पावापुरी बाजार – शेर पर सवार होकर महिषासुर का वध करती दिखेंगी मां दुर्गा

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पावापुरी बाजार – शेर पर सवार होकर महिषासुर का वध करती दिखेंगी मां दुर्गा
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पावापुरी बाजार – शेर पर सवार होकर महिषासुर का वध करती दिखेंगी मां दुर्गा


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पावापुरी बाजार में शेर पर सवार होकर महिषासुर का वध करती दिखेंगी मां दुर्गा
26 वर्षों से हो रही है मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना

वैदिक विधि विधान से होती है पूजा, उमड़ती है भारी भीड़

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कोलकाता के कारीगर बना रहे हैं पंडाल, लाइटिंग का होगा पुख्ता इंतजाम

फोटो

पावापुरी दुर्गा – मां दुर्गा की प्रतिमा

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पावापुरी, निज संवाददाता।

पावापुरी नगर पंचायत का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गा पूजा, महज एक उत्सव ही नहीं है, यह सामाजिक मेल-जोल बढ़ाने का भी सबसे बड़ा मौका होता है। पिछले 26 वर्षों से पावापुरी बाजार में मां दुर्गा का दरबार सजाकर पारंपरिक तरीके से पूजा की जा रही है। दुर्गा मंदिर की जमीन नेशनल हाइवे में चली गयी है। अब पिछले साल से ठाकुर सहदेव स्थान के बगल में मंदिर का निर्माण कर दिया गया है। पोखरपुर गांव के ठाकुर सहदेव स्थान के बगल मंदिर में प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस बार मां दुर्गा महिषासुर का वध करतीं दिखेंगी। माता के दर्शन के लिए अपार भीड़ उमड़ती है। कोलकाता के कारीगर पंडाल को आकर्षक लुक देने में जुटे हैं।

दुर्गा पूजा के आयोजक रामाशीष सिंह उर्फ सिंह जी ने बताया कि इस बार 26 वां वर्ष है, यहां भव्य तरीके से पूजा का आयोजन किया जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान पावापुरी बाजार में एक अलग ही रंग में नजर आता है। पूरे बाजार में मां दुर्गा की पूजा की गूंज उठती है। पंडाल की सजावट और लाइटिंग का पुख्ता इंतजाम किया जाता है। इसबार भी पिछले साल की तरह भव्य तरीके से पूजा का आयोजन किया जाएगा। पूजा पंडाल में पर्यावरण संरक्षण का पूरा ध्यान रखा जाएगा। लोगों से प्रसाद चढ़ाने के लिए थाली में ही प्रसाद लाने का आग्रह किया गया है। खाने-पीने के स्टॉल लगाने वालों को भी प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने को कहा गया है। पंडाल के पास जूट के थैले की बिक्री की जाएगी।

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प्रत्येक वर्ष निकलती है शोभायात्रा:

पंडित पिंटू उपाध्याय ने बताया कि यहां प्रत्येक वर्ष भव्य कलश यात्रा निकाली जाती है।पंचाने नदी के तट से जल भरकर पूजा स्थल पर लाया जाता है।शोडसोपचार विधि से पूजा कर कलश की स्थापना की जाती है।उन्होंने बताया कि इस बार भी आकर्षक पंडाल बनाया जाएगा। यहां कोलकाता से आए कारीगरों द्वारा प्रतिमा का निर्माण किया जाता है। लोगों की मान्यता हैं कि यहां भक्तों की हर मनोकामनाएं मां दुर्गा पूरी करती हैं ।

वैदिक विधि विधान से होती है पूजा

वैदिक विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा की जाती है। जय मां अंबे लोक में दुर्गा पूजा के दौरान पारंपरिक पूजा के खुशबू झलकती है। पारंपरिक दुर्गापूजा की परंपरा आज भी यहां देखने को मिलती है। पूजा समिति के सदस्यों की मानें तो दूर दराज के इलाके से हजारों की संख्या में भक्त मां दुर्गा के प्रतिमा के दर्शन को आते हैं। इस बार भी प्रतिदिन शाम में कलाकारों द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा । पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि जय मां अंबे लोक मंदिर नेशनल हाइवे में चला गया है।पिछले साल की तरह ठाकुर सहदेव स्थान के बगल जय मां अंबे लोक मंदिर के प्रांगण में दुर्गा माता की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।

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