत मिल सके।

विशाल शर्मा, अध्यक्ष, मारोठिया बाजार व्यापारी एसोसिएशन

– प्रोफेशनल टैक्स को लेकर स्कीम लाई जाए, जिसमें एक मुश्त भुगतान ले लिया जाए। जीएसटी ग्रीन ट्रिब्यूनल इंदौर में बनाए जाने पर भी घोषणा जरूरी है।

जयप्रकाश सराफ, अध्यक्ष, टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन

– छोटे व्यापारियों के लिए क्लस्टर प्लानिंग तो हुई, लेकिन उन स्थानों पर डेवलपमेंट नहीं हुआ है। यह काम जल्द पूरा किया जाए। मिक्स क्लस्टर पर भी तेजी से काम हो।
रीतेश जैन, सचिव, मारोठिया बाजार मार्केट एसोसिएशन
– इंदौर में कपड़ा मार्केट सबसे बड़ा है। अभी तैयार हुए लहंगे-चुनरी पर 18 प्रतिशत व कपड़े पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है। इसके लिए एक स्लैब होनी चाहिए।
हेमा पंजवानी, अध्यक्ष, शीतला माता बाजार एसोसिएशन
– इंदौर तेजी से विकसित हो रहा है। जनसंख्या को देखते हुए यहां नए बाजारों की आवश्यकता है, इसलिए सराफा बाजार का निर्माण करने का प्रावधान बजट में किया जाए।

बसंत सोनी, पूर्व उपाध्यक्ष, सराफा बाजार व्यापारी एसोसिएशन

– एक हजार रुपए तक के कपड़ों पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है। उससे अधिक पर यह 12 प्रतिशत तक हो जाता है। इसमें अंतर खत्म होना चाहिए।
विशाल जरिया, व्यापारी, नृसिंह बाजार एसोसिएशन
– प्राॅपर्टी खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी अधिक लगती है। गाइड लाइन व बाजार मूल्य में अंतर रहता है। सर्कल रेट बढ़ाकर स्टाम्प ड्यूटी कम की जाए। इस तरह का प्रावधान बजट में शामिल हो।

कमल शर्मा, अध्यक्ष, नृसिंह बाजार एसोसिएशन
– क्लस्टर के लिए ग्रामीण क्षेत्रों को भी चुना जाए। इसमें छोटे शहर व कस्बों को शामिल करें। इससे वहां भी रोजगार बढ़ेगा व स्थानीय लोगों को फायदा होगा।
आनंद जैन, पूर्व अध्यक्ष, चार्टर्ड अकाउंटेंट ब्रांच इंदौर
– जो क्लस्टर खोले जा रहे हैं, उनकी व्यवस्थाएं बेहतर की जाएं। अधिकारी क्लस्टर खोलने से पहले यह ध्यान दें कि इतनी दूर व्यवस्थाएं कैसे होंगी। यातायात को लेकर भी उपाय किए जाएं, ताकि व्यापारियों को आवाजाही में आसानी हो।

अक्षय जैन, अध्यक्ष, इंदौर रिटेल गारमेंट

– बजट में रोजमर्रा की वस्तुओं पर टैक्स कम होना चाहिए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके। पेट्रोल-डीजल पर अन्य राज्यों की तरह टैक्स कम किया जाना चाहिए। इससे कीमत कम रहेगी।
ललित पारानी, अध्यक्ष, सिंधी कॉलोनी व्यापारी एसोसिएशन
– नगर निगम वर्तमान में एक साल का लाइसेंस देता है। इसकी समयावधि बढ़ाई जाए, ताकि व्यापारियों को बार-बार परेशान न होना पड़े। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स भी कम किया जाए।

कमलेश सचदेव, उपाध्यक्ष, सिंधी कॉलोनी व्यापारी एसोसिएशन

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