प्रो. चेतन सिंह सोलंकी का कॉलम: गर्मी से बचने की हमारी कोशिशें उलटे गर्मी को बढ़ा रही हैं h3>
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प्रो. चेतन सिंह सोलंकी आईआईटी बॉम्बे में प्रोफेसर
भारतीय मौसम विभाग ने सख्त चेतावनी जारी की है कि पिछले वर्षों की तुलना में इस गर्मी में हीट वेव्स की संख्या दोगुनी हो सकती है। जैसे-जैसे पारा चढ़ता है, कूलर और एसी पर हमारी निर्भरता भी बढ़ती है। ऐसा लगता है कि जब गर्मी हो तो पंखा, कूलर या एसी चलाना स्वाभाविक बात है। लेकिन ये एक दुष्चक्र है, जिसमें मानवता अनजाने में फंस गई है। और हर गुजरते साल के साथ ये दुष्चक्र गहराता जा रहा है।
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आइए, इसे समझते हैं। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, हम खुद को ठंडा रखने के लिए अधिक से अधिक फ्रीज, कूलर, एसी, पंखे आदि का इस्तेमाल करते हैं। इसमें ऊर्जा की खपत होती है। इस ऊर्जा का अधिकांश हिस्सा जीवाश्म ईंधन, खासकर कोयले को जलाने से आता है, जो वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है। ये उत्सर्जन आगे ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनते हैं। जिस कारण से आने वाले वर्षों में और भी अधिक भीषण गर्मियां होंगी।
तो यह दुष्चक्र है- गर्मी में ठंडा करो, ठंडा करने के प्रयास में अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है, और यह उत्सर्जन अंततः गर्मी बढ़ाता है। हम इस चक्र में फंस गए हैं, और कई लोग अभी भी इसे पहचानने में विफल हैं। आज हम जिस आराम का आनंद ले रहे हैं, वह भविष्य में असहनीय असुविधा हो जाएगा। तो इस गर्मी में हम क्या कर सकते हैं? हम समस्या को बढ़ाए बिना खुद को चिलचिलाती गर्मी से कैसे बचा सकते हैं? इसका जवाब हमारे घरों और इमारतों में प्रवेश करने वाली गर्मी को कम करने में है। इमारत के अंदर अधिकांश तीन स्रोतों से गर्मी आती है- छत, दीवारें और खिड़कियां। अगर हम इन जगहों से घर और ऑफिस में आने वाली गर्मी को कम करने के तरीके खोजें, तो कृत्रिम शीतलन की आवश्यकता काफी कम हो जाती है।
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मुझे मार्च में मध्य प्रदेश के एजुकेशन पार्क स्कूल में समय बिताने का अवसर मिला, जो सोलर पैसिव आर्किटेक्चर के सिद्धांतों का उपयोग करके बनाया गया है। यह स्कूल पंखे या एसी पर बहुत कम निर्भर है। इसके बजाय, इमारत को स्वाभाविक रूप से ठंडा रखने के लिए समझदारी से डिजाइन किया गया है।
छत पर गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए फिलर स्लैब का उपयोग किया गया है। इस तरह की छत गर्मी से बचाव में मदद करती है। इस स्कूल में दीवारें इस तरह से बनाई गई हैं कि उन पर कभी भी सीधी धूप न पड़े। मार्च में जब तापमान 38 से 39 डिग्री तक पहुंच गया था, तब भी हम बिना पंखा चालू किए आराम से कक्षाओं में बैठ सकते थे।
बेशक, हर कोई इस तरह की इमारतों में नहीं रहता या काम करता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम असहाय हैं। मौजूदा इमारतों में भी, छोटे-छोटे बदलाव बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। छतों पर रिफ्लेक्टिव पेंट लगाने या सफेद टाइलों का इस्तेमाल करने से सूर्य की रोशनी को सोखने के बजाय उसे रिफ्लेक्ट करने में मदद मिल सकती है।
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छत पर गमले लगाने से न केवल सुंदरता बढ़ती है, बल्कि यह प्राकृतिक इन्सुलेटर का भी काम करता है। छत के नीचे और ऊपर थर्मोकोल या किसी अन्य इन्सुलेशन की एक परत लगाने से ऊपर से आने वाली गर्मी को कम किया जा सकता है।
अगर आपके घर या ऑफिस की दीवारों पर सीधे धूप पड़ती है तो नेट या शेड जैसे सुरक्षात्मक आवरण का उपयोग करें। कपड़े की छतरी या पुरानी चादर भी कड़ी धूप को रोक सकती है। खिड़कियों पर शेड या साधारण शामियाना लगाने से गर्मी कम हो सकती है।
इस तरह से यदि आप गर्मी को छत, दीवारों या खिड़कियों के माध्यम से अपने घर या ऑफिस में प्रवेश करने से रोकते या कम करते हैं तो आपको कृत्रिम रूप से ठंडा करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
इस गर्मी में सही विकल्प चुनें- न केवल अपने घर, बल्कि अपने ग्रह के लिए भी। कूलर और एसी का उपयोग सोच-समझकर करें। हो सके तो उन्हें एक स्पीड कम पर चलाएं। एसी का तापमान 26 डिग्री या उससे ज्यादा सेट करें। अन्यथा हम अंदर के परिवेश को जितना ठंडा करेंगे, बाहर का परिवेश उतना ही गरम होगा। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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प्रो. चेतन सिंह सोलंकी आईआईटी बॉम्बे में प्रोफेसर
