प्रिय वित्‍त मंत्री जी, सैलरी से घर चलता है, इस बार टैक्‍स पर ये मेहरबानी कर दें… टैक्‍सपेयर की दर्दभरी चिट्ठी

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प्रिय वित्‍त मंत्री जी, सैलरी से घर चलता है, इस बार टैक्‍स पर ये मेहरबानी कर दें… टैक्‍सपेयर की दर्दभरी चिट्ठी

प्रिय वित्‍त मंत्री जी, सैलरी से घर चलता है, इस बार टैक्‍स पर ये मेहरबानी कर दें… टैक्‍सपेयर की दर्दभरी चिट्ठी


आदरणीय वित्‍त मंत्री जी,
नमस्‍कार। आपको नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं। बहुत खुशी है कि 1 फरवरी, 2023 को आप केंद्रीय बजट पेश करेंगी। पूरे देश की इस पर नजर है। हम सैलरी पाने वाले कर्मचारी भी इससे बहुत उम्‍मीद लगाए बैठे हैं। हम उद्योगपति नहीं हैं। लिमिटेड सैलरी पाते हैं। हाथ में जो बच जाए उसी से खुश हो लेते हैं। पिछले कुछ सालों में हमें बार-बार मायूसी हाथ लगी है। टैक्‍स स्‍लैब में कमोबेश कोई बदलाव नहीं हुआ है। हम सैलरीड क्‍लास देश के टैक्‍स रेवेन्‍यू का बड़ा स्रोत हैं। लेकिन, उम्‍मीद है कि आप पिछले कुछ सालों की स्थितियों को ध्‍यान में जरूर रखेंगी। इस दौरान कोरोना काल में कइयों की नौकरी गई। तमाम लोगों को सैलरी-कट लेना पड़ा। हेल्‍थ पर खर्च बढ़ गए। जो बुजुर्ग माता-पिता के साथ रहते हैं, उनके लिए स्थिति और बिगड़ गई। बच्‍चों की पढ़ाई से लेकर रसोई का खर्च बढ़ा है। इसके उलट टैक्‍स के तौर जो रकम कटती थी, वह कमोबेश अब भी वैसी ही है। ऐसे में हाथ में बचने वाले पैसे कम पड़ने लगे हैं। इस स्थिति में किशोर कुमार का फिल्‍म ‘अधिकार’ में गाया वो गाना बार-बार याद आता है। ‘कमाता हूं बहुत कुछ पर कमाई डूब जाती है, कुछ इनकम टैक्‍स ले जाता है…’। गाड़ी इनकम टैक्‍स पर आकर बार-बार रुकती है। इस बजट में हम सैलरी पाने वालों को ज्‍यादा कुछ नहीं चाहिए। बस, हमारी कुछ फरियाद सुन लें।

1. प्‍लीज, टैक्‍स स्‍लैब में बदलाव कर दें
अभी टैक्‍सपेयर्स के पास टैक्‍स फाइल करने के लिए दो व्‍यवस्‍थाएं उपलब्‍ध हैं। यह कभी-कभी उलझन पैदा करता है। हम सैलरी वाले थोड़ा ही गुणा-गणित समझते हैं। ज्‍यादा अर्थशास्‍त्र हमें पल्‍ले नहीं पड़ता है। दोनों ही व्‍यवस्‍थाओं में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्‍स छूट के दायरे से बाहर है। 5 लाख रुपये तक की इनकम पर हमें टैक्‍स नहीं देना पड़ता है। इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्‍शन 87ए के तहत 12,500 रुपये का एक्‍जेम्‍प्‍शन मिलना इसका कारण है। हम उम्‍मीद लगाए बैठे हैं कि बजट 2023 में आप बेसिक टैक्‍स एग्‍जेम्‍प्‍शन लिमिट को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये या इससे कुछ और ज्‍यादा जरूर करेंगी।

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2. घर का सपना कर दें पूरा, खरीदारों के लिए बढ़ा दें मिनिमम टैक्‍स एग्‍जेम्‍पशन
हम सैलरी पाने वालों का अपने घर का सपना बहुत मायने रखता है। किफायती हाउसिंग की डिमांड बढ़ाने के लिए हमें उम्‍मीद है कि सरकार अतिरिक्‍त रियायत देगी। अभी घर खरीदार सालाना ब्‍याज भुगतान पर 2 लाख रुपये तक टैक्‍स डिडक्‍शन क्‍लेम कर सकते हैं। यह सेक्‍शन 24बी के तहत लिए गए हाउसिंग लोन की ईएमआई पर लागू है। इसके अलावा वे हाउसिंग लोन पर दी जाने वाली प्रिंसिपल अमाउंट पर सेक्‍शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये का ड‍िडक्‍शन क्‍लेम कर सकते हैं। आने वाले बजट में घर खरीदारों को 24बी की लिमिट 5 लाख रुपये तक बढ़ाए जाने की उम्‍मीद है। इसी तरह वे सेक्‍शन 80सी के तहत लिमिट को 3 लाख रुपये तक बढ़ाए जाने की आस लगाए हुए हैं।

