पूर्णिया में सज गया चुनावी मैदान; संतोष कुशवाहा, बीमा भारती और पप्पू यादव के बीच घमासान h3>
पूर्णिया में चुनावी मैदान सज गया है। सात योद्धाओं के बीच घमासान होने वाला है। पांच दलीय प्रत्याशियों के अलावा तीन निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। पूर्णिया लोकसभा सीट से संतोष कुशवाहा (जदयू), बीमा भारती (राजद), पप्पू यादव (निर्दलीय) के अलावा अरुण दास (बसपा), किशोर कुमार यादव (फॉरवर्ड ब्लाक), नौमान आलम और सत्येंद्र यादव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में डटे हैं। नाम वापसी की अवधि खत्म होने के बाद चुनावी मैदान की तस्वीर साफ हो गई है। जदयू के संतोष कुशवाहा, राजद की बीमा भारती और निर्दलीय पप्पू यादव के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है। मुसलमान बहुल इस सीट पर इस बार मैदान में सिर्फ एक अल्पसंख्यक प्रत्याशी हैं। राजद ने महिला प्रत्याशी को उतारा है। ओवैसी की पार्टी ने पूर्णिया और लोकसभा सीट से एक भी प्रत्याशी को नहीं उतारा है।
पूर्णिया की पिच के पुराने खिलाड़ी हैं संतोष कुशवाहा और पप्पू यादव
पूर्णिया लोकसभा की पिच पर संतोष कुशवाहा और पप्पू यादव पुराने खिलाड़ी हैं। 2010 में बीजेपी के टिकट पूर्णिया जिले की बायसी विधानसभा सीट से विधायक बनने के बाद संतोष कुशवाहा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू से जीतकर लगातार दो बार सांसद बन चुके हैं। बायसी सीट किशनगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है। 2024 के चुनाव में जदयू फिर एनडीए का हिस्सा है। संतोष कुशवाहा नीतीश के काफी भरोसेमंद बन चुके हैं और उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। पिछले साल दिसंबर में जब दिल्ली में जेडीयू अध्यक्ष पद से ललन सिंह ने इस्तीफा दिया और नीतीश कुमार ने फिर से पार्टी की कमान संभाली तब रात में पार्टी नेताओं के लिए डिनर की मेजबानी संतोष कुशवाहा को सौंपी गई थी।
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पप्पू यादव भी तीन बार पूर्णिया से सांसद रह चुके हैं। पप्पू यादव मधेपुरा जिले की सिंहेश्वर सीट से 1990 में निर्दलीय विधायक बनने के अगले ही साल पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ गए। 1991 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा से निर्दलीय चुनाव जीत गए। 1996 में वो मुलायम सिंह यादव की सपा के सिंबल पर लड़े और जीते। फिर 2004 और 2014 का चुनाव मधेपुरा सीट से बतौर आरजेडी कैंडिडेट जीते। उसके बाद से चुनावी जीत के लिए पप्पू तरस रहे हैं और इसलिए इस बार अपनी पुरानी सीट पूर्णिया से लड़ रहे हैं। कांग्रेस से लड़ना चाहते थे लेकिन सीट महागठबंधन में आरजेडी के पास चली गई। कांग्रेस ना टिकट दे सकी और ना ही दोस्ताना मुकाबले के लिए सिंबल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा लेकिन पप्पू अनसुना करके मैदान में डट गए हैं।
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बीमा भारती लोकसभा की पिच पर नयी हैं। मगर जिले की राजनीति में वो पुराना नाम हैं। पूर्णिया जिले और लोकसभा के अंदर आने वाली रुपौली विधानसभा सीट से वो पांच बार की विधायक हैं और लगातार चार बार से जीत रही हैं। पप्पू यादव की तरह बीमा ने भी 2000 के विधानसभा चुनाव में पहली बार निर्दलीय जीत दर्ज की थी। बीमा के पति अवधेश मंडल इलाके के डॉन हैं और एक बार जब पुलिस ने पकड़ लिया था तो उन्हें पुलिस की हिरासत से भगाने में जेडीयू सांसद संतोष कुशवाहा पर बीमा भारती की मदद करने का आरोप लगा था। 2005 के विधानसभा चुनाव में बीमा आरजेडी के टिकट पर जीती लेकिन उसके बाद जेडीयू में चली गई और 2010, 2015 और 2020 का चुनाव जेडीयू से जीती। पिछले महीने ही बीमा जेडीयू छोड़कर आरजेडी में आई हैं और लालू यादव ने उन्हें राजद के लिए पहली बार पूर्णिया जीतने का टास्क दिया है।
