फास्ट ट्रैक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कर मरीज को नई राह दिखाई
फास्ट ट्रैक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कर मरीज को नई राह दिखाई
Showed a new path to the patient by doing fast track knee replacement surgery
Jaipur घुटने का जोड़ बदलने वाली नी रिप्लेसमेंट सर्जरी मरीज के जीवन की गुणवत्ता सुधारने वाली प्रमुख सर्जरी है, लेकिन जब यह फेल हो जाती है तो मरीज को इसके दर्दनाक परिणाम भुगतने पड़ जाते हैं। बिगड़ी सर्जरी को ठीक करने के लिए रिवीजन जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है जोकि काफी जटिल होती है। 78 वर्षीय विमला देवी (परिवर्तित नाम)ने डेढ़ साल पहले बाएं घुटने की जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी करवाई थी, लेकिन डेढ़ साल बाद ही जोड़ ढीला पडऩे लगा और हड्डी में फ्रैक्चर होने के साथ उसके अंदर घुसने लगा था। मरीज को घुटने में असहनीय दर्द रहने लगा और वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गई। रुक्मणि बिरला हॉस्पिटल के जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड आथ्र्रोस्कोपी सर्जन डॉ. अरुण परतानी ने बताया कि जब मरीज अस्पताल आई तो उसके घुटने में 30 डिग्री तक टेड़ापन था और पूरी तरह से व्हीलचेयर पर निर्भर थी। ऐसे मामलों में रिवीजन सर्जरी जरूरी होती है, क्योंकि पहली सर्जरी के फेल होने के सभी कारणों का ध्यान रखते हुए कृतिम जोड़ के आस-पास के खराब टिश्यु-ऑस्टियोपोरोटिक हड्डियों और भविष्य में संक्रमण न हो, इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। साथ ही रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद भी मरीज के चलने में असमर्थ होने के कारण वह मानसिक रूप से भी काफी प्रभावित हो गई थी और रिवीजन सर्जरी के परिणामों को लेकर संशय में थी। ऐसे में मरीज और उनके परिजनों की काउंसिलिंग भी जरूरी होती है। सर्जरी में रखी बरती कई सावधानियां सर्जरी से पहले सीटी स्कैनोग्राम कर यह स्पष्ट किया कि जोड़ में लगे तीनों हिस्से अच्छे से सेट हैं और उन्हें बनाए रखा जा सकता है या नहीं। सर्जरी के दौरान कम से कम टिश्यु और हड्डी के नुकसान के लिए पिछले कृत्रिम जोड़ को हटा दिया। संक्रमण से बचने के लिए टिश्यु बढ़ाए गए व नुकसान की बारीकी से पड़ताल की गई। जोड़ में बेहतर संतुलन के लिए इंट्रा मेडुलरी रॉड लगाई गई। इसके अलावा मरीज के नी में हुए गड्ढे को भरने के लिए वैज (फिलर) का उपयोग किया।