पूर्णिया में पप्पू सिंह ने बढ़ाई पप्पू यादव और बीमा भारती की टेंशन, बोले- ना इसको, ना उसको, नोटा विकल्प है h3>
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बिहार महागठबंधन के प्रमुख दल आरजेडी और कांग्रेस के बीच खींचतान की वजह पूर्णिया सीट से दो बार सांसद रह चुके उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने किसी भी कैंडिडेट का समर्थन या विरोध करने से मना कर दिया है। रसूखदार राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाले पप्पू सिंह का आशीर्वाद लेने लालू यादव की आरजेडी से कैंडिडेट बीमा भारती और कांग्रेस से टिकट ना मिलने के बाद निर्दलीय लड़ने की घोषणा कर चुके राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव गए थे लेकिन पप्पू सिंह ने किसी का समर्थन नहीं करने का ऐलान किया है। पप्पू सिंह ने पूर्णिया के लोगों से अपने विवेक पर वोट देने की अपील की है। पहली बार वोट देने वाले नए मतदाताओं से कहा है कि अगर उन्हें कोई कैंडिडेट पसंद नहीं आता है तो नोटा का बटन दबाना भी एक विकल्प है। पप्पू यादव और बीमा भारती पूर्णिया सीट जेडीयू सांसद संतोष कुशवाहा से छीनने के लिए मुकाबले में उतर रहगे हैं जो लगातार दो चुनाव से पप्पू सिंह को हरा रहे हैं।
पूर्व सांसद पप्पू सिंह ने कहा है कि ना वो किसी के पक्ष में हैं, ना वो किसी के विरोध में हैं। उन्होंने पूर्णिया की जनता से कहा है कि उसे जो ठीक लगे वो निर्णय ले। पहली बार वोट कर रहे वोटरों से पप्पू सिंह ने हालांकि खास तौर पर कहा है कि सबको देख लीजिए, कोई पसंद ना हो तो नोटा का भी विकल्प है, उसे भी इस्तेमाल कीजिए। पप्पू ने कहा कि वो सारे कैंडिडेट को शुभकामना देते हैं लेकिन ना किसी को आशीर्वाद दे रहे हैं और ना किसी से आशीर्वाद वापस ले रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पप्पू सिंह कांग्रेस में पप्पू यादव की एंट्री से काफी दुखी हैं और इस समय प्रशांत किशोर के जन सुराज के करीब जाते दिख रहे हैं।
पप्पू सिंह का परिवार: मां सांसद, भाई, बहन और बहनोई भी एमपी, बहन के ससुर सीएम रहे
पप्पू सिंह की मां माधुरी सिंह पूर्णिया सीट से 1980 और 1984 में दो बार कांग्रेस पार्टी से सांसद रह चुकी हैं। पप्पू सिंह खुद 2004 और 2009 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में पप्पू बीजेपी के टिकट पर लड़े लेकिन जेडीयू के संतोष कुशवाहा ने हरा दिया। 2019 में जेडीयू एनडीए में लौटती तो बीजेपी ने सीट दे दी। पप्पू 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े लेकिन संतोष कुशवाहा ने फिर हरा दिया। इस बार पप्पू सिंह ना लड़ रहे हैं और ना लड़ने वालों को समर्थन दे रहे हैं।
पप्पू यादव नहीं बैठेंगे, बोले- 24 दिन, 24 घंटे जुट जाएं मैदान में; 24 का चुनाव जीतेंगे पूर्णिया के सम्मान में
पप्पू सिंह छह भाई-बहन हैं। उनके बड़े भाई एनके सिंह रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान उनके ओएसडी थे। एनके सिंह जेडीयू से राज्यसभा सांसद भी रहे हैं और 2014 से भाजपा में हैं। उन्हें 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार ने 15वें वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया था जो कार्यकाल नवंबर 2023 में खत्म हो गया।
पप्पू की सबसे बड़ी बहन श्यामा सिंह छोटे साहब के नाम से मशहूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा की बहू थीं। श्यामा सिंह औरंगाबाद सीट से 1999 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनी थीं। इस सीट से सत्येंद्र नारायण सिन्हा सात बार सांसद चुने गए थे। पप्पू के बहनोई और श्यामा सिंह के पति निखिल कुमार रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं जो दिल्ली के पुलिस कमिश्नर, एनएसजी और आईटीबीपी के डीजी रह चुके हैं। निखिल 2004 में औरंगाबाद से लोकसभा पहुंचे।
