पोल-पेड़ ने रोका सबसे बड़े आउटर नाले का निर्माण
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मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता।
शहर के सबसे बड़े सिकंदरपुर आउटर नाले का निर्माण बिजली के पोल और पेड़ ने रोक रखा है। बीते छह महीने से संबंधित महकमों से एनओसी लेने का ही प्रयास हो रहा है। रिमाइंडर के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ।
लकड़ीढाई, सिकंदरपुर से लेकर रोहुआ गांव होते हुए मणिका मन तक करीब सात किमी नाला बनना है। इसके रास्ते में सौ से अधिक बिजली के पोल के अलावा 130 से अधिक पेड़ हैं। इनमें बड़े पेड़ों की संख्या 20 है। इसके चलते कई इलाकों में नाला निर्माण रुका है।
दरअसल, सिकंदरपुर आउटर नाले के जरिए शहर के बड़े हिस्से का पानी बाहर निकलेगा। लोगों को जलजमाव के राहत मिलेगी। फिलहाल सिकंदरपुर, लकड़ीढ़ाई समेत कई इलाकों में दो महीने तक जलजमाव की समस्या गंभीर बनी रहती है। नाला का निर्माण पूरा नहीं होने से इस बार भी बरसात में लोगों को जलजमाव झेलनी होगी।
अमृत योजना के तहत बुडको बना रहा नाला
पांच साल पहले अमृत योजना से इस आउटर नाले के निर्माण का निर्णय लिया गया। निर्माण की जिम्मेवारी बुडको को मिली है। दो महीने पहले रोहुआ में ग्रामीणों के विरोध के बाद नाला का काम बंद है। लोग खुला नाला के बदले बंद नाला की मांग कर रहे हैं।
एसटीपी से जोड़ा जाएगा नाला
सिकंदरपुर आउटर नाला को मुशहरी में कृषि फॉर्म में बन रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से जोड़ा जाएगा। वहां नाले के गंदा पानी को साफ कर जलस्रोतों में बहाया जाएगा। स्थानीय लोग मणिका मन में पानी बहाने का विरोध कर रहे हैं। इसके बदले साफ पानी को करीब दो किमी दूर नदी में बहाने को कहा जा रहा है।
::::: बयान :::::
‘सिकंदरपुर आउटर नाले के रास्ते में पेड़ या पोल होने से काम प्रभावित हो रहा है। रोहुआ गांव में विरोध के बाद समस्या के समाधान को लेकर जिला प्रशासन के स्तर से भी पहल किया जा रहा है। बंद नाले के निर्माण पर विचार हो रहा है। जरुरत होने पर एस्टीमेंट में संशोधन होगा। – अबुल कलाम आजाद, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, बुडको (मुख्यालय)
:::: बयान ::::
‘दो दिन पहले पोल शिफ्टिंग करने के लिए बिजली विभाग से कार्यादेश मिला है। इसमें थोड़ा समय लगेगा। बारिश होने पर देरी हो सकती है। आवश्यकता के अनुसार पोल हटाते हुए काम को आगे बढ़ाया जाएगा। हालांकि पेड़ों को लेकर अब तक एनओसी से जुड़ी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। – निर्माण से जुड़े एक अधिकारी
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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शहर के सबसे बड़े सिकंदरपुर आउटर नाले का निर्माण बिजली के पोल और पेड़ ने रोक रखा है। बीते छह महीने से संबंधित महकमों से एनओसी लेने का ही प्रयास हो रहा है। रिमाइंडर के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ।
लकड़ीढाई, सिकंदरपुर से लेकर रोहुआ गांव होते हुए मणिका मन तक करीब सात किमी नाला बनना है। इसके रास्ते में सौ से अधिक बिजली के पोल के अलावा 130 से अधिक पेड़ हैं। इनमें बड़े पेड़ों की संख्या 20 है। इसके चलते कई इलाकों में नाला निर्माण रुका है।
दरअसल, सिकंदरपुर आउटर नाले के जरिए शहर के बड़े हिस्से का पानी बाहर निकलेगा। लोगों को जलजमाव के राहत मिलेगी। फिलहाल सिकंदरपुर, लकड़ीढ़ाई समेत कई इलाकों में दो महीने तक जलजमाव की समस्या गंभीर बनी रहती है। नाला का निर्माण पूरा नहीं होने से इस बार भी बरसात में लोगों को जलजमाव झेलनी होगी।
अमृत योजना के तहत बुडको बना रहा नाला
पांच साल पहले अमृत योजना से इस आउटर नाले के निर्माण का निर्णय लिया गया। निर्माण की जिम्मेवारी बुडको को मिली है। दो महीने पहले रोहुआ में ग्रामीणों के विरोध के बाद नाला का काम बंद है। लोग खुला नाला के बदले बंद नाला की मांग कर रहे हैं।
एसटीपी से जोड़ा जाएगा नाला
सिकंदरपुर आउटर नाला को मुशहरी में कृषि फॉर्म में बन रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से जोड़ा जाएगा। वहां नाले के गंदा पानी को साफ कर जलस्रोतों में बहाया जाएगा। स्थानीय लोग मणिका मन में पानी बहाने का विरोध कर रहे हैं। इसके बदले साफ पानी को करीब दो किमी दूर नदी में बहाने को कहा जा रहा है।
::::: बयान :::::
‘सिकंदरपुर आउटर नाले के रास्ते में पेड़ या पोल होने से काम प्रभावित हो रहा है। रोहुआ गांव में विरोध के बाद समस्या के समाधान को लेकर जिला प्रशासन के स्तर से भी पहल किया जा रहा है। बंद नाले के निर्माण पर विचार हो रहा है। जरुरत होने पर एस्टीमेंट में संशोधन होगा। – अबुल कलाम आजाद, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, बुडको (मुख्यालय)
:::: बयान ::::
‘दो दिन पहले पोल शिफ्टिंग करने के लिए बिजली विभाग से कार्यादेश मिला है। इसमें थोड़ा समय लगेगा। बारिश होने पर देरी हो सकती है। आवश्यकता के अनुसार पोल हटाते हुए काम को आगे बढ़ाया जाएगा। हालांकि पेड़ों को लेकर अब तक एनओसी से जुड़ी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। – निर्माण से जुड़े एक अधिकारी
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