परीक्षा से पहले प्रबंधन, सीवर सिस्टम और सौंदर्यीकरण में फेल – Nawanshahr (Shaheed Bhagat Singh Nagar) News

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परीक्षा से पहले प्रबंधन, सीवर सिस्टम और सौंदर्यीकरण में फेल – Nawanshahr (Shaheed Bhagat Singh Nagar) News

परीक्षा से पहले प्रबंधन, सीवर सिस्टम और सौंदर्यीकरण में फेल – Nawanshahr (Shaheed Bhagat Singh Nagar) News

NEWS4SOCIALन्यूज| नवांशहर स्वच्छता सर्वेक्षण की आधी अधूरी तैयारी और बैठकों की रोक के बीच इस बार शहर की पुरानी रैंकिंग (11वीं रैंकिंग) बचाना भी कौंसिल के लिए मुश्किल हो सकता है। नगर कौंसिल कर्मचारियों की 10 दिन तक चली हड़ताल तथा कौंसिल की बैठकें न होने के

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पांच-छह महीनों से कौंसिल की बैठकें न होने के कारण स्वच्छता अभियान को लेकर कौंसिल कोई पैसा भी नहीं खर्च पाई है। ऐसे में 31 से पहले यानि जांच टीम के आने तक शहर के हालात सुधरने की उम्मीद न के बराबर ही है। बता दें कि केंद्रीय टीम होली के बाद अब किसी भी समय नवांशहर पहुंच कर शहर में साफ सफाई व स्वच्छता का हाल जानने आ सकती है। इस बार भी टीम यहां कूड़ा कलेक्शन, कचरा निस्तारण, सीवरेज, सौंदर्यीकरण सहित कई बिंदुओं पर शहर की स्वच्छता को परखेगी। स्वच्छता की ये पूरी परीक्षा 9500 अंकों की रहेगी। सफाई को लेकर लोगों से भी फीडबैक लेगी, लेकिन अभी जो शहर के हालात हैं, उसे देखकर लगता यही है कि इस बार भी नवांशहर स्वच्छता सर्वे में पिछड़ेगा, क्योंकि कई ऐसे बिंदू हैं, जिनमें पिछली बार से बढ़िया करने पर ही अंक मिलते हैं, लेकिन शहर के हालात पिछली बार से भी बुरे ही हैं।

स्वच्छता सर्वेक्षण की नई गाइडलाइंस में डोर-टू-डोर कचरा उठाने पर काफी जोर है। शहर में 60 प्रतिशत हिस्से में डोर टू डोर कलेक्शन तो हो रहा है, लेकिन सोर्स सै​िग्रगेशन बहुत कम है। शहर के अंदरूनी 60 प्रतिशत हिस्से में तो ये हो ही नहीं रही। शहर के सेकेंडरी डंपों पर सूखा व गीला कूड़ा तथा प्लास्टिक के लिफाफे ही हालात बता देते हैं। पिछले दस दिन शहर में हड़ताल रही, तो गंदगी के ढेर जगह जगह लग गए थे। कचरा निस्तारण यानी सेग्रीगेशन के इस बार 750 अंक रहेंगे। इसमें भी नगर कौंसिल नवांशहर पिछड़ेगा। वजह, शहर से प्रतिदिन 15 टन कूड़ा एकत्र होता है। लेकिन ये सारा कूड़ा एक साथ ही पहुंचता है। न तो इनके कलेक्शन के दौरान गीला-सूखा कूड़ा अलग किया जाता है और न ही प्लांट पर इन्हें अलग किया जाता है।

हालात तो ये हैं कि मेडिकल वेस्ट व नष्ट किए जाने वाला कूड़ा भी डंप पर ऐसे ही पहुंच जाता है। कुछ फ्रूट व पैलेसों से गीला कूड़ा लाकर पिट्स भरे जाते हैं। सीवर सिस्टम को दुरुस्त करवाने में नगर कौंसिल पूरी तरह नाकाम रहा है। अभी हालात ये हैं कि ज्यादातर इलाकों में बिन बरसात ही गलियों-सड़कों में सीवर का गंदा पानी भरा है। कौंसिल की बैठकें न होने के कारण सीवरेज सफाई या डी-सिल्टिंग का काम भी कांट्रेक्ट पर नहीं दिया जा सका और इसलिए भी ये समस्या दिन प्रतिदिन कम होने कि बजाए बढ़ रही है। नगर कौंसिल की पिछले कई महीनों से बैठकें ही नहीं हो रहीं। स्वच्छ भारत अभियान के लिए अगर कोई विशेष काम करना हो या फिर कोई पैसा खर्च करना हो, तो उसका प्रस्ताव ही नहीं पेश हो पाया, तो काम कहां से होता। वाइस प्रधान के चुनाव को लेकर 18 मार्च को रखी बैठक के अलावा कोई और बैठक होती दिख नहीं रही।

ऐसे में साफ है कि अब 31 मार्च तक कोई काम नहीं हो पाएगा तथा रैंकिंग का कम होना भी तय है। स्वच्छता सर्वे टीम शहर का सौंदर्यीकरण भी देखती है। डिवाइडर पर प्लांटेशन तथा दीवारों की सफाई देखी जाती है। यहां भी हालात खराब हैं। पिछली बार कौंसिल की ओर से कुछ एनजीओज को मोटिवेट किया गया था, जिन्होंने इस काम में श्रमदान किया था, जबकि उन्हें सामान आदि कौंसिल ने मुहैया करवाया था।

मगर अब कौंसिल की बैठकों पर रोक के कारण कहीं पर भी कोई पैसा नहीं खर्च किया गया। शहर के आधे इलाकों में सीवरेज ब्लॉक पड़ा है। शहर में न तो कचरा निस्तारण सही है और न ही डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन। यही हालात शहर के सौंदर्यीकरण के हैं। शहर के हालात सुधारने को नगर कौंसिल ने अभी तक सफाई अभियान शुरू नहीं किया है। बड़ी बात ये है कि कौंसिल की बैठकें न होने के कारण सीवरेज का काम ठेके पर देने, किसी सौंदर्यीकरण के लिए पैसे अलाट करने का काम भी नहीं हो पाया। ऐसे में स्वच्छता रैंकिंग सुधारना तो दूर पिछली रैंकिंग 11 नंबर के आसपास आना ही बड़ी बात होगी।

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