पांच लाख अल्पसंख्यक और पांच लाख दलित वोटरों की होगी अहम भूमिका
पूर्णिया लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 25 अप्रैल को 18.90 लाख वोटर इन सात कैंडिडेट के चुनावी भाग्य का फैसला करेंगे। यहां 55 फीसदी हिन्दू जबकि 45 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। हिन्दू मतदाताओं में करीब पांच लाख एससी-एसटी, बीसी और ओबीसी मतदाता हैं। यादव डेढ़ लाख, ब्राह्मण सवा लाख और राजपूत सवा लाख से अधिक हैं। एक लाख अन्य जातियों के मतदाता भी हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 5 लाख है। कसबा, कोढ़ा और बनमनखी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है। बनमनखी में वैसे यादव मतदाता सबसे ज्यादा हैं।
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ब्राह्मण और राजपूत मतदाता धमदाहा, रुपौली और पूर्णिया में प्रभावी हैं। एससी-एसटी, बीसी और ओबीसी मतदाता बनमनखी और कोढ़ा में अधिक हैं। इस सीट पर मुस्लिम और यादव वोटर गोलबंद हो सकते हैं जो लालू यादव का माय फैक्टर है। हालांकि, एससी-एसटी, बीसी और ओबीसी वोटर भी काफी हैं, जिनकी इस चुनाव में अहम भूमिका होगी। ब्राह्मण और राजपूत वोटरों की भूमिका भी निर्णायक रहेगी।
पूर्णिया लोकसभा से ये हैं सात प्रत्याशी
पूर्णिया लोकसभा सीट से संतोष कुशवाहा (जदयू), बीमा भारती (राजद), अरुण दास (बसपा), किशोर कुमार यादव (फॉरवर्ड ब्लाक), पप्पू यादव (निर्दलीय), नौमान आलम (निर्दलीय और सत्येंद्र यादव (निर्दलीय) मैदान में बचे रह गए हैं। अनुमान है कि पूर्णिया का मुख्य मुकाबला संतोष कुशवाहा, बीमा भारती और पप्पू यादव के बीच होगा।
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पूर्णिया में चुनावी मैदान सज गया है। सात योद्धाओं के बीच घमासान होने वाला है। पांच दलीय प्रत्याशियों के अलावा तीन निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। पूर्णिया लोकसभा सीट से संतोष कुशवाहा (जदयू), बीमा भारती (राजद), पप्पू यादव (निर्दलीय) के अलावा अरुण दास (बसपा), किशोर कुमार यादव (फॉरवर्ड ब्लाक), नौमान आलम और सत्येंद्र यादव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में डटे हैं। नाम वापसी की अवधि खत्म होने के बाद चुनावी मैदान की तस्वीर साफ हो गई है। जदयू के संतोष कुशवाहा, राजद की बीमा भारती और निर्दलीय पप्पू यादव के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है। मुसलमान बहुल इस सीट पर इस बार मैदान में सिर्फ एक अल्पसंख्यक प्रत्याशी हैं। राजद ने महिला प्रत्याशी को उतारा है। ओवैसी की पार्टी ने पूर्णिया और लोकसभा सीट से एक भी प्रत्याशी को नहीं उतारा है।
पूर्णिया की पिच के पुराने खिलाड़ी हैं संतोष कुशवाहा और पप्पू यादव
पूर्णिया लोकसभा की पिच पर संतोष कुशवाहा और पप्पू यादव पुराने खिलाड़ी हैं। 2010 में बीजेपी के टिकट पूर्णिया जिले की बायसी विधानसभा सीट से विधायक बनने के बाद संतोष कुशवाहा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू से जीतकर लगातार दो बार सांसद बन चुके हैं। बायसी सीट किशनगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है। 2024 के चुनाव में जदयू फिर एनडीए का हिस्सा है। संतोष कुशवाहा नीतीश के काफी भरोसेमंद बन चुके हैं और उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। पिछले साल दिसंबर में जब दिल्ली में जेडीयू अध्यक्ष पद से ललन सिंह ने इस्तीफा दिया और नीतीश कुमार ने फिर से पार्टी की कमान संभाली तब रात में पार्टी नेताओं के लिए डिनर की मेजबानी संतोष कुशवाहा को सौंपी गई थी।
