प्रभु श्री राम के प्रतिज्ञा स्थल ‘सिद्धा पहाड़’ पर खनन अनुमति की तैयारी में सरकार | Preparation of mining permission at the pledge site of Lord Shri Ram | Patrika News h3>
भगवान राम ने यहीं की थी प्रतिज्ञा…
रामचरित मानस में अरण्य कांड में उल्लेख है कि भगवान राम जब चित्रकूट से आगे की ओर बढ़े तो सिद्धा पहाड़ मिला, यह पहाड़ अस्थियों का था। तब राम को मुनियों ने बताया कि राक्षस कई मुनियों को खा गए हैं और यह अस्थियां उन्हीं मुनियों की हैं। भगवान राम ने यहीं पर राक्षसों के विनाश की प्रतिज्ञा ली थी।
निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।
सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह।।
भावार्थ यह है कि इसके बाद श्रीराम ने भुजा उठाकर प्रण किया कि मैं पृथ्वी को राक्षसों से रहित कर दूूंगा। फिर समस्त मुनियों के आश्रमों में जा-जाकर उन्होंने ऋषि मुनियों को दर्शन एवं सम्भाषण का सुख दिया। स्थानीय लोगों में इस पहाड़ को लेकर बहुत आस्था है। यहां खनन अनुमति की तैयारी की जानकारी मिलते ही चित्रकूट के साधु संतों में भी आक्रोश फैल गया है।
यह है मामला धार्मिक महत्व के सिद्धा पहाड़ पहाड़ पर खनन करने के लिये मे. राकेश एजेन्सीज, पार्टनर श्याम बंसल ने पर्यावरणीय अनुमति (ईसी) के लिये आवेदन दिया था। लेकिन जिला स्तर पर इस पहाड़ के धार्मिक महत्वों की अनदेखी करते हुए प्रकरणों को बिना रोक टोक के शासन स्तर तक पहुंचाया गया। इसके बाद अब ईसी के लिये क्षेत्रीय कार्यालय म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लोक सुनवाई की सूचना जारी कर दी। जिसमें बताया गया है कि इस पहाड़ को खोद करके बाक्साइड, लेटराइट, ओकर एवं वाइट क्ले निकाली जाएगी। प्रतिवर्ष 43713 टन खुदाई का माइनिंग प्लान बताया गया है। जैसे ही यह सूचना सार्वजनिक हुई लोगों में आक्रोश फैल गया।
राम वन गमन पथ का हिस्सा है सिद्धा पहाड़ जिस धार्मिक महत्व के सिद्धा पहाड़ पर खनन अनुमति देने की तैयारी शासन स्तर से चल रही है वह राम वन गमन पथ का हिस्सा है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मझगवां के अपने कार्यक्रम में इसे संरक्षित करने की बात कह चुके हैं। ऐसे में जिला स्तर से विभिन्न विभागों और अधिकारियों ने किस तरीके से इसे खनन अनुमति के लिये आगे तक भेजा अपने आप में बड़े सवाल है।
पुरातत्व विभाग ने अपने प्रतिवेदन में इसका महत्व माना पुरातत्व विभाग ने इसके धार्मिक महत्व को स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया है। खुद संचालनालय पुरातत्व विभाग ने नवम्बर 2015 को जारी राम वन गमन पथ परिक्रमा मार्ग का पुरातत्वीय सर्वेक्षण प्रतिवेदन जो जारी किया था उसमें इसके महत्व को प्रमुखता से उल्लेखित किया था। प्रभारी अधिकारी सर्वेक्षण आशुतोष उपरीत और प्रभारी अधिकारी प्रकाशन एवं संरक्षण डॉ रमेश चंद्र यादव ने अपने प्रतिवेदन में सिद्धा पहाड़ के बारे में स्पष्ट लिखा है। कहा है कि इसी स्थल पर श्रीरा ने भुजा उठाकर निश्चर विहीन पृथ्वी करने का प्रण लिया था। आगे यह भी जोड़ा है कि यह पहाड़ धार्मिक महत्व का है। किन्तु इस पर हुए खनन कार्यों से पूरा पहाड़ ही विनष्ट हो रहा है। जिससे न केवल धार्मिक आस्थाएं प्रभावित होंगी अपितु पर्यावरणीय असंतुलन की भी संभावना है।
