प्रत्याशियों के लिए मुश्किल भरा सफर, 'खफा' मतदाता की सिर्फ माहौल पर नजर | Difficult journey for the candidates, 'upset' voters only keep an eye | News 4 Social h3>
लल्लूराम, रामजीलाल, मंगतूराम और कजोड़मल को तो कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी तक की जानकारी नहीं थी। क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा करते ही उन्होंने कहा कि इन कामों की परवाह किसे है ? सरपंच हो..विधायक हो या सांसद..। सब चुनाव के समय ही घूमते हैं। जीतने के बाद कोई जनप्रतिनिधि नहीं आता। राजगढ़ से अलवर की ओर चलने पर छोटूलाल ने कहा कि उनके यहां रोजगार के साधन ही नहीं है। कोई भी सरकार आए, इन मुद्दों पर बात करने वाला कोई है ही नहीं। यहीं उनके साथ बैठी सीमा ने कहा कि उनके घरों में एक बूंद पानी नहीं आता। चुनाव में बात कहते हैं मगर जीतने के बाद वो उनके..और हम हमारे जैसा माहौल हो जाता है। लोकसभा चुनाव में माहौल के लिए पूछने पर इन्होंने कहा कि इसका इंतजार मतदान के दिन तक करना होगा। अंतिम दिनों में इसी आधार पर वोट देंगे…उम्मीद इन्हें किसी से नहीं है। लक्ष्मणगढ़ विधानसभा के मालाखेड़ा कस्बे से तीन किलोमीटर आगे सड़क किनारे एक छोटी दुकान पर बैठे कलसाणा गांव के विजेन्द्र, हरिकिशन और शैलेन्द्र ने कहा कि गांवों में जाकर देखिये नाली भी साफ नहीं होती, सड़कें नहीं है। कोई गिरे…चाहे कुछ भी हो..सब वोट लेने ही आते हैं। फिलहाल किसे मतदान करना है, इसका मानस इन्होंने भी नहीं बनाया। किशनगढ़ बास उपखण्ड कार्यालल में खेरथल से आये लक्ष्मीनारायण, हरिकिशन, सरपंच प्रतिनिधि अशोक कुमार आदि ने बताया की आठ साल से पेयजल की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। यहां ओवरब्रिज की जरूरत है। माहौल के बजाय स्थानीय राजनीति और जातिगत समीकरण का असर नजर आया। तिजारा में माहौल का चुनाव है।जनता में जोश नहीं है। इस चुनाव में विकास के मुद्दों की बात नहीं है लेकिन गाँवो की सड़कों, अस्पतालो में डॉक्टर्स, जांच और प्रसव सुविधाओं की कमी यहां है। भिवाड़ी में नगर परिषद की उठापटक का असर देखने में आया। हरियाणा की ओर से पानी रोकने, ओद्योगिक क्षेत्र में जल के शोधन, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और टोल के यहां मुद्दे हैं। अलवर शहर के गांधी चौक पर लोगों ने कहा की शहर के लोगों में मुद्दों की बात नहीं हो रही। लोग बोले ये बातें तो स्थानीय चुनाव में होती है, यह तो देश का चुनाव है, जो देश के मुद्दों पर ही लड़ा जाता है।
… रोचक रहेगा चुनावी दंगल अलवर जिले में11 विधानसभा सीट हैं। जिसमें छह कांग्रेस और पांच भाजपा के पास है। अलवर लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभा सीट आती है। इनमें पांच पर कांग्रेस और तीन पर भाजपा का कब्जा है। शेष तीन सीटों में बानसूर सीट जयपुर ग्रामीण, कठूमर सीट भरतपुर और थानागाजी सीट दौसा लोकसभा क्षेत्र में आती है। विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो इस बार यहां चुनावी दंगल रोचक नजर आ सकता है। भाजपा से यहां केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और कांग्रेस से मुंडावर विधायक ललित यादव चुनावी मैदान में है।
जूली, जितेन्द्र, संजय शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर भाजपा जहां पेपर लीक पर हुई कार्रवाई, ईआरसीपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामों के दम पर जनता के बीच जा रही है। तो वहीं कांग्रेस स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार के साथ ही राजस्थान की मौजूदा भाजपा सरकार को विफल बताते हुए जनता से वोट की अपील कर रही है। मतदाता मौन है, ऐसे में दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है। यह चुनाव भले ही भूपेन्द्र यादव और ललित यादव के बीच हो लेकिन जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेन्द्र और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित भाजपा के दिग्गज नेता राजस्थान सरकार में मंत्री संजय शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।