3. पर्सलन लोन पर एग्‍जेम्‍पशन देकर भर दें झोली
मंत्री जी, हम सैलरी से अक्‍सर अपने बड़े खर्च पूरे नहीं कर पाते हैं। कहीं गाड़ी फंसती है तो पर्सनल लोन लेना पड़ जाता है। कभी-कभी अपने शौक पूरे करने के लिए भी हम पर्सनल लोन ले लेते हैं। बच्‍चों की हायर एजुकेशन इतनी महंगी हो गई है कि एजुकेशन लोन के बगैर काम नहीं चलता है। आंकड़े दिखाते हैं कि हम भारतीय कितना ज्‍यादा पर्सनल और एजुकेशन लोन लेते हैं। भारत में जितना भी कर्ज दिया जाता है, उनमें पर्सनल और एजुकेशन लोन की हिस्‍सेदारी करीब 35 फीसदी है। आप समझ ही गई होंगी कि इस मोर्चे पर आपसे क्‍या अपेक्षा है। बेशक, एजुकेशन लोन के ब्‍याज पर सेक्‍शन 80ई के तहत एग्‍जेम्‍प्‍शन लिमिट है। लेकिन, पर्सनल लोन को लेकर इस तरह की कोई रियायत नहीं है। जबकि यही पर्सनल लोन कभी-कभार हमारे जी का जंजाल भी बन जाता है। कई लोग इसके कारण कर्ज के जाल में फंसे रहते हैं। ऐसे में आपसे उम्‍मीद है कि पर्सनल लोन लेने वालों के लिए भी आप राहत की कुछ विंडो जरूर खोलेंगी।

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4. कैपिटल गेंस टैक्‍स को आसान बना दें
वैसे तो हम सैलरीड क्‍लास के पास खर्च ही इतना ज्‍यादा होता है कि निवेश करने को कुछ नहीं बचता है। लेकिन, कोशिश हमेशा यही रहती है कि थोड़ा-बहुत भविष्‍य के लिए बचाया जाए। बचत की इस आसान कवायद में हमारा सामना बेहद टेढ़े शब्‍द कैपिटल गेंस टैक्‍स से होता है। सच पूछिए तो हम में से ज्‍यादातर तो इसका नाम सुनते ही पसीने छोड़ देते हैं। लेकिन, अब धीरे-धीरे यह समझ आ गया है कि निवेश से जो कमाई होती है, उस पर एक सीमा से ज्‍यादा टैक्‍स लगता है। इसी को कैपिटल गेंस टैक्‍स कहते हैं। हालांकि, उलझन यह है कि भारत में जो एसेट क्‍लास निवेश के लिए उपलब्‍ध हैं, उनमें से हरेक क्‍लास के लिए कैपिटल गेन स्‍ट्रक्‍चर अलग-अलग है। इसके कारण अक्‍सर हमारे लिए अर्जित कैपिटल गेंस पर टैक्‍स देनदारी निकालना टेढ़ा काम हो जाता है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले बजट में आप कैपिटल गेंस पर एकसमान टैक्‍स स्‍ट्रक्‍चर लेकर आएंगी।

वित्‍त मंत्री जी डिमांड की फेहरिस्‍त तो और लंबी हो सकती है। लेकिन, बजट 2023 में आप इन्‍हीं को पूरा कर देंगी तो हम सैलरी क्‍लास वाले जश्‍न में डूब जाएंगे। यह हमारे हाथ में कुछ पैसा छोड़ देगा। आपके कारण इस पैसे को हम अपने ऊपर लगा पाएंगे। कुछ रोजमर्रा के खर्चों में और भविष्‍य के लिए। उससे भी अंत में देश की अर्थव्यवस्‍था का ही भला होना है। उम्‍मीद करता हूं कि आप निराश नहीं करेंगी।

प्रार्थी,
सैलरीड क्‍लास टैक्‍सपेयर

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