पीलीभीत के धार्मिक स्थलों के निर्माण में गड़बड़ी का आरोप: ब्रह्मचारी घाट और गौरीशंकर मंदिर मार्ग के काम में अनियमितता, हिंदू महासभा ने मांगी जांच – Pilibhit News h3>
पीलीभीत29 मिनट पहले
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पीलीभीत के दो प्रमुख धार्मिक स्थलों—ब्रह्मचारी घाट और गौरीशंकर मंदिर मार्ग—के निर्माण कार्यों में भारी लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार को लेकर अखिल भारत हिन्दू महासभा ने नाराजगी जताई है। शुक्रवार को महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कार्यों की तकनीकी जांच और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की।
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महासभा ने ज्ञापन में आरोप लगाया कि ब्रह्मचारी घाट पर पर्यटन विभाग द्वारा करोड़ों की लागत से सौंदर्यीकरण और सीढ़ियों का निर्माण कराया जा रहा था। मार्च 2024 में योजना का शिलान्यास हुआ और जल्द ही कार्य भी शुरू हुआ। लेकिन जुलाई 2024 की बाढ़ में फाउंडेशन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और मिट्टी बह गई। उसके बाद लगभग एक वर्ष तक निर्माण बंद रहा।अब जबकि मानसून फिर से दस्तक दे चुका है, निर्माण को पुनः उसी संवेदनशील समय में शुरू कर दिया गया है। महासभा का कहना है कि यह कार्य जानबूझकर बरसात के समय शुरू कराए जाते हैं ताकि गुणवत्ता जांच न हो सके और सरकारी बजट की बंदरबांट की जा सके।
गौरीशंकर मंदिर मार्ग में WBM की जगह सीधा कंक्रीट डालने का आरोप
महासभा ने वंदन योजना के अंतर्गत आयुर्वेदिक कॉलेज से गौरीशंकर मंदिर तक बन रही सड़क पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। संगठन के अनुसार, इस सड़क के निर्माण में WBM (वॉटर बाउंड मैकेडम) प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। नियमों के अनुसार जहां अलग-अलग आकार के पत्थरों, रेत और पानी से मजबूत आधार तैयार होना चाहिए था, वहां सिर्फ सूखा पत्थर डालकर पॉलीथीन बिछा दी गई और उस पर सीधा कंक्रीट डाल दिया गया।इससे सड़क की मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं और तकनीकी मानकों की खुली अनदेखी मानी जा रही है। स्थानीय लोगों ने भी कार्य की घटिया गुणवत्ता को लेकर शिकायतें की हैं।
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घोटाले की आशंका, ठेकेदारों का भुगतान रोकने की मांग
महासभा ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इन दोनों मामलों में तत्काल उच्च स्तरीय तकनीकी जांच समिति गठित की जाए और जब तक जांच पूरी न हो, संबंधित ठेकेदारों का भुगतान रोका जाए। संगठन ने यह भी कहा है कि यदि सात दिन के भीतर कार्रवाई नहीं हुई, तो आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर के पास धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
आस्था के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
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महासभा ने ज्ञापन में स्पष्ट किया कि यह सिर्फ सरकारी धन की हानि का मामला नहीं, बल्कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता और जन आस्था के साथ खिलवाड़ भी है। संगठन ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों को किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
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पीलीभीत के दो प्रमुख धार्मिक स्थलों—ब्रह्मचारी घाट और गौरीशंकर मंदिर मार्ग—के निर्माण कार्यों में भारी लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार को लेकर अखिल भारत हिन्दू महासभा ने नाराजगी जताई है। शुक्रवार को महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कार्यों की तकनीकी जांच और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की।
महासभा ने ज्ञापन में आरोप लगाया कि ब्रह्मचारी घाट पर पर्यटन विभाग द्वारा करोड़ों की लागत से सौंदर्यीकरण और सीढ़ियों का निर्माण कराया जा रहा था। मार्च 2024 में योजना का शिलान्यास हुआ और जल्द ही कार्य भी शुरू हुआ। लेकिन जुलाई 2024 की बाढ़ में फाउंडेशन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और मिट्टी बह गई। उसके बाद लगभग एक वर्ष तक निर्माण बंद रहा।अब जबकि मानसून फिर से दस्तक दे चुका है, निर्माण को पुनः उसी संवेदनशील समय में शुरू कर दिया गया है। महासभा का कहना है कि यह कार्य जानबूझकर बरसात के समय शुरू कराए जाते हैं ताकि गुणवत्ता जांच न हो सके और सरकारी बजट की बंदरबांट की जा सके।
गौरीशंकर मंदिर मार्ग में WBM की जगह सीधा कंक्रीट डालने का आरोप
महासभा ने वंदन योजना के अंतर्गत आयुर्वेदिक कॉलेज से गौरीशंकर मंदिर तक बन रही सड़क पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। संगठन के अनुसार, इस सड़क के निर्माण में WBM (वॉटर बाउंड मैकेडम) प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। नियमों के अनुसार जहां अलग-अलग आकार के पत्थरों, रेत और पानी से मजबूत आधार तैयार होना चाहिए था, वहां सिर्फ सूखा पत्थर डालकर पॉलीथीन बिछा दी गई और उस पर सीधा कंक्रीट डाल दिया गया।इससे सड़क की मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं और तकनीकी मानकों की खुली अनदेखी मानी जा रही है। स्थानीय लोगों ने भी कार्य की घटिया गुणवत्ता को लेकर शिकायतें की हैं।
घोटाले की आशंका, ठेकेदारों का भुगतान रोकने की मांग
महासभा ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इन दोनों मामलों में तत्काल उच्च स्तरीय तकनीकी जांच समिति गठित की जाए और जब तक जांच पूरी न हो, संबंधित ठेकेदारों का भुगतान रोका जाए। संगठन ने यह भी कहा है कि यदि सात दिन के भीतर कार्रवाई नहीं हुई, तो आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर के पास धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
आस्था के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
महासभा ने ज्ञापन में स्पष्ट किया कि यह सिर्फ सरकारी धन की हानि का मामला नहीं, बल्कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता और जन आस्था के साथ खिलवाड़ भी है। संगठन ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों को किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।