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पप्पू यादव भी तीन बार पूर्णिया से सांसद रह चुके हैं। पप्पू यादव मधेपुरा जिले की सिंहेश्वर सीट से 1990 में निर्दलीय विधायक बनने के अगले ही साल पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ गए। 1991 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा से निर्दलीय चुनाव जीत गए। 1996 में वो मुलायम सिंह यादव की सपा के सिंबल पर लड़े और जीते। फिर 2004 और 2014 का चुनाव मधेपुरा सीट से बतौर आरजेडी कैंडिडेट जीते। उसके बाद से चुनावी जीत के लिए पप्पू तरस रहे हैं और इसलिए इस बार अपनी पुरानी सीट पूर्णिया से लड़ रहे हैं। कांग्रेस से लड़ना चाहते थे लेकिन सीट महागठबंधन में आरजेडी के पास चली गई। कांग्रेस ना टिकट दे सकी और ना ही दोस्ताना मुकाबले के लिए सिंबल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा लेकिन पप्पू अनसुना करके मैदान में डट गए हैं।
14 दिनों में टार्चर हुआ, लेकिन… पूर्णिया सीट से नामांकन करने के बाद ये क्या बोल गए पप्पू यादव
बीमा भारती लोकसभा की पिच पर नयी हैं। मगर जिले की राजनीति में वो पुराना नाम हैं। पूर्णिया जिले और लोकसभा के अंदर आने वाली रुपौली विधानसभा सीट से वो पांच बार की विधायक हैं और लगातार चार बार से जीत रही हैं। पप्पू यादव की तरह बीमा ने भी 2000 के विधानसभा चुनाव में पहली बार निर्दलीय जीत दर्ज की थी। बीमा के पति अवधेश मंडल इलाके के डॉन हैं और एक बार जब पुलिस ने पकड़ लिया था तो उन्हें पुलिस की हिरासत से भगाने में जेडीयू सांसद संतोष कुशवाहा पर बीमा भारती की मदद करने का आरोप लगा था। 2005 के विधानसभा चुनाव में बीमा आरजेडी के टिकट पर जीती लेकिन उसके बाद जेडीयू में चली गई और 2010, 2015 और 2020 का चुनाव जेडीयू से जीती। पिछले महीने ही बीमा जेडीयू छोड़कर आरजेडी में आई हैं और लालू यादव ने उन्हें राजद के लिए पहली बार पूर्णिया जीतने का टास्क दिया है।
पांच लाख अल्पसंख्यक और पांच लाख दलित वोटरों की होगी अहम भूमिका
पूर्णिया लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 25 अप्रैल को 18.90 लाख वोटर इन सात कैंडिडेट के चुनावी भाग्य का फैसला करेंगे। यहां 55 फीसदी हिन्दू जबकि 45 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। हिन्दू मतदाताओं में करीब पांच लाख एससी-एसटी, बीसी और ओबीसी मतदाता हैं। यादव डेढ़ लाख, ब्राह्मण सवा लाख और राजपूत सवा लाख से अधिक हैं। एक लाख अन्य जातियों के मतदाता भी हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 5 लाख है। कसबा, कोढ़ा और बनमनखी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है। बनमनखी में वैसे यादव मतदाता सबसे ज्यादा हैं।
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ब्राह्मण और राजपूत मतदाता धमदाहा, रुपौली और पूर्णिया में प्रभावी हैं। एससी-एसटी, बीसी और ओबीसी मतदाता बनमनखी और कोढ़ा में अधिक हैं। इस सीट पर मुस्लिम और यादव वोटर गोलबंद हो सकते हैं जो लालू यादव का माय फैक्टर है। हालांकि, एससी-एसटी, बीसी और ओबीसी वोटर भी काफी हैं, जिनकी इस चुनाव में अहम भूमिका होगी। ब्राह्मण और राजपूत वोटरों की भूमिका भी निर्णायक रहेगी।
पूर्णिया लोकसभा से ये हैं सात प्रत्याशी
पूर्णिया लोकसभा सीट से संतोष कुशवाहा (जदयू), बीमा भारती (राजद), अरुण दास (बसपा), किशोर कुमार यादव (फॉरवर्ड ब्लाक), पप्पू यादव (निर्दलीय), नौमान आलम (निर्दलीय और सत्येंद्र यादव (निर्दलीय) मैदान में बचे रह गए हैं। अनुमान है कि पूर्णिया का मुख्य मुकाबला संतोष कुशवाहा, बीमा भारती और पप्पू यादव के बीच होगा।