आरजेडी और कांग्रेस में तकरार, निखिल कुमार बोले- पार्टी आदेश दे तो औरंगाबाद से लड़ूंगा चुनाव
केंद्र में कांग्रेस की दोबारा सरकार बनी तो निखिल कुमार को नगालैंड और केरल का राज्यपाल बनाया गया।निखिल इस बार भी औरंगाबाद से कांग्रेस के टिकट पर लड़ना चाहते थे लेकिन आरजेडी ने सीट बंटवारे के पहले ही जेडीयू छोड़कर आए अभय कुशवाहा को टिकट देकर लड़ा दिया।
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बिहार महागठबंधन के प्रमुख दल आरजेडी और कांग्रेस के बीच खींचतान की वजह पूर्णिया सीट से दो बार सांसद रह चुके उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने किसी भी कैंडिडेट का समर्थन या विरोध करने से मना कर दिया है। रसूखदार राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाले पप्पू सिंह का आशीर्वाद लेने लालू यादव की आरजेडी से कैंडिडेट बीमा भारती और कांग्रेस से टिकट ना मिलने के बाद निर्दलीय लड़ने की घोषणा कर चुके राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव गए थे लेकिन पप्पू सिंह ने किसी का समर्थन नहीं करने का ऐलान किया है। पप्पू सिंह ने पूर्णिया के लोगों से अपने विवेक पर वोट देने की अपील की है। पहली बार वोट देने वाले नए मतदाताओं से कहा है कि अगर उन्हें कोई कैंडिडेट पसंद नहीं आता है तो नोटा का बटन दबाना भी एक विकल्प है। पप्पू यादव और बीमा भारती पूर्णिया सीट जेडीयू सांसद संतोष कुशवाहा से छीनने के लिए मुकाबले में उतर रहगे हैं जो लगातार दो चुनाव से पप्पू सिंह को हरा रहे हैं।
पूर्व सांसद पप्पू सिंह ने कहा है कि ना वो किसी के पक्ष में हैं, ना वो किसी के विरोध में हैं। उन्होंने पूर्णिया की जनता से कहा है कि उसे जो ठीक लगे वो निर्णय ले। पहली बार वोट कर रहे वोटरों से पप्पू सिंह ने हालांकि खास तौर पर कहा है कि सबको देख लीजिए, कोई पसंद ना हो तो नोटा का भी विकल्प है, उसे भी इस्तेमाल कीजिए। पप्पू ने कहा कि वो सारे कैंडिडेट को शुभकामना देते हैं लेकिन ना किसी को आशीर्वाद दे रहे हैं और ना किसी से आशीर्वाद वापस ले रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पप्पू सिंह कांग्रेस में पप्पू यादव की एंट्री से काफी दुखी हैं और इस समय प्रशांत किशोर के जन सुराज के करीब जाते दिख रहे हैं।
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पप्पू सिंह की मां माधुरी सिंह पूर्णिया सीट से 1980 और 1984 में दो बार कांग्रेस पार्टी से सांसद रह चुकी हैं। पप्पू सिंह खुद 2004 और 2009 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में पप्पू बीजेपी के टिकट पर लड़े लेकिन जेडीयू के संतोष कुशवाहा ने हरा दिया। 2019 में जेडीयू एनडीए में लौटती तो बीजेपी ने सीट दे दी। पप्पू 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े लेकिन संतोष कुशवाहा ने फिर हरा दिया। इस बार पप्पू सिंह ना लड़ रहे हैं और ना लड़ने वालों को समर्थन दे रहे हैं।
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पप्पू की सबसे बड़ी बहन श्यामा सिंह छोटे साहब के नाम से मशहूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा की बहू थीं। श्यामा सिंह औरंगाबाद सीट से 1999 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनी थीं। इस सीट से सत्येंद्र नारायण सिन्हा सात बार सांसद चुने गए थे। पप्पू के बहनोई और श्यामा सिंह के पति निखिल कुमार रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं जो दिल्ली के पुलिस कमिश्नर, एनएसजी और आईटीबीपी के डीजी रह चुके हैं। निखिल 2004 में औरंगाबाद से लोकसभा पहुंचे।
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