दो कलेक्टर ने खनन पर लगाई थी रोक जानकारों के अनुसार तत्कालीन कलेक्टर सुखबीर सिंह ने सिद्धा पहाड़ से लगी खनन लीजों को निरस्त कर दिया था। इनके बाद आए तत्कालीन कलेक्टर केके खरे ने इस पूरे क्षेत्र को खनन मुक्त क्षेत्र घोषित किया था। ऐसे में आज की स्थिति में किस तरह यहां खनन संक्रिया के लिये प्रस्ताव चला गया अपने में बड़ा सवाल है।
IMAGE CREDIT: patrika चित्रकूट विधायक नीलांशु ने लिखा कलेक्टर को पत्र चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने कलेक्टर अनुराग वर्मा को पत्र लिख कर सिद्धा पहाड़ में खनन परियोजना पर रोक लगाने की बात कही है।रामायण काल में इस पहाड़ पर राम की प्रतिज्ञा का उल्लेख करते हुए बताया कि मान्यता है कि यह पहाड़ ऋषियों की अस्थियों के ढेर से बना है। यह भी बताया कि बाघों के विचरण स्थल में शामिल इस क्षेत्र में अभयारण्य प्रस्तावित है। यह राम वन गमन पथ का हिस्सा है। ऐसे में यहां खनन अनुमति मिलने से भारतीय हिन्दू सनातनियों की आस्था पर चोट होगी। चेताया है कि अगर यहां प्रस्तावित खनन अनुमति की कार्यवाही को नहीं रोका गया तो इसके विरोध में विशाल जन आंदोलन किया जाएगा जिसकी पूरी जवाबदारी जिला प्रशासन की होगी।
IMAGE CREDIT: patrika ऋषि मुनियों के अवशेष का खनन बर्दाश्त नहीं: नारायण त्रिपाठी मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा कि चित्रकूट की वह पवित्र भूमि सिद्धा पहाड़ जहां से भगवान श्री राम ने शपथ ली थी कि वे निशाचरों का नाश कर ऋषि मुनियों की रक्षा कर धर्म की स्थापना करेंगे। जिस तपोभूमि से भगावन श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। आज उसी पवित्र भूमि जहां के प्रमाण हमारे शास्त्रों में मौजूद है। सिद्धा पहाड़ जिसका वर्णन हमारे रामायण में वर्णित है कि राक्षसों ने हमारे ऋषि मुनियों की हत्याएं कर उनकी अस्थियों मास मज़्ज़ा से पहाड़ का टीला बनाया उसी आस्था के केंद्र को आज सरकारें खनन कारोबारियों के हवाले करने जा रही है। यह क्षेत्र की जनता हरगिज बर्दाश्त करने वाली नही। स्वयं माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने क्षेत्र में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पूर्व में सिद्धा पहाड़ का गुणगान किया था और आज उसी पहाड़ को खनन कारोबारियों को सौंपना समझ से परे है जो किसी भी कीमत में नही होने दिया जाएगा। सिद्धा पहाड़ के लिये विकट लड़ाई का आगाज कर ईट से ईंट बजाने का कार्य हर स्तर पर किया जाएगा। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है निर्णय: विधायक रैगांव कल्पना रैगांव विधायक कल्पना वर्मा ने जारी बयान में कहा है कि भगवान श्री राम की तपोभूमि “सिद्धा पहाड” को जिस प्रकार से मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने लीज स्वीकृत कर उसे नष्ट करने की योजना बनाई है, वह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। ये राम भक्तों की आस्था के साथ कुठराघात है। इससे स्पष्ट है कि भगवान राम के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टी के लोगो की वास्तविक मंशा क्या है। मैं सरकार के इस निर्णय का निंदा करती हूं।