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लल्लूराम, रामजीलाल, मंगतूराम और कजोड़मल को तो कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी तक की जानकारी नहीं थी। क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा करते ही उन्होंने कहा कि इन कामों की परवाह किसे है ? सरपंच हो..विधायक हो या सांसद..। सब चुनाव के समय ही घूमते हैं। जीतने के बाद कोई जनप्रतिनिधि नहीं आता। राजगढ़ से अलवर की ओर चलने पर छोटूलाल ने कहा कि उनके यहां रोजगार के साधन ही नहीं है। कोई भी सरकार आए, इन मुद्दों पर बात करने वाला कोई है ही नहीं। यहीं उनके साथ बैठी सीमा ने कहा कि उनके घरों में एक बूंद पानी नहीं आता। चुनाव में बात कहते हैं मगर जीतने के बाद वो उनके..और हम हमारे जैसा माहौल हो जाता है। लोकसभा चुनाव में माहौल के लिए पूछने पर इन्होंने कहा कि इसका इंतजार मतदान के दिन तक करना होगा। अंतिम दिनों में इसी आधार पर वोट देंगे…उम्मीद इन्हें किसी से नहीं है। लक्ष्मणगढ़ विधानसभा के मालाखेड़ा कस्बे से तीन किलोमीटर आगे सड़क किनारे एक छोटी दुकान पर बैठे कलसाणा गांव के विजेन्द्र, हरिकिशन और शैलेन्द्र ने कहा कि गांवों में जाकर देखिये नाली भी साफ नहीं होती, सड़कें नहीं है। कोई गिरे…चाहे कुछ भी हो..सब वोट लेने ही आते हैं। फिलहाल किसे मतदान करना है, इसका मानस इन्होंने भी नहीं बनाया। किशनगढ़ बास उपखण्ड कार्यालल में खेरथल से आये लक्ष्मीनारायण, हरिकिशन, सरपंच प्रतिनिधि अशोक कुमार आदि ने बताया की आठ साल से पेयजल की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। यहां ओवरब्रिज की जरूरत है। माहौल के बजाय स्थानीय राजनीति और जातिगत समीकरण का असर नजर आया। तिजारा में माहौल का चुनाव है।जनता में जोश नहीं है। इस चुनाव में विकास के मुद्दों की बात नहीं है लेकिन गाँवो की सड़कों, अस्पतालो में डॉक्टर्स, जांच और प्रसव सुविधाओं की कमी यहां है। भिवाड़ी में नगर परिषद की उठापटक का असर देखने में आया। हरियाणा की ओर से पानी रोकने, ओद्योगिक क्षेत्र में जल के शोधन, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और टोल के यहां मुद्दे हैं। अलवर शहर के गांधी चौक पर लोगों ने कहा की शहर के लोगों में मुद्दों की बात नहीं हो रही। लोग बोले ये बातें तो स्थानीय चुनाव में होती है, यह तो देश का चुनाव है, जो देश के मुद्दों पर ही लड़ा जाता है।
… रोचक रहेगा चुनावी दंगल अलवर जिले में11 विधानसभा सीट हैं। जिसमें छह कांग्रेस और पांच भाजपा के पास है। अलवर लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभा सीट आती है। इनमें पांच पर कांग्रेस और तीन पर भाजपा का कब्जा है। शेष तीन सीटों में बानसूर सीट जयपुर ग्रामीण, कठूमर सीट भरतपुर और थानागाजी सीट दौसा लोकसभा क्षेत्र में आती है। विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो इस बार यहां चुनावी दंगल रोचक नजर आ सकता है। भाजपा से यहां केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और कांग्रेस से मुंडावर विधायक ललित यादव चुनावी मैदान में है।
जूली, जितेन्द्र, संजय शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर भाजपा जहां पेपर लीक पर हुई कार्रवाई, ईआरसीपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामों के दम पर जनता के बीच जा रही है। तो वहीं कांग्रेस स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार के साथ ही राजस्थान की मौजूदा भाजपा सरकार को विफल बताते हुए जनता से वोट की अपील कर रही है। मतदाता मौन है, ऐसे में दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है। यह चुनाव भले ही भूपेन्द्र यादव और ललित यादव के बीच हो लेकिन जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेन्द्र और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित भाजपा के दिग्गज नेता राजस्थान सरकार में मंत्री संजय शर्मा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।