प्रवेश शुक्ला का घर बनवाने के लिए ब्राह्मण समाज जुटा रहा है चंदा h3>
भोपाल: सीधी पेशाब कांड (Sidhi Urination Case) के आरोपी प्रवेश शुक्ला का घर प्रशासन ने तोड़ दिया था। इसके बाद ब्राह्मण समाज एकजुट हो गया है। ब्राह्ममण समाज प्रवेश शुक्ला का घर फिर से बनवाने के लिए चंदा इकट्ठा कर रहा है। प्रशासन ने प्रवेश शुक्ला के पुश्तैनी घर को तोड़ दिया था। उस घर में प्रवेश की पत्नी, तीन साल की बेटी और माता-पिता रहते थे। उस घर को प्रशासन ने जमींदोज कर दिया है। इससे ब्राह्मण समाज नाराज है।
प्रवेश शुक्ला की पत्नी कंचन ने कहा कि कुबरी गांव में घर उनकी दादी ने बनवाया था और वह प्रवेश या उनके पिता के नाम पर नहीं था। घर टूटने के बाद यह परिवार बेघर हो गया है। साथ ही दूसरों की दया पर निर्भर है। प्रवेश के पिता रामाकांत शुक्ला का अकाउंट नंबर अलग-अलग सोशल मीडिया ग्रुप में घूम रहे हैं। साथ ही उसमें राज्य भर से लोगों ने पैसा भेजना शुरू कर दिया है।
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्रा ने कहा कि संगठन उस परिवार का घर बनाएगा जो ढहा दिया गया। आरोपी ने जो किया वह निंदनीय है, लेकिन परिवार को नुकसान क्यों उठाना चाहिए। वहीं, अपराध की निंदा करते हुए लोग परिवार की मदद के लिए आगे आ रहे हैं।
मिश्रा ने कहा कि घर उसके नाम पर भी नहीं था। हमने शुरुआत में 51 हजार रुपए की मदद की है। परिवार के मुखिया का अकाउंट नंबर सोशल ग्रुप में प्रसारित किया है। लोग घर निर्माण में उनकी मदद कर रहे हैं। हम परिवार की हर मदद सुनिश्चत करेंगे क्योंकि आरोपियों के अपराध में परिवार का कोई हाथ नहीं है।
हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए मिश्रा ने कहा कि समाज मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करेगा, जिसमें यह जानने की मांग की जाएगी कि सरकार ने किस कानून के तहत परिवार के वैध घर को ध्वस्त कर दिया।
प्रवेश के पिता रामाकांत शुक्ला ने कहा कि समाज के सदस्यों ने हमें 51000 रुपए दिए। अब लोग मेरे खाते में पैसे भेज रहे हैं। लोग अपनी इच्छा और क्षमता के अनुसार भेज रहे हैं। कोई 500 रुपए तो कोई 10000 रुपए दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह मेरा बेटा है लेकिन मैं कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं और अपने बेटे के खिलाफ संविधान के अनुसार किसी भी कानूनी कार्रवाई का स्वागत करूंगा। उन्होंने पूछा है कि हमारा घर क्यों तोड़ा गया। मध्यप्रदेश में कानून कहता है कि बारिश के दौरान अतिक्रमण भी नहीं तोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा घर वैध है और हमारी मां के नाम पर है, जिसे ढाह दिया गया है। हमारा परिवार बिना किसी गलती के पीड़ित है। पहले कुछ दिनों के लिए पड़ोसियों ने भोजन की व्यवस्था की, अब हम किसी तरह गुजारा कर रहे हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आरोपी प्रवेश शुक्ला घर से 90 किलोमीटर दूर रीवा जेल में बंद है। इसके बाद आदिवासी के चेहरे पर पेशाब करने के लिए एससी-एसटी अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया गया है।
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प्रवेश शुक्ला की पत्नी कंचन ने कहा कि कुबरी गांव में घर उनकी दादी ने बनवाया था और वह प्रवेश या उनके पिता के नाम पर नहीं था। घर टूटने के बाद यह परिवार बेघर हो गया है। साथ ही दूसरों की दया पर निर्भर है। प्रवेश के पिता रामाकांत शुक्ला का अकाउंट नंबर अलग-अलग सोशल मीडिया ग्रुप में घूम रहे हैं। साथ ही उसमें राज्य भर से लोगों ने पैसा भेजना शुरू कर दिया है।
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्रा ने कहा कि संगठन उस परिवार का घर बनाएगा जो ढहा दिया गया। आरोपी ने जो किया वह निंदनीय है, लेकिन परिवार को नुकसान क्यों उठाना चाहिए। वहीं, अपराध की निंदा करते हुए लोग परिवार की मदद के लिए आगे आ रहे हैं।
मिश्रा ने कहा कि घर उसके नाम पर भी नहीं था। हमने शुरुआत में 51 हजार रुपए की मदद की है। परिवार के मुखिया का अकाउंट नंबर सोशल ग्रुप में प्रसारित किया है। लोग घर निर्माण में उनकी मदद कर रहे हैं। हम परिवार की हर मदद सुनिश्चत करेंगे क्योंकि आरोपियों के अपराध में परिवार का कोई हाथ नहीं है।
हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए मिश्रा ने कहा कि समाज मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करेगा, जिसमें यह जानने की मांग की जाएगी कि सरकार ने किस कानून के तहत परिवार के वैध घर को ध्वस्त कर दिया।
प्रवेश के पिता रामाकांत शुक्ला ने कहा कि समाज के सदस्यों ने हमें 51000 रुपए दिए। अब लोग मेरे खाते में पैसे भेज रहे हैं। लोग अपनी इच्छा और क्षमता के अनुसार भेज रहे हैं। कोई 500 रुपए तो कोई 10000 रुपए दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह मेरा बेटा है लेकिन मैं कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं और अपने बेटे के खिलाफ संविधान के अनुसार किसी भी कानूनी कार्रवाई का स्वागत करूंगा। उन्होंने पूछा है कि हमारा घर क्यों तोड़ा गया। मध्यप्रदेश में कानून कहता है कि बारिश के दौरान अतिक्रमण भी नहीं तोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा घर वैध है और हमारी मां के नाम पर है, जिसे ढाह दिया गया है। हमारा परिवार बिना किसी गलती के पीड़ित है। पहले कुछ दिनों के लिए पड़ोसियों ने भोजन की व्यवस्था की, अब हम किसी तरह गुजारा कर रहे हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आरोपी प्रवेश शुक्ला घर से 90 किलोमीटर दूर रीवा जेल में बंद है। इसके बाद आदिवासी के चेहरे पर पेशाब करने के लिए एससी-एसटी अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया गया है।