बोली कांग्रेस, लीज निरस्त करें मुख्यमंत्री जिला कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भगवान राम की तपोभूमि सिद्धा पहाड़ में लीज स्वीकृत करना आस्था पर हमला है। प्रदेश सरकार ने इस पवित्र स्थल पर लीज स्वीकृत कर उसे नष्ट करने की जो साजिश रची है उसे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जायेगा। कहा, अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से प्रदेश की भाजपा सरकार ने उक्त धार्मिक स्थान पर लीज स्वीकृत कर उसे नष्ट करने की जो स्वीकृति प्रदान करने जा रही है की है वह देश के करोड़ों करोड़ राम भक्तों की छाती पर कुदाली चलाने जैसा है। मुख्यमंत्री से यह लीज निरस्त करने की मांग की है।
आंदोलन की तैयारी के लिये बैठकें शुरू उधर कांग्रेस नेता रीतेश त्रिपाठी ने कहा कि राम के नाम पर रोटी सेंकने वाली भाजपा राम के पवित्र स्थलों को ही नष्ट करने पर तुली है। क्षेत्रीय जनमानस इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने इसके लिये स्थानीय लोगों के साथ बैठके कर आंदोलन की तैयारी प्रारंभ कर दी है।
भगवान राम ने यहीं की थी प्रतिज्ञा…
रामचरित मानस में अरण्य कांड में उल्लेख है कि भगवान राम जब चित्रकूट से आगे की ओर बढ़े तो सिद्धा पहाड़ मिला, यह पहाड़ अस्थियों का था। तब राम को मुनियों ने बताया कि राक्षस कई मुनियों को खा गए हैं और यह अस्थियां उन्हीं मुनियों की हैं। भगवान राम ने यहीं पर राक्षसों के विनाश की प्रतिज्ञा ली थी।
निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।
सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह।।
भावार्थ यह है कि इसके बाद श्रीराम ने भुजा उठाकर प्रण किया कि मैं पृथ्वी को राक्षसों से रहित कर दूूंगा। फिर समस्त मुनियों के आश्रमों में जा-जाकर उन्होंने ऋषि मुनियों को दर्शन एवं सम्भाषण का सुख दिया। स्थानीय लोगों में इस पहाड़ को लेकर बहुत आस्था है। यहां खनन अनुमति की तैयारी की जानकारी मिलते ही चित्रकूट के साधु संतों में भी आक्रोश फैल गया है।
यह है मामला धार्मिक महत्व के सिद्धा पहाड़ पहाड़ पर खनन करने के लिये मे. राकेश एजेन्सीज, पार्टनर श्याम बंसल ने पर्यावरणीय अनुमति (ईसी) के लिये आवेदन दिया था। लेकिन जिला स्तर पर इस पहाड़ के धार्मिक महत्वों की अनदेखी करते हुए प्रकरणों को बिना रोक टोक के शासन स्तर तक पहुंचाया गया। इसके बाद अब ईसी के लिये क्षेत्रीय कार्यालय म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लोक सुनवाई की सूचना जारी कर दी। जिसमें बताया गया है कि इस पहाड़ को खोद करके बाक्साइड, लेटराइट, ओकर एवं वाइट क्ले निकाली जाएगी। प्रतिवर्ष 43713 टन खुदाई का माइनिंग प्लान बताया गया है। जैसे ही यह सूचना सार्वजनिक हुई लोगों में आक्रोश फैल गया।
राम वन गमन पथ का हिस्सा है सिद्धा पहाड़ जिस धार्मिक महत्व के सिद्धा पहाड़ पर खनन अनुमति देने की तैयारी शासन स्तर से चल रही है वह राम वन गमन पथ का हिस्सा है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मझगवां के अपने कार्यक्रम में इसे संरक्षित करने की बात कह चुके हैं। ऐसे में जिला स्तर से विभिन्न विभागों और अधिकारियों ने किस तरीके से इसे खनन अनुमति के लिये आगे तक भेजा अपने आप में बड़े सवाल है।