भारतीय मौसम विभाग ने सख्त चेतावनी जारी की है कि पिछले वर्षों की तुलना में इस गर्मी में हीट वेव्स की संख्या दोगुनी हो सकती है। जैसे-जैसे पारा चढ़ता है, कूलर और एसी पर हमारी निर्भरता भी बढ़ती है। ऐसा लगता है कि जब गर्मी हो तो पंखा, कूलर या एसी चलाना स्वाभाविक बात है। लेकिन ये एक दुष्चक्र है, जिसमें मानवता अनजाने में फंस गई है। और हर गुजरते साल के साथ ये दुष्चक्र गहराता जा रहा है।
आइए, इसे समझते हैं। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, हम खुद को ठंडा रखने के लिए अधिक से अधिक फ्रीज, कूलर, एसी, पंखे आदि का इस्तेमाल करते हैं। इसमें ऊर्जा की खपत होती है। इस ऊर्जा का अधिकांश हिस्सा जीवाश्म ईंधन, खासकर कोयले को जलाने से आता है, जो वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है। ये उत्सर्जन आगे ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनते हैं। जिस कारण से आने वाले वर्षों में और भी अधिक भीषण गर्मियां होंगी।
तो यह दुष्चक्र है- गर्मी में ठंडा करो, ठंडा करने के प्रयास में अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है, और यह उत्सर्जन अंततः गर्मी बढ़ाता है। हम इस चक्र में फंस गए हैं, और कई लोग अभी भी इसे पहचानने में विफल हैं। आज हम जिस आराम का आनंद ले रहे हैं, वह भविष्य में असहनीय असुविधा हो जाएगा। तो इस गर्मी में हम क्या कर सकते हैं? हम समस्या को बढ़ाए बिना खुद को चिलचिलाती गर्मी से कैसे बचा सकते हैं? इसका जवाब हमारे घरों और इमारतों में प्रवेश करने वाली गर्मी को कम करने में है। इमारत के अंदर अधिकांश तीन स्रोतों से गर्मी आती है- छत, दीवारें और खिड़कियां। अगर हम इन जगहों से घर और ऑफिस में आने वाली गर्मी को कम करने के तरीके खोजें, तो कृत्रिम शीतलन की आवश्यकता काफी कम हो जाती है।
मुझे मार्च में मध्य प्रदेश के एजुकेशन पार्क स्कूल में समय बिताने का अवसर मिला, जो सोलर पैसिव आर्किटेक्चर के सिद्धांतों का उपयोग करके बनाया गया है। यह स्कूल पंखे या एसी पर बहुत कम निर्भर है। इसके बजाय, इमारत को स्वाभाविक रूप से ठंडा रखने के लिए समझदारी से डिजाइन किया गया है।
छत पर गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए फिलर स्लैब का उपयोग किया गया है। इस तरह की छत गर्मी से बचाव में मदद करती है। इस स्कूल में दीवारें इस तरह से बनाई गई हैं कि उन पर कभी भी सीधी धूप न पड़े। मार्च में जब तापमान 38 से 39 डिग्री तक पहुंच गया था, तब भी हम बिना पंखा चालू किए आराम से कक्षाओं में बैठ सकते थे।
बेशक, हर कोई इस तरह की इमारतों में नहीं रहता या काम करता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम असहाय हैं। मौजूदा इमारतों में भी, छोटे-छोटे बदलाव बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। छतों पर रिफ्लेक्टिव पेंट लगाने या सफेद टाइलों का इस्तेमाल करने से सूर्य की रोशनी को सोखने के बजाय उसे रिफ्लेक्ट करने में मदद मिल सकती है।
छत पर गमले लगाने से न केवल सुंदरता बढ़ती है, बल्कि यह प्राकृतिक इन्सुलेटर का भी काम करता है। छत के नीचे और ऊपर थर्मोकोल या किसी अन्य इन्सुलेशन की एक परत लगाने से ऊपर से आने वाली गर्मी को कम किया जा सकता है।
अगर आपके घर या ऑफिस की दीवारों पर सीधे धूप पड़ती है तो नेट या शेड जैसे सुरक्षात्मक आवरण का उपयोग करें। कपड़े की छतरी या पुरानी चादर भी कड़ी धूप को रोक सकती है। खिड़कियों पर शेड या साधारण शामियाना लगाने से गर्मी कम हो सकती है।
इस तरह से यदि आप गर्मी को छत, दीवारों या खिड़कियों के माध्यम से अपने घर या ऑफिस में प्रवेश करने से रोकते या कम करते हैं तो आपको कृत्रिम रूप से ठंडा करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
इस गर्मी में सही विकल्प चुनें- न केवल अपने घर, बल्कि अपने ग्रह के लिए भी। कूलर और एसी का उपयोग सोच-समझकर करें। हो सके तो उन्हें एक स्पीड कम पर चलाएं। एसी का तापमान 26 डिग्री या उससे ज्यादा सेट करें। अन्यथा हम अंदर के परिवेश को जितना ठंडा करेंगे, बाहर का परिवेश उतना ही गरम होगा। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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