पहसारा के शहीद बनारसी ने मुंह में गोली खाकर भारत मां को आजाद करवाया
नावकोठी, निज संवाददाता। पहसारा क्रांतिकारियों की धरती रही है। जिले में सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक चेतना जागृत करने में इस गांव के लोगों की महती भूमिका रही है। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय भी…
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायMon, 14 Aug 2023 08:10 PM
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नावकोठी, निज संवाददाता। पहसारा क्रांतिकारियों की धरती रही है। जिले में सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक चेतना जागृत करने में इस गांव के लोगों की महती भूमिका रही है। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय भी पहसारा क्रांतिकारियों के लिए केन्द्र बिन्दु रहा। यहां के लोग स्वतंत्रता आंदोलन में दिशा तय करते थे।अंग्रेजों की हुकूमत को उखाड़ फेंकने में यहां के वीर सपूत मुुंंह में गोली खाकर भारत माता के पैरों में बंधी जंजीर को तोड़ने में शहीदों की बलि वेदी पर चढ़ गये। ऐसी महान शख्सियत को हम गर्व से बनारसी सिंह के नाम से जानते हैं।यों उनकी शहादत के लगभग आठ दशक से अधिक हो चुके हैं। पहसारा गांव के लोग उनकी शहादत से गौरवान्वित तो हैं पर आज तक उनकी शहादत को सिर्फ याद करते आ रहे हैं। उनके त्याग और बलिदान को लोगों ने भूलना शुरू कर दिया है। पहसारा की गौरवशाली धरती को लोग बनारसी की धरती से जान रहे हैं।आज की पीढ़ी के युवाओं ने शहीद बनारसी की शहादत को उस रुप में याद नहीं करते जिस रुप में उन्होंने साहस और वीरता के साथ बेगूसराय में मुंह में गोली खानी पड़ी थी।उनकी स्मृति में बना एक पुस्तकालय शहीद बनारसी सिंह पुस्तकालय अपनी बदहाली पर आठ आठ आंसू बहा रहा है।यों पहसारा में प्रतिभाओं की कमी नहीं है।अधिकांश युवा शिक्षा से जुड़कर अभियंता, चिकित्सक,शिक्षक,व्याख्याता सहित विभिन्न विभागों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। राजनीतिज्ञों की भी भरमार है।आजादी के दीवानों के इस गांव के लोग अभी भी हाशिये पर हैं। गांव का यथोचित विकास नहीं हो पाया है।युवा बेरोजगारी से जूझते अपराध की भी शरण ले रहे हैं।ऐसी स्थिति में गांव में बेरोजगार युवाओं के लिए न तो कोई उद्योग धंधे विकसित किये जा रहे हैं और न ही उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की कोई योजना है।ऐसी स्थिति में अपराध की शरण से छुटकारा दिलाना भी लाजिमी है। पहसारा पश्चिम नावकोठी प्रखंड का एक पंचायत है। विडम्बना है कि नावकोठी प्रखंड का यह पंचायत मंझौल अनुमंडल में तथा चेरिया बरियारपुर पंचायत में है।मंझौल को प्रखंड और थाना का दर्जा देकर इस पंचायत को उसमें मिलाने की मांग आज तक अधूरी ही रह गयी।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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नावकोठी, निज संवाददाता। पहसारा क्रांतिकारियों की धरती रही है। जिले में सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक चेतना जागृत करने में इस गांव के लोगों की महती भूमिका रही है। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय भी…
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नावकोठी, निज संवाददाता। पहसारा क्रांतिकारियों की धरती रही है। जिले में सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक चेतना जागृत करने में इस गांव के लोगों की महती भूमिका रही है। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय भी पहसारा क्रांतिकारियों के लिए केन्द्र बिन्दु रहा। यहां के लोग स्वतंत्रता आंदोलन में दिशा तय करते थे।अंग्रेजों की हुकूमत को उखाड़ फेंकने में यहां के वीर सपूत मुुंंह में गोली खाकर भारत माता के पैरों में बंधी जंजीर को तोड़ने में शहीदों की बलि वेदी पर चढ़ गये। ऐसी महान शख्सियत को हम गर्व से बनारसी सिंह के नाम से जानते हैं।यों उनकी शहादत के लगभग आठ दशक से अधिक हो चुके हैं। पहसारा गांव के लोग उनकी शहादत से गौरवान्वित तो हैं पर आज तक उनकी शहादत को सिर्फ याद करते आ रहे हैं। उनके त्याग और बलिदान को लोगों ने भूलना शुरू कर दिया है। पहसारा की गौरवशाली धरती को लोग बनारसी की धरती से जान रहे हैं।आज की पीढ़ी के युवाओं ने शहीद बनारसी की शहादत को उस रुप में याद नहीं करते जिस रुप में उन्होंने साहस और वीरता के साथ बेगूसराय में मुंह में गोली खानी पड़ी थी।उनकी स्मृति में बना एक पुस्तकालय शहीद बनारसी सिंह पुस्तकालय अपनी बदहाली पर आठ आठ आंसू बहा रहा है।यों पहसारा में प्रतिभाओं की कमी नहीं है।अधिकांश युवा शिक्षा से जुड़कर अभियंता, चिकित्सक,शिक्षक,व्याख्याता सहित विभिन्न विभागों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। राजनीतिज्ञों की भी भरमार है।आजादी के दीवानों के इस गांव के लोग अभी भी हाशिये पर हैं। गांव का यथोचित विकास नहीं हो पाया है।युवा बेरोजगारी से जूझते अपराध की भी शरण ले रहे हैं।ऐसी स्थिति में गांव में बेरोजगार युवाओं के लिए न तो कोई उद्योग धंधे विकसित किये जा रहे हैं और न ही उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की कोई योजना है।ऐसी स्थिति में अपराध की शरण से छुटकारा दिलाना भी लाजिमी है। पहसारा पश्चिम नावकोठी प्रखंड का एक पंचायत है। विडम्बना है कि नावकोठी प्रखंड का यह पंचायत मंझौल अनुमंडल में तथा चेरिया बरियारपुर पंचायत में है।मंझौल को प्रखंड और थाना का दर्जा देकर इस पंचायत को उसमें मिलाने की मांग आज तक अधूरी ही रह गयी।
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