पुरातत्व विभाग ने अपने प्रतिवेदन में इसका महत्व माना पुरातत्व विभाग ने इसके धार्मिक महत्व को स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया है। खुद संचालनालय पुरातत्व विभाग ने नवम्बर 2015 को जारी राम वन गमन पथ परिक्रमा मार्ग का पुरातत्वीय सर्वेक्षण प्रतिवेदन जो जारी किया था उसमें इसके महत्व को प्रमुखता से उल्लेखित किया था। प्रभारी अधिकारी सर्वेक्षण आशुतोष उपरीत और प्रभारी अधिकारी प्रकाशन एवं संरक्षण डॉ रमेश चंद्र यादव ने अपने प्रतिवेदन में सिद्धा पहाड़ के बारे में स्पष्ट लिखा है। कहा है कि इसी स्थल पर श्रीरा ने भुजा उठाकर निश्चर विहीन पृथ्वी करने का प्रण लिया था। आगे यह भी जोड़ा है कि यह पहाड़ धार्मिक महत्व का है। किन्तु इस पर हुए खनन कार्यों से पूरा पहाड़ ही विनष्ट हो रहा है। जिससे न केवल धार्मिक आस्थाएं प्रभावित होंगी अपितु पर्यावरणीय असंतुलन की भी संभावना है।
दो कलेक्टर ने खनन पर लगाई थी रोक जानकारों के अनुसार तत्कालीन कलेक्टर सुखबीर सिंह ने सिद्धा पहाड़ से लगी खनन लीजों को निरस्त कर दिया था। इनके बाद आए तत्कालीन कलेक्टर केके खरे ने इस पूरे क्षेत्र को खनन मुक्त क्षेत्र घोषित किया था। ऐसे में आज की स्थिति में किस तरह यहां खनन संक्रिया के लिये प्रस्ताव चला गया अपने में बड़ा सवाल है।
बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है निर्णय: विधायक रैगांव कल्पना रैगांव विधायक कल्पना वर्मा ने जारी बयान में कहा है कि भगवान श्री राम की तपोभूमि “सिद्धा पहाड” को जिस प्रकार से मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने लीज स्वीकृत कर उसे नष्ट करने की योजना बनाई है, वह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। ये राम भक्तों की आस्था के साथ कुठराघात है। इससे स्पष्ट है कि भगवान राम के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टी के लोगो की वास्तविक मंशा क्या है। मैं सरकार के इस निर्णय का निंदा करती हूं।
बोली कांग्रेस, लीज निरस्त करें मुख्यमंत्री जिला कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भगवान राम की तपोभूमि सिद्धा पहाड़ में लीज स्वीकृत करना आस्था पर हमला है। प्रदेश सरकार ने इस पवित्र स्थल पर लीज स्वीकृत कर उसे नष्ट करने की जो साजिश रची है उसे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जायेगा। कहा, अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से प्रदेश की भाजपा सरकार ने उक्त धार्मिक स्थान पर लीज स्वीकृत कर उसे नष्ट करने की जो स्वीकृति प्रदान करने जा रही है की है वह देश के करोड़ों करोड़ राम भक्तों की छाती पर कुदाली चलाने जैसा है। मुख्यमंत्री से यह लीज निरस्त करने की मांग की है।
आंदोलन की तैयारी के लिये बैठकें शुरू उधर कांग्रेस नेता रीतेश त्रिपाठी ने कहा कि राम के नाम पर रोटी सेंकने वाली भाजपा राम के पवित्र स्थलों को ही नष्ट करने पर तुली है। क्षेत्रीय जनमानस इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने इसके लिये स्थानीय लोगों के साथ बैठके कर आंदोलन की तैयारी प्रारंभ कर दी है।